जुलाई 20, 2023, गुरुवार के पाठ
वर्ष का पंद्रहवाँ सामान्य सप्ताह
📒 पहला पाठ : निर्गमन ग्रन्थ 3: 13-20
13 मूसा ने झाड़ी में से प्रभु की वाणी सुन कर उस से कहा, ”जब मैं इस्राएलियों के पास पहुँच कर उन से यह कहॅूँगा – तुम्हारे पूर्वजों के ईश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, और वे मुझ से पूछेंगे कि उसका नाम क्या है, तो मैं उन्हें क्या उत्तर दूँगा?”
14 ईश्वर ने मूसा से कहा, ”मेरा नाम ‘सत्’ है। उसने फिर कहा, ”तुम इस्राएलियों को यह उत्तर दोगे- जिसका नाम ‘सत्’ है, उसी ने मुझे भेजा है।”
15 इसके बाद ईश्वर ने मूसा से कहा, ”तुम इस्राएलियों से यह कहोगे – प्रभु तुम्हारे पूर्वजों के ईश्वर, इब्राहीम, इसहाक तथा याकूब के ईश्वर ने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है। यह सदा के लिए मेरा नाम रहेगा और यही नाम ले कर सब पीढ़ियॉं मुझ से प्रार्थना करेंगी।
16 अब जा कर इस्राएल के नेताओं को एकत्र करो और उन से यह कहो, ‘प्रभु तुम्हारे पूर्वजों का ईश्वर, इब्राहीम, इसहाक और याकूब का ईश्वर, मुझे दिखाई दिया और उसने मुझ से कहा – मैंने तुम लोगों की सुध ली है और मैं जानता हॅूँ कि मिस्र देश में तुम पर क्या बीत रही है।
17 मैंने यह निर्णय किया है : मैं तुम्हें मिस्र की दीनता से निकाल कर कनानियों, हित्तियों, अमोरियों, परिज्जियों, हिव्वियों और यबूसियों के देश ले जाऊँगा। जहाँ दूध और मधु की नदियाँ बहती हैं।
18 “वे तुम्हारी बात मानेंगे और तुम इस्राएल के नेताओं के साथ मिस्र के राजा के पास जाओगे और उस से यह कहोगे, ‘प्रभु, इब्रानियों का ईश्वर, हमें दिखाई दिया। हमें मरुभूमि में तीन दिन की यात्रा करने दीजिए, जिससे हम अपने प्रभु-ईश्वर को बलि चढ़ायें।’
19 मैं जानता हॅूँ कि जब तक मिस्र के राजा को विवश नहीं किया जायेगा, वह तुम लोगों को नहीं जाने देगा।
20 इसलिए मैं अपना भुजबल प्रदर्शित करूँगा और विविध चमत्कार दिखा कर मिस्रियों को सन्तप्त करूँगा। इसके बाद वह तुम लोगों को जाने देगा।
21 मैं तुम लोगों को मिस्री जनता का कृपापात्र बना दूँगा; इसलिए तुम लोगों को खाली हाथ नहीं जाना पड़ेगा।
22 प्रत्येक स्त्री अपनी पड़ोसिन से और अपने ही घर की मालकिन से चाँदी, सोने के आभूषण और वस्त्र मॉँग लेगी। तुम उन्हें अपने पुत्र-पुत्रियों को पहनाओगे। इस प्रकार तुम मिस्रियों को लूटोगे।”
📒 सुसमाचार : मत्ती 11: 28-30
28 “थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो! तुम सभी मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।
29 मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो। मैं स्वाभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा के लिए शान्ति पाओगे,
30 क्योंकि मेरा जूआ सहज है और मेरा बोझ हल्का”।