तेरहवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: पुर्तगाल की संत एलीज़बेथ


📒पहला पाठ- उत्पत्ति 23:1-4, 19; 24:1-8, 62-67

1 सारा एक सौ सत्ताईस वर्ष की उमर तक जीती रही
2 और कनान के किर्यत-अरबा, अर्थात् हेब्रोन में उसका देहान्त हो गया। इब्राहीम ने उसके लिए मातम मनाया और विलाप किया।
3 इसके बाद वह उठ खड़ा हुआ और मृतक को छोड़ कर हित्तियों से बोला,
4 ”मैं आपके यहाँ परदेशी और प्रवासी हूँ। मुझे मक़बरे के लिए थोड़ी-सी जमीन दीजिए, जिससे मैं उचित रीति से अपनी मृत पत्नी को दफ़ना सकूँ।”

19 इसके बाद इब्राहीम ने कनान देश के मामरे, अर्थात् हेब्रोन के पूर्व में, मकपेला के खेत की उस गुफा में अपनी पत्नी सारा को दफ़नाया।

1 उस समय तक इब्राहीम बहुत बूढ़ा हो गया था और प्रभु ने उसे उसके सब कार्यों में आशीर्वाद दिया था।
2 इब्राहीम ने अपने सब से पुराने नौकर से, जो उसकी समस्त सम्पत्ति का प्रबन्ध करता था, कहा, ”अपना हाथ मेरी जाँघ के नीचे रखो
3 और आकाश तथा पृथ्वी के ईश्वर की शपथ ले कर मुझे वचन दो कि जिन कनानियों के बीच मैं रहता हूँ, उनकी कन्याओं में से किसी को भी मेरे पुत्र की पत्नी नहीं बनाओगे,
4 बल्कि मेरे देश और मेरे सम्बन्धियों के पास जाओगे और वहाँ मेरे पुत्र इसहाक के लिए पत्नी चुनोगे।”
5 नौकर ने कहा, ”हो सकता है कि वहाँ कोई ऐसी स्त्री नहीं मिले, जो मेरे साथ यह देश आना चाहती हो। तो, क्या मैं आपके पुत्र को उस देश ले चलूँ, जिसे आपने छोड़ दिया है?”
6 इब्राहीम ने उत्तर दिया, ”तुम मेरे पुत्र को वहाँ कदापि नहीं ले जाना।
7 प्रभु, आकाश और पृथ्वी के ईश्वर ने मुझे मेरे पिता के घर और मेरे कुटुम्ब के देश से निकाला और शपथ ले कर मुझ से कहा कि वह यह देश मेरे वंशजों को प्रदान करेगा। वही प्रभु तुम्हारे साथ अपना दूत भेजेगा, जिससे तुम वहाँ से मेरे पुत्र के लिए पत्नी ला सको।
8 यदि कोई स्त्री तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार न हो, तो तुम अपनी इस शपथ से मुक्त होगे, किन्तु मेरे पुत्र को वहाँ कदापि नहीं ले जाना।”

62 इसहाक लहय-रोई नामक कुएँ से लौटा था, क्योंकि उस समय वह नेगेब प्रदेश में रहता था।
63 इसहाक, सन्ध्या समय, खेत में टहलने गया और उसने आँखें उठा कर ऊँटों को आते देखा।
64 रिबेका ने भी आँखें उठा कर इसहाक को देखा।
65 उसने ऊँट से उतर कर सेवक से कहा, ”जो मनुष्य खेत में हमारी ओर आ रहा है, वह कौन है?” सेवक ने उत्तर दिया, ”यह मेरे स्वामी है।” इस पर उसने पल्ले से अपना सिर ढक लिया।
66 सेवक ने इसहाक को बताया कि उसने क्या-क्या किया है।
67 इसहाक रिबेका को अपनी माता सारा के तम्बू ले आया। उसने उसके साथ विवाह किया और वह उसकी पत्नी बन गयी। इसहाक रिबेका को प्यार करता था और उसे अपनी माता सारा के देहान्त के बाद सान्त्वना मिली।


📙सुसमाचार – मत्ती 9: 9-13

9 ईसा वहाँ से आगे बढ़े। उन्होंने मत्ती नामक व्यक्ति को चुंगी-घर में बैठा हुआ देखा और उससे कहा, “मेरे पीछे चले आओ”, और वह उठ कर उनके पीछे हो लिया।

10 एक दिन ईसा अपने शिष्यों के साथ मत्ती के घर भोजन पर बैठे और बहुत-से नाकेदार और पापी आ कर उनके साथ भोजन करने लगे।

11 यह देख कर फ़रीसियों ने उनके शिष्यों से कहा, “तुम्हारे गुरु नाकेदारों और पापियों के साथ क्यों भोजन करते हैं?”

12 ईसा ने यह सुन कर उन से कहा, “निरोगियों को नहीं, रोगियों को वैद्य की ज़रूरत होती है।

13 जा कर सीख लो कि इसका क्या अर्थ है- मैं बलिदान नहीं, बल्कि दया चाहता हूँ। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।”