बाईसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत रोज़
📒पहला पाठ- कलोसियों 1: 9-14
9 जिस दिन से हमने यह सुना, हम निरंतर आप लोगों के लिए प्रार्थना करते रहे हैं। हम ईश्वर से यह निवेदन करते हैं कि वह आप को समस्त प्रज्ञा तथा आध्यात्मिक अन्तर्दृष्टि प्रदान करे, जिससे आप उसकी इच्छा पूर्ण रूप से समझ सकें।
10 इस प्रकार आप प्रभु के योग्य जीवन बिता कर सब बातों में उसे प्रसन्न करेंगे, हर प्रकार के भले कार्य करते रहेंगे और ईश्वर के ज्ञान में बढ़ते जायेंगे।
11 आप ईश्वर की महिमामय शक्ति से बल पा कर सदा दृढ़ बने रहेंगे,
12 सब कुछ आनन्द के साथ सह सकेंगे और पिता को धन्यवाद देंगे, जिसने आप को इस योग्य बनाया है कि आप ज्योति के राज्य में रहने वाले सन्तों के सहभागी बनें।
13 ईश्वर हमें अन्धकार की अधीनता से निकाल कर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में ले आया।
14 उस पुत्र के द्वारा हमारा उद्धार हुआ है, अर्थात् हमें पापों की क्षमा मिली है।
📙सुसमाचार – लूकस 5: 1-11
1 एक दिन ईसा गेनेसरेत की झील के पास थे। लोग ईश्वर का वचन सुनने के लिए उन पर गिरे पड़ते थे।
2 उस समय उन्होंने झील के किनारे लगी दो नावों को देखा। मछुए उन पर से उतर कर जाल धो रहे थे।
3 ईसा ने सिमोन की नाव पर सवार हो कर उसे किनारे से कुछ दूर ले चलने के लिये कहा। इसके बाद वे नाव पर बैठे हुए जनता को शिक्षा देते रहे।
4 उपदेश समाप्त करने के बाद उन्होंने सिमोन से कहा, “नाव गहरे पानी में ले चलो और मछलियाँ पकड़ने के लिए अपने जाल डालो”।
5 सिमोन ने उत्तर दिया, “गुरूवर! रात भर मेहनत करने पर भी हम कुछ नहीं पकड़ सके, परन्तु आपके कहने पर मैं जाल डालूँगा”।
6 ऐसा करने पर बहुत अधिक मछलियाँ फँस गयीं और उनका जाल फटने को हो गया।
7 उन्होंने दूसरी नाव के अपने साथियों को इशारा किया कि आ कर हमारी मदद करो। वे आये और उन्होंने दोनों नावों को मछलियों से इतना भर लिया कि नावें डूबने को हो गयीं।
8 यह देख कर सिमोन ने ईसा के चरणों पर गिर कर कहा, “प्रभु! मेरे पास से चले जाइए। मैं तो पापी मनुष्य हूँ।”
9 जाल में मछलियों के फँसने के कारण वह और उसके साथी विस्मित हो गये।
10 यही दशा याकूब और योहन की भी हुई; ये ज़ेबेदी के पुत्र और सिमोन के साझेदार थे। ईसा ने सिमोन से कहा, “डरो मत। अब से तुम मनुष्यों को पकड़ा करोगे।”
11 वे नावों को किनारे लगा कर और सब कुछ छोड़ कर ईसा के पीछे हो लिये।