वर्ष का इकत्तीसवाँ सामान्य सप्ताह, गुरुवार

📒 पहला पाठ : फिलिप्पियों 3:3‍-8

3) सच पूछिए तो ’ख़तने वाले’ हम हैं। हम आत्मा से प्रेरित हो कर ईश्वर की उपासना करते हैं और ’शरीर’ पर नहीं, बल्कि ईसा मसीह पर गौरव करते हैं-

4) हालाँकि मैं भी ’शरीर’ पर गौरव कर सकता हूँ। यदि कोई यह समझता है कि वह ’शरीर’ पर गौरव कर सकता है, तो मैं और भी ऐसा कर सकता हूँ।

5) आठवें दिन मेरा ख़तना हुआ था। मैं इस्राएली, बेनयामीन-वंशी और इब्रानियों की इब्रानी सन्तान हूँ। संहिता-पालन की दृष्टि में मैं फ़रीसी था।

6) मेरा धर्मोत्साह ऐसा था कि मैंने कलीसिया पर अत्याचार किया। संहिता पर आधारित धार्मिकता की दृष्टि में मैं निर्दोष था।

7) किन्तु मैं जिन बातों को लाभ समझता था, उन्हें मसीह के कारण हानि समझने लगा हूँ।

8) इतना ही नहीं, मैं प्रभु ईसा मसीह को जानना सर्वश्रेष्ठ लाभ मानता हूँ और इस ज्ञान की तुलना में हर वस्तु को हानि ही मानता हूँ। उन्हीं के लिए मैंने सब कुछ छोड़ दिया है और उसे कूड़ा समझता हूँ,

📙 सुसमाचार : लूकस 15:1-10

1) ईसा का उपदेश सुनने के लिए नाकेदार और पापी उनके पास आया करते थे।

2 फ़रीसी और शास्त्री यह कहते हुए भुनभुनाते थे, “यह मनुष्य पापियों का स्वागत करता है और उनके साथ खाता-पीता है”।

3) इस पर ईसा ने उन को यह दृष्टान्त सुनाया,

4) “यदि तुम्हारे एक सौ भेड़ें हों और उन में एक भी भटक जाये, तो तुम लोगों में कौन ऐसा होगा, जो निन्यानबे भेड़ों को निर्जन प्रदेश में छोड़ कर न जाये और उस भटकी हुई को तब तक न खोजता रहे, जब तक वह उसे नहीं पाये?

5) पाने पर वह आनन्दित हो कर उसे अपने कन्धों पर रख लेता है

6) और घर आ कर अपने मित्रों और पड़ोसियों को बुलाता है और उन से कहता है, ’मेरे साथ आनन्द मनाओ, क्योंकि मैंने अपनी भटकी हुई भेड़़ को पा लिया है’।

7) मैं तुम से कहता हूँ, इसी प्रकार निन्यानबे धर्मियों की अपेक्षा, जिन्हें पश्चात्ताप की आवश्यकता नहीं है, एक पश्चात्तापी पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनन्द मनाया जायेगा।

8) “अथवा कौन ऐसी स्त्री होगी, जिसके पास दस सिक्के हों और उन में एक भी खो जाये, तो बत्ती जला कर और घर बुहार कर सावधानी से तब तक न खोजती रहे, जब तक वह उसे नहीं पाये?

9) पाने पर वह अपनी सखियों और पड़ोसिनों को बुला कर कहती है, ’मेरे साथ आनन्द मनाओ, क्योंकि मैंने जो सिक्का खोया था, उसे पा लिया है’।

10) मैं तुम से कहता हूँ, इसी प्रकार ईश्वर के दूत एक पश्चात्तापी पापी के लिए आनन्द मनाते हैं।”