बीसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत योहन यूदेस
📒पहला पाठ न्याय 6: 11-24
11 प्रभु का दूत आया और ओफ्ऱा के बलूत वृक्ष के नीचे बैठ गया। यह वृक्ष अबीएजे़र-वंशी योआश का था। योआश का पुत्र गिदओन इसलिए अंगूर पेरने के कोल्हू में गेहूँ दाँव रहा था कि वह उसे मिदयानियों से छिपा कर रखे।
12 प्रभु का दूत उसे दिखाई दिया और बोला, “वीर योद्धा! प्रभु तुम्हारे साथ है”।
13 गिदओन ने उत्तर दिया, “क्षमा करें, महोदय! यदि प्रभु हमारे साथ हैं, तो यह सब हम पर क्यों बीती? वे सब चमत्कार कहाँ गये, जिनका वर्णन हमारे पूर्वज यह कहते हुए करते थे- ‘प्रभु ने हमें मिस्र से निकाल लसश्स’? अब तो प्रभु ने हमें छोड़ कर मिदयानियों के हवाले कर दिया।
14 प्रभु ने उसे सम्बोधित करते हुए कहा, “तुम मिदयानियों से युद्ध करने जाओ। तुम अपनी शक्ति के बल पर इस्राएल को उनके हाथ से बचा सकते हो। मैं ही तुम को भेज रहा हूँ।”
15 गिदओन ने उत्तर दिया, “क्षमा करें, महोदय! मैं इस्राएल को कैसे बचा सकता हूँ? मेरा कुल मनस्से में सब से दरिद्र है और मैं अपने पिता के घराने में सब से छोटा हूँ।”
16 किन्तु प्रभु ने कहा, “मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। तुम मिदयानियों को पराजित करोगे, मानो वे एक ही आदमी हों।”
17 गिदओन ने निवेदन किया, “यदि मुझ पर आपकी कृपादृष्टि हो, तो मुझे एक ऐसा चिह्न दीजिए, जिससे मैं जान सकूँ कि
18 आप ही मुझ से बोल रहे हैं। आप कृपया यहाँ से तब तक न जायें, जब तक मैं आपके पास न लौट आऊँ। मैं अपना चढ़ावा ले कर आऊँगा और आपके सामने रखूँगा।” उसने उत्तर दिया, “मैं तुम्हारे लौटने तक यहाँ रहूँगा”।
19 गिदओन ने जा कर बकरी का एक बच्चा पकाया और आधा मन मैदे की बे-ख़मीर रोटियाँ बनायी। उसने एक टोकरी में मांस रखा और एक पात्र में षोरबा उँड़ेला। फिर उसने इन्हें ले जा कर बलूत के नीचे स्वर्गदूत के सामने रख दिया।
20 प्रभु के दूत ने उस से कहा, “मांस और रोटियाँ वहाँ चट्टान पर रखो और उन पर षोरबा उँड़ेल दो”। उसने यही किया।
21 तब प्रभु के दूत ने अपने हाथ का डण्डा बढ़ा कर उसके सिरे से मांस और बेख़मीर रोटियों को स्पर्श किया। इस पर चट्टान से आग निकली, जिसने मांस और बेख़मीर रोटियों को भस्म कर दिया और प्रभु का दूत गिदओन की आँख से ओझल हो गया।
22 तब गिदओन समझ गया कि वह प्रभु का दूत था और उसने कहा, “हाय! प्रभु-ईश्वर! मैंने प्रभु के दूत को आमने-सामने देखा है।”
23 किन्तु प्रभु ने उसे आश्वासन दिया, “तुम्हें शान्ति मिले! मत डरो। तुम नहीं मरोगे।”
24 गिदओन ने वहाँ प्रभु के लिए एक वेदी बनायी और उसका नाम ‘प्रभु-शांति’ रखा। वह अबीएज़ेर के वंशजों के ओफ्ऱा में आज तक विद्यमान है।
📙सुसमाचार – मत्ती 19: 23-30
23 तब ईसा ने अपने शिष्यों से कहा, “मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- धनी के लिए स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन होगा।
24 मैं यह भी कहता हूँ कि सूई के नाके से हो कर ऊँट का निकलना अधिक सहज है, किन्तु धनी का ईश्वर के राज्य में प्रवेश करना कठिन है।”
25 यह सुन कर शिष्य बहुत अधिक विस्मित हो गये और बोले, “तो फिर कौन बच सकता है?”
26 उन्हें स्थिर दृष्टि से देखते हुए ईसा ने कहा, “मनुष्यों के लिए तो यह असम्भव है। ईश्वर के लिए सब कुछ सम्भव है।”
27 तब पेत्रुस ने ईसा से कहा, “देखिए, हम लोग अपना सब कुछ छोड़ कर आपके अनुयायी बन गये हैं। तो, हमें क्या मिलेगा?”
28 ईसा ने अपने शिष्यों से कहा, “मैं तुम, अपने अनुयायियों से यह कहता हूँ- मानव पुत्र जब पुनरुत्थान में अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा, तब तुम लोग भी बारह सिंहासनों पर बैठ कर इस्राएल के बारह वंशों का न्याय करोगे
29 और जिसने मेरे लिए घर, भाई-बहनों, माता-पिता, पत्नी, बाल-बच्चों अथवा खेतों को छोड़ दिया है, वह सौ गुना पायेगा और अनन्त जीवन का अधिकारी होगा।
30 “बहुत-से लोग, जो अगले हैं, पिछले हो जायेंगे और जो पिछले हैं, अगले हो जायेंगे।