पास्का का सातवा सप्ताह

आज के संत: संत चार्ल्स ल्वांगा तथा साथी

📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित 20: 17-27

पौलुस ने मिलेतुस से एफ़ेसुस की कलीसिया के अध्यक्षों को बुला भेजा

18 और उनके पर उन से यह कहा, “आप लोग जानते हैं कि जब मैं पहले एहल एशिया पहुँचा, तो उस दिन से मेरा आचरण आपके बीच कैसा था।

19 यहूदियों के षड्यन्त्रों के कारण मुझ पर अनेक संकट आये, किन्तु मैं आँसू बहा कर बड़ी विनम्रता से प्रभु की करता रहा।

20 जो बातें आप लोगों के लिए हितकर थीं, उन्हें बताने में मैंने कभी संकोच नहीं किया, बल्कि मैं सब के सामने और घर-घर जा कर उनके सम्बन्ध में शिक्षा देता रहा।

21 मैं यहूदियों तथा यूनानियों, दोनों से अनुरोध करता रहा है कि वे ईश्वर की ओर अभिमुख हो जायें और हमारे प्रभु ईसा में विश्वास करें।

22 अब में आत्मा की प्रेरणा से विवश हो कर येरूसालेम जा रहा हूँ। वहाँ मुझ पर क्या बीतेगी, मैं यह नहीं जानता;

23 किन्तु पवित्र आत्मा नगर-नगर में मुझे विश्वास दिलाता है कि वहाँ बेडि़याँ और कष्ट मेरी प्रतीक्षा कर रहे हैं।

24 किन्तु मेरी दृष्टि में मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं। मैं तो केवल अपनी दौड़ समाप्त करना और ईश्वर की कृपा का सुसमाचार सुनाने का वह कार्य पूरा करना चाहता हूँ, जिसे प्रभु ईसा ने मुझे सौंपा।

25 “मैं आप लोगों के बीच राज्य का सन्देश सुनाता रहा। अब, मैं जानता हूँ कि आप में कोई भी मुझे फिर कभी नहीं देख पायेगा।

26 इसलिए मैं आज आप लोगों को विश्वास दिलाता हूँ कि मैं किसी के दुर्भाग्य का उत्तरदायी नहीं हूँ;

27 क्योंकि मैंने आप लोगों के लिए ईश्वर का विधान पूर्ण रूप से स्पष्ट करने में कुछ भी उठा नहीं रखा।

📙 सुसमाचार- योहन 17: 1-11

1 यह सब कहने के बाद ईसा अपनी आँखें ऊपर उठाकर बोले, “पिता! वह घडी आ गयी है। अपने पुत्र को महिमान्वित कर, जिससे पुत्र तेरी महिमा प्रकट करे।

2 तूने उसे समस्त मानव जाति पर अधिकार दिया है, जिससे वह उन सबों को अनन्त जीवन प्रदान करे, जिन्हें तूने उसे सौंपा है।

3 वे तुझे, एक ही सच्चे ईश्वर को और ईसा मसीह को, जिसे तूने भेजा है जान लें- यही अनन्त जीवन है।

4 जो कार्य तूने मुझे करने को दिया था वह मैंने पूरा किया है। इस तरह मैंने पृथ्वी पर तेरी महिमा प्रकट की है।

5 पिता! संसार की सृष्टि से पहले मुझे तेरे यहाँ जो महिमा प्राप्त थी, अब उस से मुझे विभूषित कर।

6 तूने जिन लोगो को संसार में से चुनकर मुझे सौंपा, उन पर मैने तेरा नाम प्रकट किया है। वे तेरे ही थे। तूने उन्हें मुझे सौंपा और उन्होंने तेरी शिक्षा का पालन किया है।

7 अब वे जान गये हैं कि तूने मुझे जो कुछ दिया है वह सब तुझ से आता है।

8 तूने जो संदेश मुझे दिया, मैने वह सन्देश उन्हें दे दिया। वे उसे ग्रहण कर यह जान गये है कि मैं तेरे यहाँ से आया हूँ और उन्होंने यह विश्वास किया कि तूने मुझे भेजा।

9 मैं उनके लिये विनती करता हूँ। मैं ससार के लिये नहीं, बल्कि उनके लिये विनती करता हूँ, जिन्हें तूने मुझे सौंपा है; क्योंकि वे तेरे ही हैं।

10 जो कुछ मेरा है वह तेरा है और जो तेरा, वह मेरा है। मैं उनके द्वारा महिमान्वित हुआ।

11 अब मैं संसार में नहीं रहूँगा; परन्तु वे संसार में रहेंगे और मैं तेरे पास आ रहा हूँ। परमपावन पिता! तूने जिन्हें मुझे सौंपा है, उन्हें अपने नाम के सामर्थ्य से सुरक्षित रख, जिससे वे हमारी ही तरह एक बने रहें।