चौबीसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत जानुआरियुस
📒पहला पाठ- 1तिमथी 6: 3-12
3 तुम इन बातों की शिक्षा और उपदेश दिया करो। यदि कोई भिन्न शिक्षा देता है और हमारे प्रभु-ईसा-मसीह के हितकारी उपदेशों में और भक्ति-सम्मत शिक्षा में विश्वास नहीं करता,
4 तो मैं समझता हूँ कि घमण्ड ने उसे अंधा बना दिया है, वह कुछ नहीं समझता और उसे वाद-विवाद तथा निरर्थक शास्त्रार्थ करने का रोग हो गया है। इस प्रकार के विवादों से ईर्ष्या, फूट, परनिन्दा, दूसरों पर कुत्सित सन्देह
5 और निरन्तर झगड़े उत्पन्न होते हैं। यह सब ऐसे लोगों के योग्य हैं, जिनका मन विकृत और सत्य से वंचित हो गया है और जो यह समझते हैं कि भक्ति से लाभ मिलना चाहिए।
6 भक्ति से अवश्य बड़ा लाभ होता है, किन्तु केवल उसी को, जो अपनी धन-सम्पत्ति से सन्तुष्ट रहता है।
7 हम न तो इस संसार में कुछ अपने साथ ले आये और न यहाँ से कुछ साथ ले जा सकते हैं।
8 यदि हमारे पास भोजन-वस्त्र हैं, तो हमें इस से सन्तुष्ट रहना चाहिए।
9 जो लोग धन बटोरना चाहते हैं, वे प्रलोभन और फन्दे में पड़ जाते हैं और ऐसी मूर्खतापूर्ण तथा हानिकर वासनाओं के शिकार बनते हैं, जो मनुष्यों को पतन और विनाश के गर्त में ढकेल देती हैं;
10 क्योंकि धन का लालच सभी बुराईयों की जड़ है। इसी लालच में पड़ कर कई लोग विश्वास के मार्ग से भटक गये और उन्होंने बहुत-सी यन्त्रणाएँ झेलीं।
11 ईश्वर का सेवक होने के नाते तुम इन सब बातों से अलग रह कर धार्मिकता, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धैर्य तथा विनम्रता की साधना करो।
12 विश्वास के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहो और उस अनन्त जीवन पर अधिकार प्राप्त करो, जिसके लिए तुम बुलाये गये हो और जिसके विषय में तुमने बहुत से लोगों के सामने अपने विश्वास का उत्तम साक्ष्य दिया।
13 ईश्वर जो सब को जीवन प्रदान करता है और ईसा मसीह, जिन्होंने पोंतियुस पिलातुस के सम्मुख अपना उत्तम साक्ष्य दिया, दोनों को साक्षी बना कर मैं तुम को यह आदेश देता हूँ।
14 कि हमारे प्रभु ईसा मसीह की अभिव्यक्ति के दिन तक अपना धर्म निष्कलंक तथा निर्दोष बनाये रखो।
15 यह अभिव्यक्ति यथासमय परमधन्य तथा एक मात्र अधीश्वर के द्वारा हो जायेगी। वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है,
📙सुसमाचार- लूकस 8: 1-3
1 इसके बाद ईसा नगर-नगर और गाँव-गाँव घूम कर उपदेश देते और ईश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाते रहे। बारह प्रेरित उनके साथ थे
2 और कुछ नारियाँ भी, जो दुष्ट आत्माओं और रोगों से मुक्त की गयी थीं-मरियम, जिसका उपनाम मगदलेना था और जिस से सात अपदूत निकले थे,
3 हेरोद के कारिन्दा खूसा की पत्नी योहन्ना; सुसन्ना और अनेक अन्य नारियाँ भी, जो अपनी सम्पत्ति से ईसा और उनके शिष्यों की सेवा-परिचर्या करती थीं।