पुण्य गुरूवार
आज के संत: संत अनिसेतुस


📒पहला पाठ- निर्गमन 12: 1-8, 11-14

1 प्रभु ने मिस्र देश में मूसा और हारून से कहा,
2 ”यह तुम्हारे लिए आदिमास होगा; तुम इसे वर्ष का पहला महीना मान लो।
3 इस्राएल के सारे समुदाय को यह आदेश दो – इस महीने के दसवें दिन हर एक परिवार एक-एक मेमना तैयार रखेगा।

4 यदि मेमना खाने के लिए किसी परिवार में कम लोग हों, तो ज़रूरत के अनुसार पास वाले घर से लोगों को बुलाओ। खाने वालों की संख्या निश्चित करने में हर एक की खाने की रुचि का ध्यान रखो।
5 उस मेमने में कोई दोष न हो। वह नर हो और एक साल का। वह भेड़ा हो अथवा बकरा।
6 महीने के दसवें दिन तक उसे रख लो। शाम को सब इस्राएली उसका वध करेंगे।
7 जिन घरों में मेमना खाया जायेगा, दरवाजों की चौखट पर उसका लोहू पोत दिया जाये।
8 उसी रात बेखमीर रोटी और कड़वे साग के साथ मेमने का भूना हुआ मांस खाया जायेगा।

11 तुम लोग चप्पल पहन कर, कमर कस कर तथा हाथ में डण्डा लिये खाओगे। तुम जल्दी-जल्दी खाओगे, क्योंकि यह प्रभु का ‘पास्का’ है।
12 उसी रात मैं, प्रभु मिस्र देश का परिभ्रमण करूँगा, मिस्र देश में मनुष्यों और पशुओं के सभी पहलौठे बच्चों को मार डालूँगा और मिस्र के सभी देवताओं को भी दण्ड दूँगा।
13 तुम लोहू पोत कर दिखा दोगे कि तुम किन घरों में रहते हो। वह लोहू देख कर मैं तुम लोगों को छोड़ दूँगा। इस तरह जब मैं मिस्र देश को दण्ड दूँगा, तुम विपत्ति से बच जाओगे।
14 तुम उस दिन का स्मरण रखोगे और उसे प्रभु के आदर में पर्व के रूप में मनाओगे। तुम उसे सभी पीढ़ियों के लिए अनन्त काल तक पर्व घोषित करोगे।


📙 दूसरा पाठ- 1 कुरिंथियों 11: 23-26

23 मैंने प्रभु से सुना और आप लोगों को भी यही बताया कि जिस रात प्रभु ईसा पकड़वाये गये, उन्होंने रोटी ले कर

24 धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी और उसे तोड़ कर कहा-यह मेरा शरीर है, यह तुम्हारे लिए है। यह मेरी स्मृति में किया करो।

25 इसी प्रकार, ब्यारी के बाद उन्होंने प्याला ले कर कहा- यह प्याला मेरे रक्त का नूतन विधान है। जब-जब तुम उस में से पियो, तो यह मेरी स्मृति में किया करो।

26 इस प्रकार जब-जब आप लोग य


📘सुसमाचार – योहन 13: 1-15

1 पास्का पर्व का पूर्व दिन था। ईसा जानते थे कि मेरी घडी आ गयी है और मुझे यह संसार छोडकर पिता के पास जाना है। वे अपनों को, जो इस संसार में थे, प्यार करते आये थे और अब अपने प्रेम का सब से बडा प्रमाण देने वाले थे।

2 शैतान व्यारी के समय तक सिमोन इसकारियोती के पुत्र यूदस के मन में ईसा को पकडवाने का विचार उत्पन्न कर चुका था।

3 ईसा जानते थे कि पिता ने मेरे हाथों में सब कुछ दे दिया है, मैं ईश्वर के यहाँ से आया हूँ और ईश्वर के पास जा रहा हूँ।

4 उन्होनें भोजन पर से उठकर अपने कपडे उतारे और कमर में अंगोछा बाँध लिया।

5 तब वे परात में पानी भरकर अपने शिष्यों के पैर धोने और कमर में बँधें अँगोछे से उन्हें पोछने लगे।

6 जब वे सिमोन पेत्रुस के पास पहुचे तो पेत्रुस ने उन से कहा, “प्रभु! आप मेंरे पैर धोते हैं?”

7 ईसा ने उत्तर दिया, “तुम अभी नहीं समझते कि मैं क्या कर रहा हूँ। बाद में समझोगे।”

8 पेत्रुस ने कहा, “मैं आप को अपने पैर कभी नहीं धोने दूँगा”। ईसा ने उस से कहा, “यदि मैं तुम्हारे पैर नहीं धोऊँगा, तो तुम्हारा मेरे साथ कोई सम्बन्ध नहीं रह जायेगा।

9 इस पर सिमोन पेत्रुस ने उन से कहा, “प्रभु! तो मेरे पैर ही नहीं, मेरे हाथ और सिर भी धोइए”।

10 ईसा ने उत्तर दिया, “जो स्नान कर चुका है, उसे पैर के सिवा और कुछ धोने की ज़रूरत नहीं। वह पूर्ण रूप से शुद्व है। तुम लोग शुद्ध हो, किन्तु सब के सब नहीं।”

11 वे जानते थे कि कौन मेरे साथ विश्वास घात करेगा। इसलिये उन्होने कहा- तुम सब के सब शुद्ध नहीं हो।

12 उनके पैर धोने के बाद वे अपने कपडे पहनकर फिर बैठ गये और उन से बोले, “क्या तुम लोग समझते हो कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है?

13 तुम मुझे गुरु और प्रभु कहते हो और ठीक ही कहते हो, क्योंकि मैं वही हूँ।

14 इसलिये यदि मैं- तुम्हारे प्रभु और गुरु- ने तुम्हारे पैर धोये है तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिये।

15 मैंने तुम्हें उदाहरण दिया है, जिससे जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया वैसा ही तुम भी किया करो।