पास्का का छठा रविवार
आजं की संत: संत बेदा/संत ग्रेगोरी सप्तम/पैज्जी की संत
मरियम मगदलेना
📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित 15: 1-2, 22-29
1 कुछ लोग यहूदिया से अन्ताखि़या आये और भाइयों को यह शिक्षा देते रहे कि यदि मूसा से चली आयी हुई प्रथा के अनुसार आप लोगों का ख़तना नहीं होगा, तो आप को मुक्ति नहीं मिलेगी।
2 इस विषय पर पौलुस और बरनाबस तथा उन लोगों के बीच तीव्र मतभेद और वाद-विवाद छिड़ गया, और यह निश्चय किया गया कि पौलुस तथा बरनाबस अन्ताखि़या के कुछ लोगों के साथ येरूसालेम जायेंगे और इस समस्या पर प्रेरितों तथा अध्यक्षों से परामर्श करेंगे।
22 तब सारी कलीसिया की सहमति से प्रेरितों तथा अध्यक्षों ने निश्चय किया कि हम में कुछ लोगों को चुन कर पौलुस तथा बरनाबस के साथ अन्ताखि़या भेजा जाये। उन्होंने दो व्यक्तियों को चुना, जो भाइयों में प्रमुख थे, अर्थात् यूदस को, जो बरसब्बास कहलाता था, तथा सीलस को,
23 और उनके हाथ यह पत्र भेजा: “प्रेरित तथा अध्यक्ष, आप लोगों के भाई, अन्ताखि़या, सीरिया तथा किलिकिया के ग़ैर-यहूदी भाइयों को नमस्कार करते हैं।
24 हमने सुना है कि हमारे यहाँ के कुछ लोगों ने, जिन्हें हमने कोई अधिकार नहीं दिया था, अपनी बातों से आप लोगों में घबराहट उत्पन्न की और आपके मन को उलझन में डाल दिया है।
25 इसलिए हमने सर्वसम्मति से निर्णय किया है कि प्रतिनिधियों का चुनाव करें और उन को अपने प्रिय भाई बरनाबस और पौलुस के साथ,
26 जिन्होंने हमारे प्रभु ईसा मसीह के नाम पर अपना जीवन अर्पित किया है, आप लोगों के पास भेजें।
27 इसलिए हम यूदस तथा सीलस को भेज रहे हैं। वे भी आप लोगों को यह सब मौखिक रूप से बता देंगे।
28 पवित्र आत्मा को और हमें यह उचित जान पड़ा कि इन आवश्यक बातों के सिवा आप लोगों पर कोई और भार न डाला जाये।
29 आप लोग देवमूर्तियों पर चढ़ाये हुए मांस से, रक्त, गला घोंटे हुए पशुओं के मांस और व्यभिचार से परहेज़ करें। इन से अपने को बचाये रखने में आप लोगों का कल्याण है। अलविदा!”
📙 दूसरा पाठ- प्रकाशना 21: 10-14, 22-23
10 मैं आत्मा से आविष्ट हो गया और स्वर्गदूत ने मुझे एक विशाल तथा ऊँचे पर्वत पर ले जा कर पवित्र नगर येरूसालेम दिखाया। वह ईश्वर के यहाँ से आकाश में उतर रहा था।
11 वह ईश्वर की महिमा से विभूषित था और बहुमूल्य रत्न तथा उज्ज्वल सूर्यकान्त की तरह चमकता था।
12 उसके चारों ओर एक बड़ी और उँची दीवार थी, जिस में बारह फाटक थे और हर एक फाटक के सामने एक स्वर्गदूत खड़ा था। फाटकों पर इस्राएल के बारह वंशों के नाम अंकित थे।
13 पूर्व की आरे तीन, उत्तर की और तीन, पश्चिम की आरे तीन और दक्षिण की ओर तीन फाटक थे।
14 नगर की दीवार नींव के बारह पत्थरों पर खड़ी थी और उन पर मेमने के बारह प्रेरितों के नाम अंकित थे।
22 मैंने उस में कोई मन्दिर नहीं देखा, क्योंकि सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर उसका मन्दिर है और मेमना भी।
23 नगर को सूर्य अथवा चन्द्रमा के प्रकाश की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ईश्वर की महिमा उसकी ज्योति और मेमना उसका प्रदीप है।
📘सुसमाचार – योहन 14: 23-29
23 ईसा ने उसे उत्तर दिया यदि कोई मुझे प्यार करेगा तो वह मेरी शिक्षा पर चलेगा। मेरा पिता उसे प्यार करेगा और हम उसके पास आकर उस में निवास करेंगे।
24 जो मुझे प्यार नहीं करता, वह मेरी शिक्षा पर नहीं चलता। जो शिक्षा तुम सुनते हो, वह मेरी नहीं बल्कि उस पिता की है, जिसने मुझे भेजा।
25 तुम्हारे साथ रहते समय मैंने तुम लोगों को इतना ही बताया है।
26 परन्तु वह सहायक, वह पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा तुम्हें सब कुछ समझा देगा। मैंने तुम्हें जो कुछ बताया, वह उसका स्मरण दिलायेगा।
27 मैं तुम्हारे लिये शांति छोड जाता हूँ। अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ। वह संसार की शांति-जैसी नहीं है। तुम्हारा जी घबराये नहीं। भीरु मत बनो।
28 तुमने मुझ को यह कहते सुना- मैं जा रहा हूँ और फिर तुम्हारे पास आऊँगा। यदि तुम मुझे प्यार करते, तो आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ, क्योंकि पिता मुझ से महान है।
29 मैंने पहले ही तुम लोगों को यह बताया, जिससे ऐसा हो जाने पर तुम विश्वास करो।