दूसरा इतिहास-ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • पवित्र•बाईबल
अध्याय 8
1 सुलेमान ने बीस वर्ष बाद, जिन में उसने प्रभु का मन्दिर और अपना महल बनाया था,
2 उन नगरों का पुनर्निर्माण किया, जिन्हें हूराम ने उसे लौटा दिया था। उसने उन में इस्राएलियों को बसाया।
3 सुलेमान सोबा के हमात गया और उसने उसे अपने अधिकार में ले लिया।
4 उसने उजाड़खण्ड में अवस्थित तदमोर और उन सब भण्डार-नगरों का पुनर्निर्माण कराया, जिन्हें उसने हमात में बनवाया था।
5 फिर उसने निचले और ऊपरी बेत-होरोन को चारदीवारी, फाटक और अर्गलाओं से सुदृढ़ बनवाया।
6 उसने बालात का, अपने सब भण्डार-नगरों का और रथों और घुड़सवारों के लिए सब रक्षक-नगरों का पुनर्निर्माण कराया। इसके अतिरिक्त सुलेमान येरुसालेम, लेबानोन और अपने राज्य भर में जो बनवाना चाहता था, उसने वह सब पूरा किया।
7 गै़र-इस्राएली हित्तियों, अमोरियों, परिज़्ज़ियों, हिव्वियों और यबूसियों में से जो शेष रह गये थे,
8 अर्थात् उनके वंशज जो अब तक देश में रह रहे थे और जिनका विनाश इस्राएली नहीं कर पाये थे- उन सब से सुलेमान बेगार लेता था और आज भी ली जाती है।
9 इस्राएलियों में सुलेमान किसी से बेगार नहीं लेता था, क्योंकि वे उसके सैनिक, उसके सेनापति, उसके रथों और घुड़सवारों के अध्यक्ष थे।
10 सुलेमान के निर्माण-कार्यों के निरीक्षक साढ़े-पाँच सौ उच्चाधिकारी थे, जो काम करनेवाले लोगों पर निगरानी करते थे।
11 सुलेमान फ़िराउन की पुत्री को दाऊदनगर से उस महल में ले आया, जिसे उसने उसके लिए बनवाया था। उसका कहना था, “इस्राएल के राजा दाऊद के महल में कोई स्त्री न रहे; क्योंकि हर वैसी जगह पवित्र है, जिस में प्रभु की मंजूषा रह चुकी है”।
12 तब सुलेमान ने प्रभु की उस वेदी पर, जिसे उसने मण्डप के सामने बनवाया था, प्रभु को होम-बलियाँ चढ़ायीं।
13 उसने मूसा के आज्ञानुसार प्रतिदिन के निर्धारित चढ़ावे अर्पित किये, अर्थात् उसने विश्राम-दिवसों, अमावस के दिनों और साल भर के तीनों पर्वों पर-बेख़मीरी रोटियों के, सप्ताहों के और शिविर-पर्व पर—ऐसा किया।
14 उसने अपने पिता दाऊद के आदेशानुसार सेवा करने के लिए याजकों के दल निर्धारित किये। उसने प्रतिदिन की आवश्यकता के अनुसार लेवियों को भी नियुक्त किया, जिससे वे स्तुतिगान और याजकों के साथ सेवा करें। उसने प्रत्येक फाटक के लिए अपने दलों के अनुसार द्वारपाल भी नियुक्त किये, क्योंकि ईश्वर-भक्त दाऊद ने ऐसा आदेश दिया था।
15 याजकों और लेवियों ने हर बात में और भण्डारों के विषय में राजा दाऊद के आदेशों का पालन किया।
16 इस प्रकार प्रभु के मन्दिर की नींव डालने से ले कर उसके निर्माण की समाप्ति तक सुलेमान का कार्य पूरा किया गया।
17 इसके बाद सुलेमान एस्योन-गेबेर और एलत गया, जो एदोम देश में समुद्र के किनारे है।
18 हूराम ने अपने नौकरों द्वारा उसे जहाज़ और निपुण नाविक भेजे। वे सुलेमान के सेवकों के साथ ओफ़िर गये और वहाँ से राजा सुलेमान के लिए साढ़े चार सौ मन सोना लाये।