पास्का का चौथा रविवार
आज के संत: लकोनी के संत इग्नासियुस
📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित- 13: 14, 43-52
14 पौलुस और बरनाबस पेरगे से आगे बढ़ कर पिसिदिया के अंताखिया पहुँचे। वे विश्राम के दिन सभागृह में जा कर बैठ गये।
43 सभा के विसर्जन के बाद बहुत-से यहूदी और भक्त नवदीक्षित पौलुस और बरनाबस के पीछे हो लिये। पौलुस और बरनाबस ने उन से बात की और आग्रह किया कि वे ईश्वर की कृपा में दृढ़ बने रहें।
44 अगले विश्राम-दिवस नगर के प्रायः सब लोग ईश्वर का वचन सुनने के लिए इकट्ठे हो गये।
45 यहूदी इतनी बड़ी भीड़ देख कर ईर्ष्या से जल रहे थे और पौलुस की निंदा करते हुए उसकी बातों का खण्डन करते रहे।
46 पौलुस और बरनाबस ने निडर हो कर कहा, “यह आवश्यक था कि पहले आप लोगों को ईश्वर का वचन सुनाया जाये, परन्तु आप लोग इसे अस्वीकार करते हैं और अपने को अनंत जीवन के योग्य नहीं समझते; इसलिए हम अब गैर-यहूदियों के पास जाते हैं।
47 प्रभु ने हमें यह आदेश दिया है, मैंने तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बना दिया हैं, जिससे तुम्हारे द्वारा मुक्ति का संदेश पृथ्वी के सीमांतों तक फैल जाये।”
48 गैर-यहूदी यह सुन कर आनन्दित हो गये और ईश्वर के वचन की स्तृति करते रहे। जितने लोग अनंत जीवन के लिए चुने गये थे, उन्होंने विश्वास किया
49 और सारे प्रदेश में प्रभु का वचन फैल गया।
50 किंतु यहूदियों ने प्रतिष्ठित भक्त महिलाओं तथा नगर के नेताओ को उभाड़ा, पौलुस तथा बरनाबस के विरुद्ध उपद्रव खड़ा कर दिया और उन्हें अपने इलाके से निकाल दिया।
51 पौलुस और बरनाबस उन्हें चेतावनी देने के लिए अपने पैरों की धूल झाड़ कर इकोनियुम चले गये।
52 शिष्य आनन्द और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण थे।
📙 दूसरा पाठ- प्रकाशना 7: 9, 14-17
9 इसके बाद मैंने सभी राष्ट्रों, वंशों, प्रजातियों और भाषाओं का एक ऐसा विशाल जनसमूह देखा, जिसकी गिनती कोई भी नहीं कर सकता। वे उजले वस्त्र पहने तथा हाथ में खजूर की डालियाँ लिये सिंहासन तथा मेमने के सामने खड़े थे
14 मैंने उत्तर दिया, “महोदय! आप ही जानते हैं” और उसने मुझ से कहाँ, “ये वे लोग हैं, जो महासंकट से निकल कर आये हैं। इन्होंने मेमने के रक्त से अपने वस्त्र धो कर उजले कर लिये हैं।
15 इसलिए ये ईश्वर के सिंहासन के सामने ख़ड़े रहते और दिन-रात उसके मन्दिर में उसकी सेवा करते हैं । वह, जो सिंहासन पर विराजमान है, इनके साथ निवास करेगा।
16 इन्हें फिर कभी न तो भूख लगेगी और न प्यास, इन्हें न तो धूप से कष्ष्ट होगा और न किसी प्रकार के ताप से;
17 क्योंकि सिंहासन के सामने विद्यमान मेमना इनका चरवाहा होगा और इन्हें संजीवन जल के स्रोत के पास ले चलेगा और ईश्वर इनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।”
📘 सुसमाचार – योहन 10:27-30
27 मेरी भेडें मेरी आवाज पहचानती है। मै उन्हें जानता हँ और वे मेरा अनुसरण करती हैं।
28 मै उन्हें अनंत जीवन प्रदान करता हूँ। उनका कभी सर्वनाश नहीं होगा और उन्हें मुझ से कोई नहीं छीन सकेगा।
29 उन्हें मेरे पिता ने मुझे दिया है वह सब से महान है। उन्हें पिता से कोई नहीं छीन सकता।
30 मैं और पिता एक हैं।