छब्बीसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत जेरोम
📒पहला पाठ ज़कर्या 8: 20-23
20 “विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है- राष्ट्र तथा महानगरों के निवासी फिर आयेंगे।
21 एक नगर के लोग दूसरे नगर के लोगों के पास जा कर कहेंगे, ’आइए, हम प्रभु की कृपा माँगने चलें; हम विश्वमण्डल के प्रभु के दर्शन करने जायें। मैं तो जा रहा हूँ।’
22 इस प्रकार बहुसंख्यक लोग और शक्तिशाली राष्ट्र विश्वमण्डल के प्रभु के दर्शन करने और प्रभु की कृपा माªगने के लिए येरूसालेम आयेंगे।
23 विश्वमण्डल का प्रभु यह कहता है- उन दिनों राष्ट्रों में प्रचलित सभी भाषाएँ बोलने वाले दस मनुष्य एक यहूदी की चादर का पल्ला पकडेंगे और कहेंगे, ’हम आप लोगों के साथ चलना चाहते है, क्योंकि हमने सुना है कि ईश्वर आप लोगों के साथ है’।”
📙सुसमाचार- लूकस 9: 51-56
51 अपने स्वर्गारोहण का समय निकट आने पर ईसा ने येरूसालेम जाने का निश्चय किया
52 और सन्देश देने वालों को अपने आगे भेजा। वे चले गये और उन्होंने ईसा के रहने का प्रबन्ध करने समारियों के एक गाँव में प्रवेश किया।
53 लोगों ने ईसा का स्वागत करने से इनकार किया, क्योंकि वे येरूसालेम जा रहे थे।
54 उनके शिष्य याकूब और योहन यह सुन कर बोल उठे, “प्रभु! आप चाहें, तो हम यह कह दें कि आकाश से आग बरसे और उन्हें भस्म कर दे”।
55 पर ईसा ने मुड़ कर उन्हें डाँटा
56 और वे दूसरी बस्ती चले गये।