वर्ष का बत्तीसवाँ सामान्य सप्ताह, शुक्रवार

📒 पहला पाठ : 2 योहन 4-9

4) मुझे यह देख कर बड़ा आनन्द हुआ कि आपकी कुछ सन्तानें सत्य के मार्ग पर चलती हैं, जैसा कि हमें पिता की ओर से आदेश मिला है।

5) अब, भद्रे! मेरा आप से एक निवेदन है। मैं आप को कोई नया आदेश नहीं, बल्कि वही आदेश दे रहा हूँ, जो हमें प्रारम्भ से प्राप्त है- हम एक दूसरे को प्यार करें।

6) और प्यार का अर्थ यह है कि हम उसकी आज्ञाओं के मार्ग पर चलते रहें। जो आदेश आप को प्रारम्भ से प्राप्त है, वह यह है कि आप को प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए।

7) बहुत-से भटकाने वाले संसार में फैल गये हैं। वे यह नहीं मानते कि ईसा मसीह सचमुच मनुष्य बन गये थे। यह भटकाने वाले और मसीह-विरोधी का लक्षण है।

8) आप लोग सावधान रहें, जिससे आप अपने परिश्रम का फल न खो बैठें, बल्कि अपना पूरा पुरस्कार प्राप्त करें।

9) जो मसीह की शिक्षा की सीमा के अन्दर नहीं रहता, बल्कि उस से आगे बढ़ता है, उसे ईश्वर प्राप्त नहीं है। जो शिक्षा की सीमा के अन्दर रहता है, उसे पिता और पुत्र, दोनों प्राप्त हैं।

📙 सुसमाचार : लूकस 17:26-37

26) “जो नूह के दिनों में हुआ था, वही मानव पुत्र के दिनों में भी होगा।

27) नूह के जहाज़ पर चढ़ने के दिन तक लोग खाते-पीते और शादी-ब्याह करते रहे। तब जलप्रलय आया और उसने सब को नष्ट कर दिया।

28) लोट के दिनों में भी यही हुआ था। लोग खाते-पीते, लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते रहे;

29) परन्तु जिस दिन लोट ने सोदोम छोड़ा, ईश्वर ने आकाश से आग और गंधक बरसायी और सब-के-सब नष्ट हो गये।

30) मानव पुत्र के प्रकट होने के दिन वैसा ही होगा।

31) “उस दिन जो छत पर हो और उसका सामान घर में हो, वह उसे ले जाने नीचे न उतरे और जो खेत में हो, वह भी घर न लौटे।

32) लोट की पत्नी को याद करो।

33) जो अपना जीवन सुरक्षित रखने का प्रयत्न करेगा, वह उसे खो देगा, और जो उसे खो देगा, वह उसे सुरक्षित रखेगा।

34) “मैं तुम से कहता हूँ, उस रात दो एक खाट पर होंगे-एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा।

35) दो स्त्रियाँ साथ-साथ चक्की पीसती होंगी-एक उठा ली जायेगी और दूसरी छोड़ दी जायेगी।”

36) “मैं तुम से कहता हूँ, दो खेत में होंगे-एक उठा लिया जायेगा और दूसरा छोड़ दिया जायेगा।

37) इस पर उन्होंने ईसा से पूछा, “प्र्रभु! यह कहाँ होगा?” उन्होंने उत्तर दिया, “जहाँ लाश होगी, वहाँ गीध भी इकट्ठे हो जायेंगे”।