चौबीसवाँ सामान्य सप्ताह संत

आज के संत: जोसेफ कुपरतीनी (देववर्द्धन)


📒पहला पाठ- 1 तिमथी 4: 12-16

12 तुम्हारी कम उम्र के कारण कोई तुम्हारा तिरस्कार न करे। तुम वचन, कर्म, प्रेम, विश्वास और शुद्धता में विश्वासियों के आदर्श बनो।

13 मेरे आने तक धर्मग्रन्थ का पाठ करने और प्रवचन तथा शिक्षा देने में लगे रहो।

14 उस कृपादान की उपेक्षा मत करो, जो तुम में विद्यमान है और तुम्हें, भविष्यवाणी के अनुसार, अध्यक्ष-समुदाय के हस्तारोपण के समय प्राप्त हो गया है।

15 इन बातों का ध्यान रखों और इन में पूर्ण रूप से लीन रहो, जिससे सब लोग तुम्हारी उन्नति देख सकें।

16 तुम इन बातों में दृढ़ बने रहो। अपने तथा अपनी शिक्षा के विषय में सावधान रहो। ऐसा करने से तुम अपनी तथा अपने श्रोताओं की मुक्ति का कारण बनोगे।


📙सुसमाचार – लूकस 7: 36-50

36 किसी फ़रीसी ने ईसा को अपने यहाँ भोजन करने का निमन्त्रण दिया। वे उस फ़रीसी के घर आ कर भोजन करने बैठे।

37 नगर की एक पापिनी स्त्री को यह पता चला कि ईसा फ़रीसी के यहाँ भोजन कर रहे हैं। वह संगमरमर के पात्र में इत्र ले कर आयी

38 और रोती हुई ईसा के चरणों के पास खड़ी हो गयी। उसके आँसू उनके चरण भिगोने लगे, इसलिए उसने उन्हें अपने केशों से पोंछ लिया और उनके चरणो को चूम-चूम कर उन पर इत्र लगाया।

39 जिस फ़रीसी ने ईसा को निमन्त्रण दिया था, उसने यह देख कर मन-ही-मन कहा, “यदि वह आदमी नबी होता, तो जरूर जान जाता कि जो स्त्री इसे छू रही है, वह कौन और कैसी है-वह तो पापिनी है”।

40 इस पर ईसा ने उस से कहा, “सिमोन, मुझे तुम से कुछ कहना है”। उसने उत्तर दिया, “गुरूवर! कहिए”।

41 “किसी महाजन के दो कर्जदार थे। एक पाँच सौ दीनार का ऋणी था और दूसरा, पचास का।

42 उनके पास कर्ज अदा करने के लिए कुछ नहीं था, इसलिए महाजन ने दोनों को माफ़ कर दिया। उन दोनों में से कौन उसे अधिक प्यार करेगा?”

43 सिमोन ने उत्तर दिया, “मेरी समझ में तो वही, जिसका अधिक ऋण माफ हुआ”। ईसा ने उस से कहा, “तुम्हारा निर्णय सही है।”।

44 तब उन्होंने उस स्त्री की ओर मुड़ कर सिमोन से कहा, “इस स्त्री को देखते हो? मैं तुम्हारे घर आया, तुमने मुझे पैर धोने के लिए पानी नहीं दिया; पर इसने मेरे पैर अपने आँसुओं से धोये और अपने केशों से पोंछे।

45 तुमने मेरा चुम्बन नहीं किया, परन्तु यह जब से भीतर आयी है, मेरे पैर चूमती रही है।

46 तुमने मेरे सिर में तेल नहीं लगाया, पर इसने मेरे पैरों पर इत्र लगाया है।

47 इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, इसके बहुत-से पाप क्षमा हो गये हैं, क्योंकि इसने बहुत प्यार दिखाया है। पर जिसे कम क्षमा किया गया, वह कम प्यार दिखाता है।”

48 तब ईसा ने उस स्त्री से कहा, “तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं”।

49 साथ भोजन करने वाले मन-ही-मन कहने लगे, “यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है?”

50 पर ईसा ने उस स्त्री से कहा, “तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है। शान्ति प्राप्त कर जाओ।”