तेरहवाँ सामान्य सप्ताह
आज की संत: रोम की कलीसिया के प्रथम शहीद
📒पहला पाठ- उत्पत्ति 18: 16-33
16 वे लोग वहाँ से सोदोम की ओर चल पड़े। इब्राहीम उन्हें विदा करने के लिए उनके साथ हो लिया।
17 प्रभु ने अपने मन में यह कहा, ‘’मैं जो करने जा रहा हूँ, क्या उसे इब्राहीम से छिपाये रखूँ?18 उस से एक महान् तथा शक्तिशाली राष्ट्र उत्पन्न होगा और उसके द्वारा पृथ्वी पर के सभी राष्ट्रों को आशीर्वाद प्राप्त होगा।
19 मैंने उसे चुन लिया, जिससे वह अपने पुत्र और अपने वंश को यह शिक्षा दे कि वे न्याय और धर्म का पालन करते हुए प्रभु के मार्ग पर चलते रहें। इस प्रकार मैं उस से जो प्रतिज्ञा कर चुका, उसे पूरा करूँगा।‘’
20 इसलिए प्रभु ने कहा, ‘’सोदोम और गोमोरा के विरुद्ध बहुत ऊँची आवाज़ उठ रही है और उनका पाप बहुत भारी हो गया है।
21 मैं उतर कर देखना और जानना चाहता हूँ कि मेरे पास जैसी आवाज़ पहुँची है, उन्होंने वैसा किया अथवा नहीं।‘’
22 वे दो पुरुष वहाँ से विदा हो कर सोदोम की ओर चले गये। प्रभु इब्राहीम के साथ रह गया ।
23 इब्राहीम ने उसके निकट आ कर कहा, ‘’क्या तू सचमुच पापियों के साथ-साथ धर्मियों को भी नष्ट करेगा?
24 नगर में शायद पचास धर्मी हैं। क्या तू उन्हें सचमुच नष्ट करेगा? क्या तू उन पचास धर्मियों के कारण, जो नगर में बसते हैं, उसे नहीं बचायेगा?
25 क्या तू पापी के साथ-साथ धर्मी को मार सकता है? क्या तू धर्मी और पापी, दोनों के साथ एक-सा व्यवहार कर सकता है? तू यह कैसे कर सकता है? क्या समस्त पृथ्वी का न्यायकर्ता अन्याय कर सकता है?’’
26 प्रभु ने उत्तर दिया, ‘’यदि मुझे नगर में पचास धर्मी भी मिलें, तो मैं उनके लिए पूरा नगर बचाये रखूँगा’’।
27 इस पर इब्राहीम ने कहा, ‘’मैं तो मिट्ठी और राख हूँ; फिर भी क्या मैं अपने प्रभु से कुछ कह सकता हूँ?
28 हो सकता है कि पचास में पाँच कम हों। क्या तू पाँच की कमी के कारण नगर नष्ट करेगा?’’ उसने उत्तर दिया, “यदि मुझे नगर में पैंतालीस धर्मी भी मिलें, तो मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा’’।
29 इब्राहीम ने फिर उस से कहा, “हो सकता है कि वहाँ केवल चालीस मिलें’’। प्रभु ने उत्तर दिया, ‘’चालीस के लिए मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा’’।
30 तब इब्राहीम ने कहा, “मेरा प्रभु क्रोध न करें और मुझे बोलने दें। हो सकता है कि वहाँ केवल तीस मिलें।” उसने उत्तर दिया, “यदि मुझे वहाँ तीस भी मिलें, तो मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा’’।
31 इब्राहीम ने कहा, “तू मेरी धृष्टता क्षमा कर – हो सकता है कि केवल बीस मिले’’ और उसने उत्तर दिया, “बीस के लिए मैं उसे नष्ट नहीं करूँगा’’।
32 इब्राहिम ने कहा, “मेरा प्रभु बुरा न माने तो में एक बार और निवेदन करूँगा – हो सकता है कि केवल दस मिलें’’ और उसने उत्तर दिया, “दस के लिए भी में उसे नष्ट नहीं करूँगा।
33 इब्राहीम के साथ बातचीत करने के बाद प्रभु चला गया और इब्राहीम अपने यहाँ लौटा।
📙सुसमाचार – मत्ती 8:18-22
18 अपने को भीड़ से घिरा देख कर ईसा ने समुद्र के उस पार चलने का आदेश दिया।
19 उसी समय एक शास्त्री आ कर ईसा से बोला, ”गुरुवर!
आप जहाँ कहीं भी जायेंगे, मैं आपके पीछे-पीछे चलूँगा”।
20 ईसा ने उस से कहा, ”लोमड़ियों की अपनी माँदें हैं और आकाश के पक्षियों के अपने घोंसले, परन्तु मानव पुत्र के लिए सिर रखने को भी अपनी जगह नहीं है”।
21 शिष्यों में किसी ने उन से कहा, ”प्रभु! मुझे पहले अपने पिता को दफ़नाने के लिए जाने दीजिए”।
22 परन्तु ईसा ने उस से कहा, ”मेरे पीछे चले आओ; मुरदों को अपने मुरदे दफ़नाने दो’।