चौदहवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत अगुस्टीन ज़ाओ रॉन्ग और साथी
📒पहला पाठ- उत्पत्ति 41: 55-57, 42: 5-7, 17-24
55 समस्त मिस्र देश में अकाल पड़ने लगा और लोग फिराउन से रोटी माँगने आये। फिराउन ने सभी मिस्रियों से कहा, ”यूसुफ़ के पास जाओ और वह जो कहें, वही करो”।
56 हर प्रदेश में अकाल था और यूसुफ़ ने सभी गोदामों को खुलवा कर मिस्रियों को अनाज बेच दिया। मिस्र देश में अकाल बढ़ता जा रहा था।
57 सभी देशों के लोग यूसुफ़ से अनाज ख़रीदने आये, क्योंकि पृथ्वी पर घोर अकाल पड़ने लगा था।
5 इस्राएल के पुत्र दूसरे लोगों के साथ अनाज ख़रीदने आये, क्योंकि कनान देश में अकाल था।
6 उस समय यूसुफ़ समस्त मिस्र का शासन करता था और सभी निवासियों को अनाज बेचता था। यूसुफ़ के भाई उसके पास आये और उन्होंने उसे दण्डवत् किया।
7 यूसुफ़ ने उन्हें देखते ही पहचान लिया, किन्तु उसने उन से अपरिचित होने का स्वाँग भर कर कठोर स्वर में पूछा, ”तुम लोग कहाँ से आये हो?” उन्होंने उत्तर दिया, ”कनान देश से; अनाज ख़रीदने के लिए”।
17 यूसुफ़ ने उन्हें तीन दिन तक क़ैद में डाल दिया।
18 तीसरे दिन उसने उन से कहा, ”यदि तुम जीवित रहना चाहते हो, तो मैं तुम से जो कहने जा रहा हूँ, वही करो; क्योंकि मैं ईश्वर पर श्रद्धा रखता हूँ।
19 यदि तुम सच्चे हो, तो तुम में से एक भाई यहाँ क़ैद में रहेगा। दूसरे अपने भूखे परिवारों के लिए अनाज ले कर जा सकते हैं,
20 लेकिन तुम्हें अपने कनिष्ठ भाई को मेरे पास ले आना होगा। तभी तुम्हारी बात सच निकलेगी और तुम लोग जीवित रहोगे।” उन्होंने ऐसा ही किया और
21 एक दूसरे से कहा, ”हमने अपने भाई के साथ जो अन्याय किया, उसका दण्ड हम भोग रहे हैं। उसने हम से दया की याचना की और हमने उसकी दुर्गति देख कर भी उसे ठुकराया। इसी से हम यह विपत्ति भोग रहे हैं।”
22 रूबेन ने उन से कहा, ”मैंने तुम लोगों को कितना समझाया कि बच्चे के साथ अन्याय मत करो; किन्तु तुमने मेरी एक भी नहीं मानी और अब हमसे उसके खून का बदला लिया जा रहा है”।
23 उन्होंने एक दुभाषिये का उपयोग किया था, इसलिए उन्हें मालूम नहीं था कि यूसुफ़ उनकी बातें समझ रहा है।
24 यूसुफ़ उन से अलग हो गया और रोने लगा। बाद में उसने लौट कर उन से बातचीत की।
📙सुसमाचार – मत्ती 10:1-7
1 ईसा ने अपने बारह शिष्यों को अपने पास बुला कर उन्हें अशुद्ध आत्माओं को निकालने तथा हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करने का अधिकार प्रदान किया।
2 बारह प्रेरितों के नाम इस प्रकार हैं- पहला, सिमोन, जो पेत्रुस कहलाता है, और उसका भाई अन्द्रेयस; ज़ेबेदी का पुत्र याकूब और उसका भाई योहन;
3 फ़िलिप और बरथोलोमी; थोमस और नाकेदार मत्ती; अलफ़ाई का पुत्र याकूब और थद्देयुस;
4 सिमोन कनानी और यूदस इसकारियोती, जिसने ईसा को पकड़वाया।
5 ईसा ने इन बारहों को यह अनुदेश दे कर भेजा, “अन्य राष्ट्रों के यहाँ मत जाओ और समारियों के नगरों में प्रवेश मत करो,
6 बल्कि इस्राएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के यहाँ जाओ।
7 राह चलते यह उपदेश दिया करो- स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।
8 रोगियों को चंगा करो, मुरदों को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, नरकदूतों को निकालो। तुम्हें मुफ़्त में मिला है, मुफ़्त में दे दो।
9 “अपने फेंटे में सोना, चाँदी या पैसा नहीं रखो।
10 रास्ते के लिए न झोली, न दो कुरते, न जूते, न लाठी ले जाओ; क्योंकि मज़दूर को भोजन का अधिकार है।