पास्का का छठा सप्ताह

आज के संत: संत जोहन अर्क

📒 पहला पाठ- प्रेरित चरित 18: 9-18

9 प्रभु ने किसी रात को दर्शन दे कर पौलुस से यह कहा, “डरो मत, बल्कि बोलते जाओ और चुप मत रहो।

10 मैं तुम्हारे साथ हूँ। कोई भी तुम पर हाथ डाल कर तुम्हारी हानि नहीं कर पायेगा; क्योंकि इस नगर में बहुत-से लोग मेरे अपने हैं।”

11 पौलुस लोगों को ईश्वर के वचन की शिक्षा देते हुए वहाँ ड़ेढ़ बरस रहा।

12 जिस समय गल्लियो अख़ैया का प्रान्तपति था, सब यहूदी मिल कर पौलुस को पकड़ने आये और उसे न्यायालय ले जाकर

13 उन्होंने यह कहा, “यह व्यक्ति ईश्वर की ऐसी पूजा-पद्धति सिखलाता है, जो संहिता से भिन्न हैं”।

14 पौलुस अपनी सफाई में बोलने ही वाला था कि गल्लियों ने यहूदियों से यह कहा, “यहूदियों! यदि यह अन्याय या अपराध का मामला होता, तो मैं अवश्य धैयपूर्वक तुम लोगों की बात सुनता।

15 परन्तु यह वाद-विवाद शिक्षा, नामों और तुम्हारी संहिता से सम्बन्ध रखता है। यह मामला तो तुम लोगों का है। मैं ऐसी बातों का न्याय करना नहीं चाहता।”

16 और उसने उन्हें न्यायालय से बाहर निकलवा दिया।

17 तब सब यहूदियों ने सभागृह के अध्यक्ष सोस्थेनेस को पकड़ कर न्यायालय क सामने पीटा, किन्तु गल्लियों ने इसकी कोई परवाह नहीं की।

18 पौलुस कुछ समय तक कुरिन्थ में रहा और इसके बाद वह भाइयों से विदा ले कर प्रिसिल्ला तथा आक्विला के साथ, नाव से सीरिया चला गया। उसने किसी व्रत के कारण केंखयै में सिर मुंड़ाया।

📙सुसमाचार- योहन 16:20-23

20 मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ “तुम रोओगे और विलाप करोगे, परन्तु संसार आनंद मनायेगा। तुम शोक करोगे किन्तु तुम्हारा शोक आनन्द बन जायेगा।

21 प्रसव निकट आने पर स्त्री को दुख होता है, क्योंकि उसका समय आ गया है; किन्तु बालक को जन्म देने के बाद वह अपनी वेदना भूल जाती है, क्योंकि उसे आनन्द होता है कि संसार में एक मनुष्य का जन्म हुआ है।

22 इसी तरह तुम लोग अभी दुखी हो, किन्तु मैं तुम्हे फिर देखूँगा और तुम आनन्द मनाओगे। तुम से तुम्हारा आनन्द कोई नहीं छीन सकेगा।

23 उस दिन तुम मुझ से कोई प्रश्न नहीं करोगे। मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – तुम पिता से जो कुछ माँगोगे वह तुम्हें मेरे नाम पर वही प्रदान करेगा।