चालीसे का तीसरा रविवार
आज के संत: मोंग्रोवेयो के संत तुरिबियुस
📙 पहला पाठ : निर्गमन 3: 1-8, 13-15
1 मूसा अपने ससुर, मिदयान के याजक, यित्रो की भेड़ें चराया करता था। वह उन्हें बहुत दूर तक उजाड़ प्रदेश में ले जा कर ईश्वर के पर्वत होरेब के पास पहुँचा।
2 वहाँ उसे झाड़ी के बीच में से निकलती हुई आग की लपट के रूप में प्रभु का दूत दिखाई दिया। उसने देखा कि झाड़ी में तो आग लगी है, किन्तु वह भस्म नहीं हो रही है।
3 मूसा ने मन में कहा कि यह अनोखी बात निकट से देखने जाऊँगा और यह पता लगाऊँगा कि झाड़ी भस्म क्यों नहीं हो रही है।
4 निरीक्षण करने के लिए उसे निकट आते देख कर ईश्वर ने झाड़ी के बीच में से पुकार कर उस से कहा, ”मूसा! मूसा!” उसने उत्तर दिया, ”प्रस्तुत हूँ।”
5 ईश्वर ने कहा, ”पास मत आओ। पैरों से जूते उतार दो, क्योंकि तुम जहाँ खड़े हो, वह पवित्र भूमि है।”
6 ईश्वर ने फिर उस से कहा, ”मैं तुम्हारे पिता का ईश्वर हूँ, इब्राहीम, इसहाक तथा याकूब का ईश्वर।” इस पर मूसा ने अपना मुख ढक लिया; कहीं ऐसा न हो कि वह ईश्वर को देख ले।
7 प्रभु ने कहा, ”मैंने मिस्र में रहने वाली अपनी प्रजा की दयनीय दशा देखी और अत्याचारियों से मुक्ति के लिए उसकी पुकार सुनी है। मैं उसका दुःख अच्छी तरह जानता हूँ।
8 मैं उसे मिस्रियों के हाथ से छुड़ा कर और इस देश से निकाल कर, एक समृद्ध तथा विशाल देश ले जाऊँगा, जहाँ दूध तथा मधु की नदियाँ बहती हैं, जहाँ कनानी, हित्ती, अमोरी, परिज्जी, हिव्वी और यबूसी बसते हैं।
13 मूसा ने झाड़ी में से प्रभु की वाणी सुन कर उस से कहा, ”जब मैं इस्राएलियों के पास पहुँच कर उन से यह कहॅूँगा – तुम्हारे पूर्वजों के ईश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है, और वे मुझ से पूछेंगे कि उसका नाम क्या है, तो मैं उन्हें क्या उत्तर दूँगा?”
14 ईश्वर ने मूसा से कहा, ”मेरा नाम ‘सत्’ है। उसने फिर कहा, ”तुम इस्राएलियों को यह उत्तर दोगे- जिसका नाम ‘सत्’ है, उसी ने मुझे भेजा है।”
15 इसके बाद ईश्वर ने मूसा से कहा, ”तुम इस्राएलियों से यह कहोगे – प्रभु तुम्हारे पूर्वजों के ईश्वर, इब्राहीम, इसहाक तथा याकूब के ईश्वर ने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है। यह सदा के लिए मेरा नाम रहेगा और यही नाम ले कर सब पीढ़ियॉं मुझ से प्रार्थना करेंगी।
📒 दूसरा पाठ : 1 कुरिन्थियों 10: 1-6, 10-12
1 भाइयो! मैं आप लोगों को याद दिलाना चाहता हूँ कि हमारे सभी बाप-दादे बादल की छाया में चले, सबों ने समुद्र पार किया,
2 और इस प्रकार बादल और समुद्र का बपतिस्मा ग्रहण कर सब-के-सब मूसा के सहभागी बने।
3 सबों ने एक ही आध्यात्मिक भोजन ग्रहण किया
4 और एक ही आध्यामिक पेय का पान किया; क्योंकि वे एक आध्यात्मिक चट्टान का जल पीते थे, जो उनके साथ-साथ चलती थी और वह चट्टान थी – मसीह।
5 फिर भी उन में अधिकांश लोग ईश्वर के कृपा पात्र नहीं बन सके और मरुभूमि में ढेर हो गये।
6 ये घटनाएँ हम को यह शिक्षा देती हैं कि हमें उनके समान बुरी चीजों का लालच नहीं करना चाहिए।
10 आप लोग नहीं भुनभुनायें, जैसा कि उन में कुछ भुनभुनाये और विनाशक दूत ने उन्हें नष्ट कर दिया।
11 यह सब दृष्टान्त के रूप में उन पर बीता और हमें चेतावनी देने के लिए लिखा गया है, जो युग के अन्त में विद्यमान है।
12 इसलिए जो यह समझता है कि मैं दृढ़ हूँ, वह सावधान रहे। कहीं ऐसा न हो कि वह विचलित हो जाये।
📕 सुसमाचार: संत लूकस 13: 1-9
1 उस समय कुछ लोग ईसा को उन गलीलियों के विषय में बताने आये, जिनका रक्त पिलातुस ने उनके बलि-पशुओं के रक्त में मिला दिया था।
2 ईसा ने उन से कहा, “क्या तुम समझते हो कि ये गलीली अन्य सब गलीलियों से अधिक पापी थे, क्योंकि उन पर ही ऐसी विपत्ति पड़ी?
3 मैं तुम से कहता हूँ, ऐसा नहीं है; लेकिन यदि तुम पश्चात्ताप नहीं करोगे, तो सब-के-सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे।
4 अथवा क्या तुम समझते हो कि सिल़ोआम की मीनार के गिरने से जो अठारह व्यक्ति दब कऱ मर गये, वे येरूसालेम के सब निवासियों से अधिक अपराधी थे?
5 मैं तुम से कहता हूँ, ऐसा नहीं है; लेकिन यदि तुम पश्चात्ताप नहीं करोगे, तो सब-के-सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे।”
6 तब ईसा ने यह दृष्टान्त सुनाया, “किसी मनुष्य की दाखबारी में एक अंजीर का पेड़ था। वह उस में फल खोजने आया, परन्तु उसे एक भी नहीं मिला।
7 तब उसने दाखबारी के माली से कहा, ’देखो, मैं तीन वर्षों से अंजीर के इस पेड़ में फल खोजने आता हूँ, किन्तु मुझे एक भी नहीं मिलता। इसे काट डालो। यह भूमि को क्यों छेंके हुए हैं?’
8 परन्तु माली ने उत्तर दिया, ’मालिक! इस वर्ष भी इसे रहने दीजिए। मैं इसके चारों ओर खोद कर खाद दूँगा।
9 यदि यह अगले वर्ष फल दे, तो अच्छा, नहीं तो इसे काट डालिएगा’।”