अट्ठाईसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: अंताखिया के संत इग्नासियुस
📒पहला पाठ- रोमियों 4: 1-8
1 अब हम अपने कुलपति इब्राहीम के विषय में क्या कहें?
2 यदि इब्राहीम अपने कर्मों के कारण धार्मिक माने गये, तो वह अपने कर्मों के कारण धार्मिक माने गये, तो वह अपने पर गर्व कर सकते हैं। किन्तु वह ईश्वर के सामने ऐसा नहीं कर सकते;
3 क्योंकि धर्मग्रन्थ क्या कहता है? इब्राहीम ने ईश्वर में विश्वास किया और इसी से वह धार्मिक माने गये।
4 जो कर्म करता है, उसे मज़दूरी अनुग्रह के रूप में नहीं, बल्कि अधिकार के रूप में मिलती है।
5 जो कर्म नहीं करता, किन्तु उस में विश्वास करता है, जो अधर्मी को धार्मिक बनाता है, तो वह अपने विश्वास के कारण धार्मिक माना जाता है।
6 इसी तरह दाऊद उस मनुष्य को धन्य कहते हैं, जिसे ईश्वर कर्मों के अभाव में भी धार्मिक मानता है-
7 धन्य हैं वे, जिनके अपराध क्षमा हुए हैं, जिनके पाप ढक दिये गये हैं!
8 धन्य है वह मनुष्य, जिसके पाप का लेखा प्रभु नहीं रखता!
📙सुसमाचार – लूकस 12: 1-7
1 उस समय भीड़़ इतनी बढ़ गयी थी कि लोग एक दूसरे को कुचल रहे थे। ईसा मुख्य रूप से अपने शिष्यों से यह कहने लगे, “फ़रीसियों के कपटरूपी ख़मीर से सावधान रहो।
2 ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो प्रकाश में नहीं लाया जायेगा और ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं किया जायेगा।
3 तुमने जो अँधेरे में कहा है, वह उजाले में सुना जायेगा और तुमने जो एकान्त में फुसफुसा कर कहा है, वह पुकार-पुकार कर दुहराया जायेगा।
4 “मैं तुम, अपने मित्रों से कहता हूँ – जो लोग शरीर को मार डालते हैं, परन्तु उसके बाद और कुछ नहीं कर सकते, उन से नहीं डरो।
5 मैं तुम्हें बताता हूँ कि किस से डरना चाहिए। उस से डरो, जिसका मारने के बाद नरक में डालने का अधिकार है। हाँ, मैं तुम से कहता हूँ, उसी से डरो।
6 “क्या दो पैसे में पाँच गोरैया नहीं बिकतीं? फिर भी ईश्वर उन में एक को भी नहीं भुलाता है।
7 हाँ, तुम्हारे सिर का बाल-बाल गिना हुआ है। इसलिए नहीं डरो। तुम बहुतेरी गौरैयों से बढ़ कर हो।