पच्चीसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत कोसमोस और दमियन
📒पहला पाठ- हग्गय 2: 1-9
1 राज दारा के शासनकाल के द्वितीय वर्ष, सातवें महीने के इक्कीसवें दिन नबी हग्गय को प्रभु की यह वाणी सुनाई पड़ीः
2 “शअलतीएल के पुत्र, यूदा के राज्यपाल ज़रुबबाबेल से, योसादाक के पुत्र प्रधानयाजक योशुआ और राष्ट्र के शेष लोगों से यह कहो-
3 क्या तुम लोगों में कोई ऐसा व्यक्ति जीवित है, जिसने इस मन्दिर की पूर्व महिमा देखी है? और अब तुम क्या देख रहे हो? क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि कुछ भी नहीं बचा है?
4 फिर भी, ज़रुबबाबेल! धीरज रखो! यह प्रभु की वाणी है। योसादाक के पुत्र, प्रधानयाजक योशुआ! धीरज रखो! समस्त देश के निवासियों! धीरज रखो! यह प्रभु की वाणी है।
5 निर्माण-कार्य प्रारंभ करो। मैं तुम लोगों के साथ हूँ। यह विश्वमण्डल के प्रभु की वाणी है। जब तुम मिस्र से निकल रहे थे, उस समय मैंने तुम से जो प्रतिज्ञा की है, मैं उसे पूरा करूँगा। मेरा आत्मा तुम्हारे बीच निवास करेगा। मत डरो!
6 क्योंकि विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है, “मैं थोड़े समय बाद आकाश और पृथ्वी को, जल और थल को हिलाऊँगा,
7 मैं सभी राष्ट्रों को हिला दूँग। तब सब राष्ट्रों की सम्पत्ति यहाँ आयेगी और मैं इस मन्दिर को वैभव से भर दूँगा – विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है।
8 चाँदी मेरी है और सोना मेरा है- यह विश्वमण्डल के प्रभु की वाणी है।
9 इस पिछले मन्दिर का वैभव पहले से बढ़ कर होगा- विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है। और मैं इस स्थान पर शान्ति प्रदान करूँगा- यह विश्वमण्डल के प्रभु की वाणी है।”
📙सुसमाचार – लूकस 9: 18-22
18 ईसा किसी दिन एकान्त में प्रार्थना कर रहे थे और उनके शिष्य उनके साथ थे। ईसा ने उन से पूछा, “मैं कौन हूँ, इस विषय में लोग क्या कहते हैं?”
19 उन्होंने उत्तर दिया, “योहन बपतिस्ता; कुछ लोग कहतें-एलियस; और कुछ लोग कहते हैं-प्राचीन नबियों में से कोई पुनर्जीवित हो गया है”।
20 ईसा ने उन से कहा, “और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?” पेत्रुस ने उत्तर दिया, “ईश्वर के मसीह”।
21 उन्होंने अपने शिष्यों को कड़ी चेतावनी दी कि वे यह बात किसी को भी नहीं बतायें।
22 उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “मानव पुत्र को बहुत दुःख उठाना होगा; नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों द्वारा ठुकराया जाना, मार डाला जाना और तीसरे दिन जी उठना होगा”।