सत्तरहवाँ सामान्य सप्ताह

आज की संत: संत मरथा


📙पहला पाठ- निर्गमन 33:7-11; 34:5-9, 28

7 मूसा ने तम्बू को उठवा कर शिविर के बाहर कुछ दूरी पर खड़ा कर दिया और उसका नाम दर्शन-कक्ष रखा। यदि कोई प्रभु से परामर्श लेना चाहता था, तो वह शिविर के बाहर उस दर्शन-कक्ष के पास चला जाता था।
8 जब मूसा उस तम्बू की ओर जाता था, तो सब लोग अपने-अपने तम्बू के द्वार पर खड़े हो जाते और मूसा को तब तक देखते रहते थे, जब तक वह तम्बू में प्रवेश न करे।
9 मूसा के प्रवेश करते ही बादल का खम्भा उतर कर तम्बू के द्वार पर खड़ा हो जाया करता था। तब प्रभु मूसा से बातें करता था।
10 तम्बू के द्वार पर बादल का खम्भा खड़ा देख कर सभी लोग तुरन्त अपने-अपने तम्बू के द्वार पर से उसे दण्डवत् किया करते थे।
11 जिस तरह एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बात करता है, उसी तरह प्रभु मूसा के आमने-सामने प्रकट हो कर उस से बात करता था। जब मूसा शिविर में लौटता था, तो उसका सहायक नून का पुत्र, योशुआ नामक युवक तम्बू में रह जाता था।

5 प्रभु बादल के रूप में उतर कर उसके पास आया और अपना ‘प्रभु’ नाम प्रकट किया।

6 प्रभु ने उसके सामने से निकल कर कहा, ‘’प्रभु; प्रभु एक करूणामय तथ कृपालु ईश्वर है। वह देर से क्रोध करता और अनुकम्पा तथा सत्यप्रतिज्ञता का धनी है।

7 वह हज़ार पीढ़ियों तक अपनी कृपा बनाये रखता और बुराई, अपराध और पाप क्षमा करता है।‘’

8 मूसा ने तुरन्त दण्डवत् कर उसकी आराधना की

9 और कहा, ‘’प्रभु; यदि मुझ पर तेरी कृपादृष्टि है, तो मेरा प्रभु हमारे साथ चले। ये लोग हठधर्मी तो हैं, किन्तु तू हमारे अपराध तथा पाप क्षमा कर दे और हमें अपनी निजी

28 मूसा वहाँ चालीस दिन और चालीस रात प्रभु के साथ रहा। उसने न तो रोटी खायी और न पानी पिया। उसने विधान के शब्द, अर्थात् दस नियम पाटियों पर अंकित किये।


📒सुसमाचार – योहन 11: 19-27 या लूकस 10: 38-42

38 ईसा यात्रा करते-करते एक गाँव आये और मरथा नामक महिला ने अपने यहाँ उनका स्वागत किया।

39 उसके मरियम नामक एक बहन थी, जो प्रभु के चरणों में बैठ कर उनकी शिक्षा सुनती रही।

40 परन्तु मरथा सेवा-सत्कार के अनेक कार्यों में व्यस्त थी। उसने पास आ कर कहा, “प्रभु! क्या यह ठीक समझते हैं कि मेरी बहन ने सेवा-सत्कार का पूरा भार मुझ पर ही छोड़ दिया है?  आप उस से कहिए कि वह मेरी सहायता करे।”

41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, “मरथा! मरथा! तुम बहुत-सी बातों के विषय में चिन्तित और व्यस्त;

42 फिर भी एक ही बात आवश्यक है। मरियम ने सब से उत्तम भाग चुन लिया है; वह उस से नहीं लिया जायेगा।”