पास्का का दूसरा सप्ताह
आज के संत: संत पियुस पंचम
📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित 5: 17-26
17 यह सब देख कर प्रधानयाजक और उसके सब संगी-साथी, अर्थात् सदूकी सम्प्रदाय के सदस्य, ईर्ष्या से जलने लगे।
18 उन्होंने प्रेरितों को गिरफ्तार कर सरकारी बन्दीगृह में डाल दिया।
19 परन्तु ईश्वर के दूत ने रात को बन्दीगृह के द्वार खोल दिये और प्रेरितों को बाहर ले जा कर यह कहा,
20 “जाइए और निडर हो कर मन्दिर में जनता को इस नव-जीवन की पूरी-पूरी शिक्षा सुनाइए”। उन्होंने यह बात मान ली और भोर होते ही वे मन्दिर जा कर शिक्षा देने लगे।
21 जब प्रधानायाजक और उसके संगी-साथी आये, तो उन्होंने महासभा अर्थात् इस्राएली नेताओं की सर्वोच्च परिषद् बुलायी और प्रेरितों को ले आने के लिए प्यादों को बन्दी-गृह भेजा।
22 जब प्यादे वहाँ पहुँचे, तो उन्होंने प्रेरितों को बन्दीगृह में नहीं पाया। उन्होंने लौट कर यह समाचार दिया,
23 “हमने देखा कि बन्दीगृह बड़ी सावधानी से बन्द किया हुआ है और पहरेदार फाटकों पर तैनात हैं, किन्तु खोलने पर हमें भीतर कोई नहीं मिला।
24 यह सुन कर मन्दिर-आरक्षी के नायक और महायाजक यह नहीं समझ पा रहे थे कि प्रेरितों का क्या हुआ है।
25 इतने में किसी ने आ कर उन्हें यह समाचार दिया, “देखिए, आप लोगों ने जिन व्यक्तियों को बन्दीगृह में डाल दिया, वे मन्दिर में जनता को शिक्षा दे रहे हैं”।
26 इस पर मन्दिर का नायक अपने प्यादों के साथ जा कर प्रेरितों को ले आया। वे प्रेरितो को बलपूर्वक नहीं लाये, क्योंकि वे लोगों से डरते थे कि कहीं हम पर पथराव न करें।
📙 सुसमाचार – योहन 3: 16-21
16 ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने इसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उस में विश्वास करता हे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे।
17 ईश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।
18 जो पुत्र में विश्वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्योंकि वह ईश्वर के एकलौते पुत्र के नाम में विश्वास नहीं करता।
19 दण्डाज्ञा का कारण यह है कि ज्योति संसार में आयी है और मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अन्धकार को अधिक पसन्द किया, क्योंकि उनके कर्म बुरे थे।
20 जो बुराई करता है, वह ज्योंति से बैर करता है और ज्योति के पास इसलिए नहीं आता कि कहीं उसके कर्म प्रकट न हो जायें।
21 किन्तु जो सत्य पर चलता है, वह ज्योति के पास आता है, जिससे यह प्रकट हो कि उसके कर्म ईश्वर की प्रेरणा से हुए हैं।