टोबीत का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14
अध्याय 4
1 उसी दिन टोबीत को उस धन की याद आयी, जो उसने मेदिया के रागै निवासी गबाएल के पास रखा था।
2 वह मन-ही-मन सोचने लगा कि मैंने मृत्यु के लिए प्रार्थना की है। अब मैं क्यों न अपने पुत्र टोबीयाह को बुला कर अपनी मृत्यु के पहले उसे उस धन के विषय में बता दूँ?
3 उसने उसे बुलाया और उस से कहा, “बेटा! मैं मर जाऊँ, तो मुझे उचित रीति से दफ़ना दोगे। अपनी माँ का आदर करोगे। उसे जीवन भर नहीं छोड़ोगे। वही करते रहोगे, जो उसे प्रिय हो और उसे कभी दुःख नहीं दोगे।
4 बेटा! यह याद रखोगे कि उसे तुम्हारे जन्म से पहले तुम्हारे कारण कितने संकट झेलने पड़े। तुम उसे मृत्यु के बाद मेरी ही क़ब्र में दफ़ना दोगे।
5 बेटा! प्रभु को जीवन भर याद रखोगे। तुम न तो पाप करोगे और न उसकी आज्ञाएँ भंग करोगे। जीवन भर धर्माचरण करोगे और कुमार्ग पर नहीं चलोगे;
6 क्योंकि जो सन्मार्ग पर चलते हैं, वे अपने सब कामों में सफ़ल होते हैं।
7 बेटा! अपनी सम्पत्ति में से भिक्षादान दोगे और किसी कंगाल की उपेक्षा नहीं करोगे, जिससे ईश्वर भी तुम्हारी उपेक्षा नहीं करे।
8 अपनी सम्पत्ति के अनुसार दान दोगे। यदि तुम्हारे पास बहुत हो, तो अधिक दोगे; यदि तुम्हारे पास कम हो, तो कम देने में नहीं हिचकोगे।
9 तुम्हारा यह दान विपत्ति के दिन तुम्हारे लिए एक अच्छी निधि प्रमाणित होगा;
10 क्योंकि भिक्षादान मृत्यु से बचाता और अन्धकार में प्रवेश करने से रोकता है।
11 हर भिक्षादान सर्वोच्च प्रभु की दृष्टि में सर्वोत्तम चढ़ावा है।
12 “बेटा! हर प्रकार के व्यभिचार से दूर रहोगे। पहली बात यह है कि अपने पूर्वजों के कुल में ही विवाह करोगे। किसी भी विजातीय कन्या से, जो तुम्हारे पितृकुल की नहीं है, विवाह नहीं करोगे; क्योंकि हम नबियों की सन्तान हैं। बेटा! याद रखोगे कि हमारे पूर्वज नूह, इब्राहीम, इसहाक और याकूब ने प्राचीन काल में अपने ही कुल में विवाह किया था। उन्हें आशीर्वादस्वरूप पुत्र प्राप्त हुए और उनके वंशज पृथ्वी के अधिकारी बने।
13 बेटा! अपने भाइयों को प्यार करोगे, अपने मन में अपनी जाति के भाइयों और उनके पुत्र-पु़ित्रयों से घृणा नहीं करोगे। बल्कि उनकी कन्याओं के साथ विवाह करने में नहीं हिचकोगे; क्योंकि घमण्ड पतन और अशान्ति की जड़ है। अकर्मण्यता से हानि होती है और बड़े-बड़े अभाव पैदा होते हैं। अकर्मण्यता भुखमरी की जननी है।
14 अपने यहाँ काम करने वाले की मज़दूरी रात भर के लिए भी नहीं रखोगे, बल्कि तुरन्त दोगे। इस से तुम्हारी कोई हानि नहीं होगी। यदि तुम ईश्वर की सच्ची सेवा करोगे, तो तुम्हें इसका प्रतिफल मिलेगा। बेटा! तुम अपने सभी काम सावधानी से करोगे और अपनी सभी बातों में समझदारी का परिचय दोगे।
15 तुम्हें जो बात अप्रिय है, उसे किसी दूसरे के साथ नहीं करोगे। इतनी अंगूरी नहीं पिओगे कि नशा आ जाये। तुम मद्यप नहीं बनोगे।
16 तुम अपनी रोटी में भूखों को खिलाओगे और अपने कपड़ों में से नंगों को पहनाओगे। तुम्हारे पास जो ज़रूरत से अधिक हो, उसे प्रसन्नता से दान दोगे।
17 धर्मी के दफ़न के समय उदारतापूर्वक रोटी और अंगूरी बाँटोगे, किन्तु उसे पापियों को नहीं दोगे।
18 “जो समझदार है, उस से सलाह लोगे और किसी भी सत्परामर्श की उपेक्षा नहीं करोगे।
19 हर समय प्रभु को धन्य कहोगे और उस से प्रार्थना करोगे, जिससे वह तुम्हें सन्मार्ग पर ले चले और तुम्हें सद्बुद्धि आये; क्योंकि तुम्हें प्रभु के सिवा और कोई सत्परामर्श नहीं देगा प्रभु जिसे चाहता है, उसे ऊपर उठाता और जिसे नहीं चाहता है, उसे अधलोक तक नीचे गिरा देता है। बेटा! अब मेरी शिक्षा याद रखो और उसे अपने हृदय से नहीं मिटने दो।
20 “अब मैं तुम्हें उस दस मन चाँदी के विषय में बताता हूँ, जो मैंने मेदिया के रागै-निवासी गबिया के भाई गबाएल के पास रखी है।
21 बेटा! इस से मत घबराओ कि हम ग़रीब हो गये। यदि तुम ईश्वर पर श्रद्धा रखोगे, हर प्रकार के पाप से दूर रहोगे और वही करोगे, जो प्रभु, अपने ईश्वर की दृष्टि में उचित है, तो यह समझ लो कि तुम बड़े धनी हो।”