पास्का का दूसरा सप्ताह

आज के संत: सिएन्ना की संत कथरीना

📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित 4: 32-37

32 विश्वासियों का समुदाय एक हृदय और एकप्राण था। कोई भी अपनी सम्पत्ति अपनी ही नहीं समझता था। जो कुछ उनके पास था, उस में सबों का साझा था।

33 प्रेरित बड़े सामर्थ्य से प्रभु ईसा के पुनरुत्थान का साक्ष्य देते रहते थे और उन सबों पर बड़ी कृपा बनी रहती थी।

34 उन में कोई कंगाल नहीं था; क्योंकि जिनके पास खेत या मकान थे, वे उन्हें बेच देते और कीमत ला कर

35 प्रेरितों के चरणों में अर्पित करते थे। प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार बाँटा जाता था।

36 यूसुफ नामक लेवी-वंशी का जन्म कुप्रुस में हुआ था। प्रेरितों ने उसका उपनाम बरनाबस अर्थात् सान्त्वना-पुत्र रखा था।

37 उसकी एक जमीन थी। उसने उसे बेच दिया और उसकी कीमत ला कर प्रेरितों के चरणों मं अर्पित कर दी।

📙 सुसमाचार – योहन 3: 7-15

7 आश्चर्य न कीजिए कि मैंने यह कहा- आप को दुबारा जन्म लेना है।

8 पवन जिधर चाहता, उधर बहता है। आप उसकी आवाज सुनते हैं, किन्तु यह नहीं जानते कि वह किधर से आता और किधर जाता है। जो आत्मा से जन्मा है, वह ऐसा ही है।”

9 निकोदेमुस ने उन से पूछा, “यह कैसे हो सकता है?”

10 ईसा ने उसे उत्तर दिया, “आप इस्राएल के गुरु हैं और ये बातें भी नहीं समझते!

11 मैं आप से यह कहता हूँ – हम जो जानते हैं, वही कहते हैं और हमने जो देखा है, उसी का साक्ष्य देते हैं; किन्तु आप लोग हमारा साक्ष्य स्वीकार नहीं करते।

12 मैंने आप को पृथ्वी की बातें बतायीं और आप विश्वास नहीं करते। यदि मैं आप को स्वर्ग की बातें बताऊँ, तो आप कैसे विश्वास करेंगे?

13 मानव पुत्र स्वर्ग से उतरा है। उसके सिवा कोई भी स्वर्ग नहीं पहुँचा।

14 जिस तरह मूसा ने मरुभूमि में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव पुत्र को भी ऊपर उठाया जाना है,

15 जिससे जो उस में विश्वास करता है, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे।”