पहला पाठ: दानिएल का ग्रन्थ 5:1-6,13-14,16-17,23-28
1) राजा बेलशस्सर ने अपने एक हज़ार सामन्तों को एक बड़ा भोज दिया।
2) वह उन हजार अतिथियों के साथ अंगूरी पी रहा था और उसकी अंगूरी के नशे में सोने और चांदी के वे पात्र ले आने का आदेश दिया, जिन्हें उसके पिता नबूकदनेज़र ने येरुसालेम के मंदिर से चुरा लिया था। वह अपने सामन्तों, आपनी पत्नियों और उपपत्नियों के साथ उन में पीना चाहता था।
3) इसलिए येरुसालेम के मंदिर से चुराये हुए सोने और चाँदी के पात्र लाये गये और राजा अपने सामन्तों, अपनी पत्नियों और उपपत्नियों के साथ उन में पीने लगा।
4) अंगूरी पीते समय वे सोने, चाँदी, पीतल, लोहे, लकड़ी और पत्थर के देवताओं की प्रशंसा करते जाते थे।
5) उस समय एक मनुय के हाथ की ऊँगलियाँ दिखाई पड़ी और वे दीपाधार के सामने, राजभवन की पुती हुई दीवार पर कुछ लिखने लगी। राजा ने लिखने वाला हाथ देखा।
6) उसका रंग उड़ गया, वह बहुत घबराया, उसके पैर काँपने और उसके घुटने एक दूसरे से टकराने लगे।
13) जब दानिएल राजा के सामने लाया गया, तो राजा ने उस से कहा, ’’क्या तुम दानिएल हो, यूदा के उस निर्वासितों में से एक, जिन्हें राजा, मेरे पिता, यूदा से ले आये थे?
14) मैंने तुम्हारे विषय में सुना है कि देवताओं का आत्मा तुम में विद्यमान है और यह कि तुम अंर्तज्योति, विवेक और असाधारण प्रज्ञा से सम्पन्न हो।
16) लोगों ने तुम्हारे विषय में मुझे बताया है कि तुम स्वप्नों की व्याख्या कर सकते और समस्याओं को सुलझा सकते हो। यदि तुम यह लेख पढ़ कर इसका अर्थ समझाा सकते हो, तो तुम बैंगनी वस्त्र पहनोगे, गले में सोने का हार धारण करोगे और राज्य के तीसरे स्थान पर विराजमान होगे।”
17) दानिएल ने राजा को यह उत्तर दिया, ’’आप अपने उपहार अपने ही पास रखें और दूसरों को अपने पुरस्कार प्रदान करें। फिर भी मैं राजा के लिए यह लेख पढूँगा और उन्हें इसका अर्थ समझाऊँगा।
23) बल्कि आपने स्वर्ग के प्रभु का विरोध किया। आपने उसके मंदिर के पात्र लाने का आदेश दिया; आपने अपने सामन्तों, अपनी पत्नियों और उपपत्नियों के साथ उन में अंगूरी का पान किया; आपने सोने, चांदी, पीतल, लोहे, लकड़ी और पत्थर के उन देवताओं की प्रशंसा की, जो न तो देखते हैं, न सुनते और न समझते हैं’। आपने इस ईश्वर की स्तुति नहीं की, जिसके हाथ में आपके प्राण और समस्त जीवन निहित हैं।
24) इसलिए उसने यह हाथ भेज कर यह लेख लिखवाया।
25) यह लेख इस प्रकार है- मने, मने, तकेल, और फरसीन।
26) इन शब्दों का अर्थ इस प्रकार है। मनेः ईश्वर ने आपके राज्य के दिनों की गिनती की और उसे सामप्त कर दिया।
27) तकेलः आप तराजू प तौले गये और आपका वजन कम पाया गया।
28) फरसीनः आपका राज्य विभाजित हो कर मेदियों और फारसियों को दे दिया गया है।’’
सुसमाचार : सन्त लूकस 21:12-19
12) ‘‘यह सब घटित होने के पूर्व लोग मेरे नाम के कारण तुम पर हाथ डालेंगे, तुम पर अत्याचार करेंगे, तुम्हें सभागृहों तथा बन्दीगृहों के हवाले कर देंगे और राजाओं तथा शासकों के सामने खींच ले जायेंगे।
13) यह तुम्हारे लिए साक्ष्य देने का अवसर होगा।
14) अपने मन में निश्चय कर लो कि हम पहले से अपनी सफ़ाई की तैयारी नहीं करेंगे,
15) क्योंकि मैं तुम्हें ऐसी वाणी और बुद्धि प्रदान करूँगा, जिसका सामना अथवा खण्डन तुम्हारा कोई विरोधी नहीं कर सकेगा।
16) तुम्हारे माता-पिता, भाई, कुटुम्बी और मित्र भी तुम्हें पकड़वायेंगे। तुम में से कितनों को मार डाला जायेगा
17) और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे।
18) फिर भी तुम्हारे सिर का एक बाल भी बाँका नहीं होगा।
19) अपने धैर्य से तुम अपनी आत्माओं को बचा लोगे।