बीसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत बेरनार्ड
📒पहला पाठ न्याय 9: 6-15
6 ll इसके बाद सिखेम और बेत-मिल्लों के सब नागरिक सिखेम के बड़े पत्थर के निकट, बलूत वृक्ष के पास एकत्र हो गये और उन्होंने अबीमेलेक को राजा घोषित किया।
7 ll जब योताम को इसकी सूचना मिली, तो वह जा कर गरिज़्ज़ीम पर्वत के शिखर पर खड़ा हो गया। उसने ऊँचे स्वर से लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा, “सिखेम के नागरिको! मेरी बात सुनो, जिससे प्रभु तुम लोगों की बात सुने।
8 ll वृक्ष किसी दिन अपने राजा का अभिषेक करने निकले। वे जैतून के पेड़ से बोले, ‘आप हमारे राजा बन जाइए’।
9 ll किन्तु जैतून वृक्ष ने उन्हें यह उत्तर दिया, ’यह क्या! मैं वृक्षों पर राज्य करने के लिए अपना यह तेल क्यों छोड़ दूँ, जिसके द्वारा देवताओं और मनुष्यों का सम्मान किया जाता है?
10 ll तब वृक्ष अंजीर के पेड़ से बोले, ’आप हमारे राजा बन जाइए’।
11 ll किन्तु अंजीर वृक्ष ने उन्हें यह उत्तर दिया, ‘यह क्या! मैं वृक्षों पर राज्य करने के लिए अपना बढ़िया मधुर फल क्यों छोड़ दूँ?’
12 ll इसके बाद वृक्ष अंगूर के पेड़ से बोले, ’आप हमारे राजा बन जाइए’
13 ll और अंगूर के पेड़ ने उन्हें यह उत्तर दिया, ’यह क्या! मैं वृक्षों पर राज्य करने के लिए अपना यह रस क्यों छोड़ दूँ, जो देवताओं और मनुष्यों का आनन्दित करता है?-
14 ll “तब सब वृक्ष कँटीले झाड़ से बोले, ’आप हमारे राजा बन जाइए’।
15 ll कँटीले झाड़ ने वृक्षों को यह उत्तर दिया, ’यदि तुम लोग सचमुच अपने राजा के रूप में मेरा अभिषेक करना चाहते हो, तो मेरी छाया की षरण लेने आओ। नहीं तो, कँटीले झाड़ से आग निकलेगी और लेबानोन के देवदार वृक्षों को भी भस्म कर देगी।’
📙सुसमाचार – मत्ती 20:1-16
1 “स्वर्ग का राज्य उस भूमिधर के सदृश है, जो अपनी दाखबारी में मज़दूरों को लगाने के लिए बहुत सबेरे घर से निकला।
2 उसने मज़दूरों के साथ एक दीनार का रोज़ाना तय किया और उन्हें अपनी दाखबारी भेजा।
3 लगभग पहले पहर वह बाहर निकला और उसने दूसरों को चौक में बेकार खड़ा देख कर
4 कहा, ‘तुम लोग भी मेरी दाखबारी जाओ, मैं तुम्हें उचित मज़दूरी दे दूँगा’। और वे वहाँ गये।
5 लगभग दूसरे और तीसरे पहर भी उसने बाहर निकल कर ऐसा ही किया।
6 वह एक घण्टा दिन रहे फिर बाहर निकला और वहाँ दूसरों को खड़ा देख कर उन से बोला, ‘तुम लोग यहाँ दिन भर क्यों बेकार खड़े हो’
7 उन्होंने उत्तर दिया, ‘इसलिए कि किसी ने हमें मज़दूरी में नहीं लगाया’। उसने उन से कहा, ‘तुम लोग भी मेरी दाखबारी जाओ’।
8 “सन्ध्या होने पर दाखबारी के मालिक ने अपने कारिन्दे से कहा, ‘मज़दूरों को बुलाओ। बाद मे आने वालों से ले कर पहले आने वालों तक, सब को मज़दूरी दे दो’।
9 जब वे मज़दूर आये, जो एक घण्टा दिन रहे काम पर लगाये गये थे, तो उन्हें एक-एक दीनार मिला।
10 जब पहले मज़दूर आये, तो वे समझ रहे थे कि हमें अधिक मिलेगा; लेकिन उन्हें भी एक-एक दीनार ही मिला।
11 उसे पा कर वे यह कहते हुए भूमिधर के विरुद्ध भुनभुनाते थे,
12 ‘इन पिछले मज़दूरों ने केवल घण्टे भर काम किया। तब भी आपने इन्हें हमारे बराबर बना दिया, जो दिन भर कठोर परिश्रम करते और धूप सहते रहे।’
13 उसने उन में से एक को यह कहते हुए उत्तर दिया, ‘भई! मैं तुम्हारे साथ अन्याय नहीं कर रहा हूँ। क्या तुमने मेरे साथ एक दीनार नहीं तय किया था?
14 अपनी मज़दूरी लो और जाओ। मैं इस पिछले मज़दूर को भी तुम्हारे जितना देना चाहता हूँ।
15 क्या मैं अपनी इच्छा के अनुसार अपनी सम्पत्ति का उपयोग नहीं कर सकता? तुम मेरी उदारता पर क्यों जलते हो?’
16 इस प्रकार जो पिछले हैं, अगले हो जायेंगे और जो अगले हैं, पिछले हो जायेंगे।”