ग्यारहवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत मार्क और मार्सेलियन
📒 पहला पाठ- 2 कुरिंथियों 9: 6-12
6 इस बात का ध्यान रखें कि जो कम बोता है, वह कम लुनता है और जो अधिक बोता है, वह अधिक लुनता है।
7 हर एक ने अपने मन में जिनता निश्चित किया है, उतना ही दे। वह अनिच्छा से अथवा लाचारी से ऐसा न करे, क्योंकि “ईश्वर प्रसन्नता से देने वाले को प्यार करता है”।
8 ईश्वर आप लोगों को प्रचुर मात्रा में हर प्रकार का वरदान देने में समर्थ है, जिससे आप को कभी किसी तरह की कोई कमी नहीं हो, बल्कि हर भले काम के लिए चन्दा देने के लिए भी बहुत कुछ बच जाये।
9 धर्मग्रन्थ में लिखा है- उसने उदारतापूर्वक दरिद्रों को दान दिया है, उसकी धार्मिकता सदा बनी रहती है।
10 जो बोने वाले को बीज और खाने वाले को भोजन देता है, वह आप को बोने के लिए बीज देगा, उसे बढ़ायेगा और आपकी उदारता की अच्छी फसल उत्पन्न करेगा।
11 इस तरह आप लोग हर प्रकार के धन से सम्पन्न हो कर उदारता दिखाने में समर्थ होंगे।
12 आपका दान, मेरे द्वारा वितरित हो कर, ईश्वर के प्रति धन्यवाद का कारण बनेगा; क्योंकि यह सेवा -कार्य न केवल सन्तों की आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि ईश्वर को धन्यवाद देने के लिए बहुत-से लोगों को प्रेरित भी करता है।
📙 समाचार- मत्ती 6:1-6, 16-18
1 “सावधान रहो। लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने धर्म-कार्यों का प्रदर्शन न करो, नहीं तो तुम अपने स्वर्गिक पिता के पुरस्कार से वंचित रह जाओगे।
2 “जब तुम दान देते हो, तो इसका ढिंढोरा नहीं पिटवाओ। ढोंगी सभागृहों और गलियों में ऐसा ही किया करते हैं, जिससे लोग उनकी प्रशंसा करें। मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ —वे अपना पुरस्कार पा चुके हैं।
3 जब तुम दान देते हो, तो तुम्हारा बायाँ हाथ यह न जानने पाये कि तुम्हारा दायाँ हाथ क्या कर रहा है।
4 तुम्हारा दान गुप्त रहे और तुम्हारा पिता, जो सब कुछ देखता है, तुम्हें पुरस्कार देगा।
5 “ढोंगियों की तरह प्रार्थना नहीं करो। वे सभागृहों में और चौकों पर खड़ा हो कर प्रार्थना करना पसन्द करते हैं, जिससे लोग उन्हें देखें। मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ—वे अपना पुरस्कार पा चुके हैं ।
6 जब तुम प्रार्थना करते हो, तो अपने कमरे में जा कर द्वार बन्द कर लो और एकान्त में अपने पिता से प्रार्थना करो। तुम्हारा पिता, जो एकान्त को भी देखता है, तुम्हें पुरस्कार देगा।
16 “ढोंगियों की तरह मुँह उदास बना कर उपवास नहीं करो। वे अपना मुँह मलिन बना लेते हैं, जिससे लोग यह समझें कि वे उपवास कर रहे हैैं। मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ—वे अपना पुरस्कार पा चुके हैं।
17 जब तुम उपवास करते हो, तो अपने सिर में तेल लगाओ और अपना मुँह धो लो,
18 जिससे लोगों को नहीं, केवल तुम्हारे पिता को, जो अदृश्य है, यह पता चले कि तुम उपवास कर रहे हो। तुम्हारा पिता, जो अदृश्य को भी देखता है, तुम्हें पुरस्कार देगा।