पास्का गुरूवार,
पास्का का पहला सप्ताह

आज के संत: सिगमारिन्गन के संत फिदेलिम

📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित 3: 11-26

11 वह मनुष्य पेत्रुस और योहन के साथ लगा हुआ था, इसलिए सब लोग आश्चर्यचकित हो कर सुलेमान नामक मण्डप में उनके पास दौड़े आये।

12 पेत्रुस ने यह देख कर उन से कहा, “इस्राएली भाइयो! आप लोग इस पर आश्चर्य क्यों कर रहे हैं और हमारी ओर से इस प्रकार क्यों ताक रहे हैं, मानों हमने अपने सामर्थ्य या सिद्धि से इस मनुष्य को चलने-फिरने योग्य बना दिया है?

13 इब्राहीम, इसहाक और याकूब के ईश्वर ने, हमारे पूर्वजों के ईश्वर ने अपने सेवक ईसा को महिमान्वित किया है। आप लोगों ने उन्हें पिलातुस के हवाले कर दिया और जब पिलातुस उन्हें छोड़ कर देने का निर्णय कर चुका था, तो आप लोगों ने उन्हें अस्वीकार किया।

14 आप लोगों ने सन्त तथा धर्मात्मा को अस्वीकार कर हत्यारे की रिहाई की माँग की।

15 जीवन के अधिपति को आप लोगों ने मार डाला; किन्तु ईश्वर ने उन्हें मृतकों में से जिलाया। हम इस बात के साक्षी हैं।

16 ईसा के नाम में विश्वास के कारण उसी नाम ने इस मनुष्य को, जिसे आप देखते और जानते हैं, बल प्रदान किया है। उसी विश्वास ने इसे आप सबों के सामने पूर्ण रूप से स्वस्थ किया है।

17 भाइयो! मैं जानता हूँ कि आप लोग, और आपके शासक भी, यह नहीं जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं।

18 ईश्वर ने इस प्रकार अपना वह कथन पूरा किया जिसके अनुसार उसके मसीह को दुःख भोगना था और जिसे उसने सब नबियों के मुख से घोषित किया था।

19 आप लोग पश्चात्ताप करें और ईश्वर के पास लौट आयें, जिससे आपके पाप मिट जायें

20 और प्रभु आप को विश्रान्ति का समय प्रदान करे। तब वह पूर्वनिर्धारित मसीह को, अर्थात् ईसा को आप लोगों के पास भेजेगा।

21 यह आवश्यक है कि वह उस विश्वव्यापी पुनरूत्थान के समय तक स्वर्ग में रहें, जिसके विषय में ईश्वर प्राचीन काल से अपने पवित्र नबियों के मुख से बोला।

22 मूसा ने तो कहा, प्रभु-ईश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिए मुझ-जैसा एक नबी उत्पन्न करेगा वह जो कुछ तुम लोगों से कहेगा तुम उस पर ध्यान देना।

23 जो उस नबी की बात नहीं सुनेगा, वह प्रजा में से निकाल दिया जायेगा।

24 समूएल और सभी परवर्ती नबियों ने इन दिनों की भविष्यवाणी की है।

25 “आप लोग नबियों की सन्तति और उस विधान के भागीदार हैं, जिसे ईश्वर ने आपके पूर्वजों के लिए उस समय निर्धारित किया, जब उसने इब्राहिम से कहा, तुम्हारी सन्तति द्वारा पृथ्वी भर के वंश आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

26 ईश्वर ने सब से पहले आप लोगों के लिए अपने पुत्र ईसा को पुनर्जीवित किया और आपके पास भेजा, जिससे वह आप लोगों में हर एक को कुमार्ग से विमुख कर आशीर्वाद प्रदान करें।”

📙 सुसमाचार – लूकस 24: 35-49

35 तब उन्होंने भी बताया कि रास्ते में क्या-क्या हुआ और उन्होंने ईसा को रोटी तोड़ते समय कैसे पहचान लिया।

36 वे इन सब घटनाओं पर बातचीत कर ही रहे थे कि ईसा उनके बीच आ कर खड़े हो गये। उन्होंने उन से कहा, “तुम्हें शान्ति मिले!”

37 परन्तु वे विस्मित और भयभीत हो कर यह समझ रहे थे कि वे कोई प्रेत देख रहे हैं।

38 ईसा ने उन से कहा, “तुम लोग घबराते क्यों हो? तुम्हारे मन में सन्देह क्यों होता है?

39 मेरे हाथ और मेरे पैर देखो- मैं ही हूँ। मुझे स्पर्श कर देख लो- प्रेत के मेरे-जैसा हाड़-मांस नहीं होता।”

40 उन्होंने यह कह कर उन को अपने हाथ और पैर दिखाये।

41 जब इस पर भी शिष्यों को आनन्द के मारे विश्वास नहीं हो रहा था और वे आश्चर्यचकित बने हुए थे, तो ईसा ने कहा, “क्या वहाँ तुम्हारे पास खाने को कुछ है?”

42 उन्होंने ईसा को भुनी मछली का एक टुकड़ा दिया।

43 उन्होंने उसे लिया और उनके सामने खाया।

44 ईसा ने उन से कहा, “मैंने तुम्हारे साथ रहते समय तुम लोगों से कहा था कि जो कुछ मूसा की संहिता में और नबियों में तथा भजनों में मेरे विषय में लिखा है, सब का पूरा हो जाना आवश्यक है”।

45 तब उन्होंने उनके मन का अन्धकार दूर करते हुए उन्हें धर्मग्रन्थ का मर्म समझाया

46 और उन से कहा, “ऐसा ही लिखा है कि मसीह दुःख भोगेंगे, तीसरे दिन मृतकों में से जी उठेंगे

47 और उनके नाम पर येरूसालेम से ले कर सभी राष्ट्रों को पापक्षमा के लिए पश्चात्ताप का उपदेश दिया जायेगा।

48 तुम इन बातों के साक्षी हो।

49 देखों, मेरे पिता ने जिस वरदान की प्रतिज्ञा की है, उसे मैं तुम्हारे पास भेजूँगा। इसलिए तुम लोग शहर में तब तक बने रहो, जब तक ऊपर की शक्ति से सम्पन्न न हो जाओ।”