बाईसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत ग्रेगोरी महान्


📒पहला पाठ- कलोसियों 1: 1-8

1 कलोस्सै- निवासी सन्तो, मसीह में विश्वास करने वाले भाइयों के नाम पौलुस, जो ईश्वर द्वारा ईसा मसीह का प्रेरित नियुक्त हुआ है, और भाई तिमथी का पत्र।

2 हमारा पिता ईश्वर और प्रभु ईसा मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शान्ति प्रदान करें!

3 (3-4 हमने ईसा मसीह में आप लोगों के विश्वास और सभी विश्वासियों के प्रति आपके भ्रातृप्रेम के विषय में सुना है। इसलिए हम आप लोगों के कारण अपने प्रभु ईसा के पिता को निरन्तर धन्यवाद देते और अपनी प्रार्थनाओं में आपका स्मरण करते रहते हैं।

5 आपका विश्वास और भ्रातृप्रेम उस आशा पर आधारित है, जो स्वर्ग में आपके लिए सुरक्षित है और जिसके विषय में आपने तब सुना, जब सच्चे सुसमाचार का सन्देश

6 आपके पास पहुँचा। यह समस्त संसार में फैलता और बढ़ता जा रहा है। आप लोगों के यहाँ यह उस दिन से फैलता और बढ़ता रहा है, जिस दिन आपने ईश्वर के अनुग्रह के विषय में सुना और उसका मर्म समझा।

7 आप को हमारे प्रिय सहयोगी एपाफ्रास से इसकी शिक्षा मिली है। एपाफ्रास हमारे प्रतिनिधि के रूप में मसीह के विश्वासी सेवक है।

8 उन्होंने हमें बताया है कि आत्मा ने आप लोगों में कितना प्रेम उत्पन्न किया है।


📙सुसमाचार – लूकस 4: 38-44

38 वे सभागृह से निकल कर सिमोन के घर गये। सिमोन की सास तेज़ बुखार में पड़ी हुई थी और लोगों ने उसके लिए उन से प्रार्थना की।

39 ईसा ने उसके पास जा कर बुख़ार को डाँटा और बुख़ार जाता रहा। वह उसी क्षण उठ कर उन लोगों के सेवा-सत्कार में लग गयी।

40 सूरज डूबने के बाद सब लोग नाना प्रकार की बीमारियों से पीड़ित अपने यहाँ के रोगियों को ईसा के पास ले आये। ईसा एक-एक पर हाथ रख कर उन्हें चंगा करते थे।

41 अपदूत बहुतों में से यह चिल्लाते हुये निकलते थे, “आप ईश्वर के पुत्र हैं”। परन्तु वह उन को डाँटते और बोलने से रोकते थे, क्योंकि अपदूत जानते थे कि वह मसीह हैं।

42 ईसा प्रातःकाल घर से निकल कर किसी एकान्त स्थान में चले गये। लोग उन को खोजते-खोजते उनके पास आये और अनुरोध करते रहे कि वह उन को छोड़ कर नहीं जायें।

43 किन्तु उन्होंने उत्तर दिया, “मुझे दूसरे नगरों को भी ईश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाना है-मैं इसीलिए भेजा गया हूँ”

44 और वे यहूदिया के सभागृहों में उपदेश देते रहे।