पास्का का पाँचवाँ सप्ताह

आज के संत: संत पीटर सेलेस्टीन पंचम

📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित 14: 5-18

5 तब नगर के शासकों के सहयोग से गैर-यहूदियों तथा यहूदियों ने प्रेरितों पर अत्याचार तथा पथराव के लिए आंदोलन आरंभ किया।

6 प्रेरितों को इसका पता चला और वे लुकाओनिया के लुस्त्रा तथा देरबे नामक नगरों और उनके आसपास के प्रदेश की ओर भाग निकले

7 और वहाँ सुसमाचार का प्रचार करते रहें।

8 लुस्त्रा में एक ऐसा व्यक्ति बैठा हुआ था, जिसके पैरों में शक्ति नहीं थी। वह जन्म से ही लंगड़ा था और कभी चल-फिर नहीं सका था।

9 वह पौलुस का प्रवचन सुन ही रहा था कि पौलुस ने उस पर दृष्टि गड़ायी और उस में स्वस्थ हो जाने योग्य विश्वास देख कर

10 ऊँचे स्वर में कहा, “उठो और अपने पैरों पर खड़े हो जाओ”। वह उछल पड़ा और चलने-फिरने लगा।

11 जब लोगों ने देखा कि पौलुस ने क्या किया हैं, तो वे लुकाओनियाई भाषा में बोल उठे, “देवता मनुष्यों का रूप धारण कर हमारे पास उतरे हैं”।

12 उन्होंने बरनाबस का नाम ज्यूस रखा और पौलुस का हेरमेस, क्योंकि वह प्रमुख वक्ता था।

13 नगर के बाहर ज्यूस का मंदिर था। वहाँ का पुजारी माला पहने सांड़ों के साथ फाटक के पास आ पहुँचा और वह जनता के साथ प्रेरितों के आदर में बलि चढ़ाना चाहता था।

14 जब बरनाबस और पौलुस ने यह सुना, तो वे अपने वस्त्र फाड़ कर यह पुकारते हुए भीड़ में कूद पड़े,

15 भाइयो! आप यह क्या कर रहे हैं? हम भी तो आप लोगों के समान सुख-दुःख भोगने वाले मनुष्य हैं। हम यह शुभ संदेश देने आये हैं कि इस निःसार देवताओं को छोड़ कर आप लोगों को उस जीवंत ईश्वर की ओर अभिमुख हो जाना चाहिए, जिसने आकाश, पृथ्वी, समुद्र और उन में जो कुछ है, वह सब बनाया।

16 उसने पिछले युगों में सब राष्ट्रों को अपनी-अपनी राह चलने दिया।

17 फिर भी वह अपने वरदानों द्वारा अपने विषय में साक्ष्य देता रहता है – वह आकाश से पानी बरसाता और अच्छी फसलें उगाता है। वह भरूपूर अन्न प्रदान कर हमारा मन आनंद से भरता हैं।”

18 इन शब्दों द्वारा उन्होंने भीड़ को कठिनाई से अपने आदर में बलि चढ़ाने से रोका।

📙 सुसमाचार – योहन 14:21-26

21 जो मेरी आज्ञायें जानता और उनका पालन करता है, वही मुझे प्यार करता है और जो मुझे प्यार करता है, उसे मेरा पिता प्यार करेगा और उसे मैं भी प्यार करूँगा और उस पर अपने को प्रकट करूँगा।

22 यूदस ने, (इसकारयोती ने नहीं), उन से कहा, “प्रभु! आप हम पर अपने को प्रकट करेगें, संसार पर नहीं- इसका कारण क्या है?

23 ईसा ने उसे उत्तर दिया यदि कोई मुझे प्यार करेगा तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आकर उस में निवास करेंगे।

24 जो मुझे प्यार नहीं करता, वह मेरी शिक्षा पर नहीं चलता। जो शिक्षा तुम सुनते हो, वह मेरी नहीं बल्कि उस पिता की है, जिसने मुझे भेजा।

25 तुम्हारे साथ रहते समय मैंने तुम लोगों को इतना ही बताया है।

26 परन्तु वह सहायक, वह पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा तुम्हें सब कुछ समझा देगा। मैंने तुम्हें जो कुछ बताया, वह उसका स्मरण दिलायेगा।