पच्चीसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत सियोलफ्रिड
📒पहला पाठ- हग्गय 1: 1-8
1 राजा दारा के शासनकाल के दूसरे वर्ष के छठे महीने के प्रथम दिन नबी हग्गय के माध्यम से, शअलतीएल के पुत्र, यूदा के राज्यपाल ज़रूबबाबेल और योसादाक के पुत्र प्रधानयाजक योशुआ को प्रभु की यह वाणी प्राप्त हुईः
2 “यह विश्वमण्डल के प्रभु की वाणी है। यह राष्ट्र कहता है- अभी प्रभु के मन्दिर के पुनर्निर्माण का समय नहीं आया है।
3 किन्तु नबी हग्गय के माध्यम से प्रभु की यह वाणी सुनाई पड़ी-
4 जब यह मन्दिर टूटा-फुटा पडा है, तो क्या यह समय तुम लोगों के लिए अच्छी तरह आच्छादित घरों में रहने का है?
5 इसलिए विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है।
6 तुम अपनी स्थिति पर विचार करो। तुमने बहुत बोया, किन्तु कम लुनते हो; तुम खाते तो हो, किन्तु तुम्हें तृप्ति नहीं मिलती; तुम पीते हो, किन्तु तुम्हारी प्यास नहीं बुझती; तुम कपडे पहनते हो, किन्तु तुम्हारा शरीर गरम नहीं रहता; मज़दूर अपना वेतन तो पाता है, किन्तु उसे छेद वाली थैली में रखता है।
7 “विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता हैं: तुम अपनी स्थिति पर विचार करो।
8 पहाड़ी प्रदेश जा कर लकडी ले आओ और मन्दिर फिर बनाओ। मैं उस से प्रसन्न होऊँगा और उस में अपनी महिमा प्रकट करूँगा।
📙सुसमाचार- लूकस 9:7-9
7 राजा हेरोद उन सब बातों की चर्चा सुन कर असमंजस में पड़ गया, क्योंकि कुछ लोग कहते थे कि योहन मृतकों में से जी उठा है।
8 कुछ कहते थे कि एलियस प्रकट हुआ है और कुछ लोग कहते थे कि पुराने नबियों में से कोई जी उठा है।
9 हरोद ने कहा, “योहन का तो मैंने सिर कटवा दिया। फिर यह कौन है, जिसके विषय में ऐसी बातें सुनता हूँ?” और वह ईसा को देखने के लिए उत्सुक था।