सत्तरहवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत आल्फोंसुस मरियम दि लिगोरी


📒पहला पाठ- लेवी 23: 1, 4-11, 15-16, 27, 34-37

1 प्रभु ने मूसा से कहा,

4 “प्रभु के पुण्य-पर्व, जिन्हें समारोह के साथ निश्चित समय पर मनाना चाहिए, इस प्रकार हैं।
5 पहले महीने के चौदहवें दिन सन्ध्या समय प्रभु के आदर में पास्का है
6 और उस महीने के पन्द्रहवें दिन प्रभु के आदर में बेख़मीर रोटियों का पर्व है। तुम सात दिन बेख़मीर रोटियाँ खाओगे।
7 पहले दिन तुम लोगों के लिए एक धर्म-सभा का आयोजन किया जायेगा और तुम किसी प्रकार का काम नहीं करोगे।
8 तुम सात दिन तक प्रभु को अन्न-बलि चढ़ाओगे। सातवें दिन एक धर्म-सभा का आयोजन किया जायेगा और तुम किसी प्रकार का काम नहीं करोगे।”
9 प्रभु ने मूसा से कहा,
10 ”इस्राएलियों से यह कहो – जब तुम उस देश में पहुँच जाओगे, जिसे मैं तुम्हें देने जा रहा हूँ और तुम वहाँ फ़सल काटोगे, तो तुम अपनी फ़सल का पहला पूला याजक के पास ले आओगे।
11 वह विश्राम-दिवस के दूसरे दिन उसे प्रभु के सामने प्रस्तुत करेगा, जिससे तुम्हें ईश्वर की कृपादृष्टि प्राप्त हो जाये।

15 ”विश्राम-दिवस के दूसरे दिन, जब तुम चढ़ावे का पूला लाते हो, उस दिन से तुम पूरे सात सप्ताह गिनोगे।
16 सातवें सप्ताह के दूसरे दिन, अर्थात् पचासवें दिन तुम प्रभु को नये अनाज का अन्न-बलि चढ़ाओगे।

27 ”सातवें महीने का दसवाँ दिन प्रायश्चित्त-दिवस है। उस दिन तुम लोगों के लिए धर्म-सभा का आयोजन
किया जायेगा। तुम उपवास करोगे और प्रभु को होम-बलि चढ़ाओगे।

34 ”इस्राएलियों से कहो कि सातवें महीने के पन्द्रहवें दिन प्रभु के आदर में शिविर-पर्व प्रारम्भ होगा। वह सात दिन तक मनाया जायेगा।
35 उसके प्रथम दिन धर्म-सभा का आयोजन किया जायेगा और तुम किसी प्रकार का काम नहीं करोगे।
36 तुम सात दिन प्रभु को होम-बलि चढ़ाओगे। आठवें दिन लोगों के लिए एक धर्म-सभा का आयोजन किया जायेगा और तुम प्रभु को होम-बलि चढ़ाओगे। उस दिन समापन समारोह होगा और तुम किसी प्रकार का काम नहीं करोगे।
37 “ये प्रभु के पर्व हैं, जिन में तुम धर्म-सभा का आयोजन करोगे और प्रत्येक की विधि के अनुसार प्रभु को होम-बलि, अन्न-बलि, शान्ति-बलि और अर्घ चढ़ाओगे।


📙सुसमाचार – मत्ती 13: 54-58

54 वे अपने नगर आये, जहाँ वे लोगों को उनके सभागृह में शिक्षा देते थे। वे अचम्भे में पड़ कर कहते थे,”इसे यह ज्ञान और यह सामर्थ्य कहाँ से मिला?

55 क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं है? क्या मरियम इसकी माँ नहीं? क्या याकूब, यूसुफ़, सिमोन और यूदस इसके भाई नहीं?

56 क्या इसकी सब बहनें हमारे बीच नहीं रहतीं? तो यह सब इसे कहाँ से मिला?”

57 पर वे ईसा में विश्वास नहीं कर सके। ईसा ने उन से कहा,”अपने नगर और अपने घर में नबी का आदर नहीं होता”।

58 लोगों के अविश्वास के कारण उन्होंने वहाँ बहुत कम चमत्कार दिखाये।