पास्का का छठा सप्ताह
आज के संत: कैंटरबरी के संत अगुस्टीन
📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित 16: 22-34
22 उनके विरोध में भीड़ भी एकत्र हो गयी। तब न्यायकर्ताओं ने कपड़े उतरवा कर उन्हें कोड़े लगाने का आदेश दिया।
23 उन्होंने पौलुस और सीलस को खूब पिटवाया और कारापाल को बड़ी सावधानी से उनकी रखवाली करने का आदेश दे कर उन्हें बन्दीगृह में डलवा दिया।
24 कारापाल ने ऐसा आदेश पा कर उन्हें भीतरी बन्दीगृह में रखा और उनके पैर काठ में जकड़ दिये।
25 आधी रात के समय जब पौलुस तथा सीलस प्रार्थना करते हुए ईश्वर की स्तुति गा रहे थे और कैदी उन्हें सुन रहे थे,
26 तो एकाएक इतना भारी भूकम्प हुआ कि बन्दीगृह की नींव हिल गयी। उसी क्षण सब द्वार खुल गये और सब कैदियों की बेडि़याँ ढ़ीली पड़ गयीं।
27 कारापाल जाग उठा और बन्दीगृह के द्वार खुले देख कर समझ गया कि क़ैदी भाग गये हैं। इसलिए उसने तलवार खींच कर आत्महत्या करनी चाही,
28 किन्तु पौलुस ने ऊँचे स्वर से पुकार कर कहा, “अपनी हानि मत कीजिए। हम सब यहीं हैं।”
29 तब कारापाल चिराग मँगा कर भीतर दौड़ा और काँपते हुए पौलुस तथा सीलस के चरणों पर गिर पड़ा।
30 उसने उन्हें बाहर ले जा कर कहा, “सज्जनों, मुक्ति प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?”
31 उन्होंने उत्तर दिया, “आप प्रभु ईसा में विश्वास कीजिए, तो आप को और आपके परिवार को मुक्ति प्राप्त होगी”।
32 इसके बाद उन्होंने करापाल और उसके सब घरवालों को ईश्वर का वचन सुनाया।
33 उसने रात को उसी घड़ी उन्हें ले जा कर उनके घाव धोये। इसके तुरन्त बाद उसने और उसके सारे परिवार ने बपतिस्मा ग्रहण किया।
34 तब उसने पौलुस और सीलस को अपने यहाँ ले जा कर भोजन कराया और अपने सारे परिवार के साथ आनन्द मनाया; क्योंकि उन्होंने ईश्वर में विश्वास किया था।
📙 सुसमाचार – योहन 16:5-11
5 अब मैं उसके पास जा रहा हूँ, जिसने मुझे भेजा और तुम लोगो में कोई मुझ से यह नहीं पूछता कि आप कहाँ जा रहे हैं।
6 मैंने तुम से यह कहा है, इसलिये तुम्हारे हृदय शोक से भर गये हैं।
7 फिर भी मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ तुम्हारा कल्याण इस में है कि मै चला जाऊँ। यदि मैं नहीं जाऊँगा, तो सहायक तुम्हारे पास नहीं आयेगा। यदि मैं जाऊँगा, तो मैं उसे तुम्हारे पास भेजूँगा।
8 जब वह आयेगा, तो पाप, धार्मिकता और दंण्डाज्ञा के विषय में संसार का भ्रम प्रमाणित कर देगा-
9 पाप के विषय में, क्योंकि वे मुझ में विश्वास नहीं करते
10 घार्मिकता के विषय में, क्योंकि मैं पिता के पास जा रहा हूँ और तुम मुझे और नहीं देखोगे;
11 दण्डाज्ञा के विषय में, क्योंकि इस संसार का नायक दोषी ठहराया जा चुका है।