चालीसे का दूसरा सप्ताह

आज के संत: संत पैत्रिक

📙 पहला पाठ : दानिएल 9: 4 – 10

4 “प्रभु! महान् एवं भीषण ईश्वर! तू अपना विधान बनाये रखता है। तू उन लोगों पर दयादृष्टि करता है, जो तुझे प्यार करते और तेरी आज्ञाओं का पालन करते हैं। हम लोगों ने पाप किया है, हमने अधर्म और बुराई की है, हमने तेरे विरुद्ध विद्रोह किया है।

5 हमने तरी आज्ञाओं तथा नियमों का मार्ग त्याग दिया है।

6 नबी तेरे सेवक, हमारे राजाओं, नेताओं, पुरखों और समस्त देश के लोगों को उपदेश देते थे। हमने उनकी शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया है।

7 “प्रभु! तू न्यायी है और यहूदिया के लोग, येरूसालेम के निवासी, समस्त इस्राएली, चाहे वे निकट रहते हों, चाहे उन दूर देशों में बिखेर दिया है, हम सब-के-सब कलंकित हैं।

8 प्रभु! हम सब कलांकित हैं- हमारे राजा, हमारे शासक और हमारे पुरखे, क्योंकि हमने तेरे विरुद्ध पाप किया है।

9 “हमारा प्रभु-ईश्वर हम पर दयादृष्टि करे और हमें क्षमा प्रदान करे, क्योंकि हमने उसके विरुद्ध विद्रोह किया

10 और अपने प्रभु-ईश्वर की वाणी अनसुनी कर दी है। उसने अपने सेवकों, अपने नबियों द्वारा जो नियम हमारे सामने रखे थे हमने उनका पालन नहीं किया।

📕 सुसमाचार: संत लूकस 6: 36-38

36 “अपने स्वर्गिक पिता-जैसे दयालु बनो। दोष न लगाओ और तुम पर भी दोष नहीं लगाया जायेगा।

37 किसी के विरुद्ध निर्णय न दो और तुम्हारे विरुद्ध भी निर्णय नहीं दिया जायेगा। क्षमा करो और तुम्हें भी क्षमा मिल जायेगी।

38 दो और तुम्हें भी दिया जायेगा। दबा-दबा कर, हिला-हिला कर भरी हुई, ऊपर उठी हुई, पूरी-की-पूरी नाप तुम्हारी गोद में डाली जायेगी; क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जायेगा।”