
पठन योजना में आज पढ़ें :(संत मत्ती 1-4), (सूक्ति-ग्रन्थ 18: 17-20)
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संत मत्ती 1
1 इब्राहीम की सन्तान, दाऊद के पुत्र, ईसा मसीह की वंशावली।
2 इब्राहीम से इसहाक उत्पन्न हुआ, इसहाक से याकूब, याकूब से यूदस और उसके भाई,
3 यूदस और थामर से फ़ारेस और ज़ारा उत्पन्न हुए। फ़ारेस से एस्रोम, एस्रोम से अराम,
4 अराम से अमीनदाब, अमीनदाब से नास्सोन, नास्सोन से सलमोन,
5 सलमोन और रखाब से बोज़, बोज़ और रूथ से ओबेद, ओबेद से येस्से,
6 येस्से से राजा दाऊद उत्पन्न हुआ। दाऊद और उरियस की विधवा से सुलेमान उत्पन्न हुआ।
7 सुलेमान से रोबोआम, रोबोआम से अबीया, अबीया से आसफ़,
8 आसफ़ से योसफ़ात, योसफ़ात से योराम, योराम से ओज़ियस,
9 ओज़ियस से योअथाम, योअथाम से अख़ाज़, अख़ाज़ से एज़िकीअस,
10 एज़िकीअस से मनस्सेस, मनस्सेस से आमोस, आमोस से योसिअस
11 और बाबुल-निर्वासन के समय ओसिअस से येख़ोनिअस और उसके भाई उत्पन्न हुए।
12 बाबुल-निर्वासन के बाद येख़ोनिअस से सलाथिएल उत्पन्न हुआ। सलाथिएल से ज़ोरोबबेल,
13 ज़ोरोबबेल से अबियुद, अबियुद से एलियाकिम,एलियाकिम से आज़ोर,
14 आज़ोर से सादोक, सादोक से आख़िम, आख़िम से एलियुद,
15 एलियुद से एलियाज़ार, एलियाज़ार से मत्थान,मत्थान से याकूब,
16 याकूब से मरियम का पति यूसुफ़, और मरियम से ईसा उत्पन्न हुए, जो मसीह कहलाते हैं।
17 इस प्रकार इब्राहीम से दाऊद तक कुल चौदह पीढ़ियाँ हैं, दाऊद से बाबुल-निर्वासन तक चौदह पीढ़ियाँ और बाबुल-निर्वासन से मसीह तक चौदह पीढ़ियाँ।
18 ईसा मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ। उनकी माता मरियम की मँगनी यूसुफ़ से हुई थी, परन्तु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से
गर्भवती हो गयी।
19 उसका पति यूसुफ़ चुपके से उसका परित्याग करने की सोच रहा था, क्योंकि वह धर्मी था और मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था।
20 वह इस पर विचार कर ही रहा था कि उसे स्वप्न में प्रभु
का दूत यह कहते दिखाई दिया, “यूसुफ़! दाऊद की सन्तान! अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने में नहीं डरें, क्योंकि उनके जो गर्भ है, वह पवित्र आत्मा से है।
21 वे पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम ईसा रखेंगे, क्योंकि वे अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।”
22 यह सब इसलिए हुआ कि नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये –
23 देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ हैः ईश्वर हमारे साथ है।
24 यूसुफ़ नींद से उठ कर प्रभु के दूत की आज्ञानुसार अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया।
25 यूसुफ़ का उस से तब तक संसर्ग नहीं हुआ, जब तक उसने पुत्र प्रसव नहीं किया और यूसुफ़ ने उसका नाम ईसा रखा।
संत मत्ती 2
1 ईसा का जन्म यहूदिया के बेथलेहेम में राजा हेरोद के समय हुआ था। इसके बाद ज्योतिषी पूर्व से येरुसालेम आये
2 और यह बोले, “यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं? हमने उनका तारा उदित होते देखा। हम उन्हें दण्डवत् करने आये हैं।”
3 यह सुन कर राजा हेरोद और सारा येरुसालेम घबरा गया।
4 राजा ने सब महायाजकों और यहूदी जाति के शास्त्रियों की सभा बुला कर उन से पूछा, “मसीह कहाँ जन्म लेंगे?”
5 उन्होंने उत्तर दिया, “यहूदिया के बेथलेहेम में, क्योंकि नबी ने इसके विषय में यह लिखा है-
6 “बेथलेहेम, यूदा की भूमि! तू यूदा के प्रमुख नगरों में किसी से कम नहीं है; क्योंकि तुझ में एक नेता उत्पन्न होगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा बनेगा।”
7 हेरोद ने बाद में ज्योतिषियों को चुपके से बुलाया और उन से पूछताछ कर यह पता कर लिया कि वह तारा ठीक किस समय उन्हें दिखाई दिया था।
8 फिर उसने उन्हें बेथलेहेम भेजते हुए कहा, “जाइए, बालक का ठीक-ठीक पता लगाइए और उसे पाने पर मुझे खबर दीजिए, जिससे मैं भी जा कर उसे दण्डवत् करूँ”।
9 वे राजा की बात मान कर चल दिये। उन्होंने जिस तारे को उदित होते देखा था, वह उनके आगे-आगे चलता रहा, और जहाँ बालक था, उस जगह के ऊपर पहुँचने पर ठहर गया।
10 वे तारा देख कर बहुत आनन्दित हुए।
11 घर में प्रवेश कर उन्होंने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा और उसे साष्टांग प्रणाम किया। फिर अपना-अपना सन्दूक खोल कर उन्होंने उसे सोना, लोबान और गन्धरस की भेंट चढ़ायी।
12 उन्हें स्वप्न में यह चेतावनी मिली कि वे हेरोद के पास नहीं लौटें, इसलिए वे दूसरे रास्ते से अपने देश चले गये।
13 उनके जाने के बाद प्रभु का दूत यूसुफ़ को स्वप्न में दिखाई दिया और यह बोला, “उठिए! बालक और उसकी माता को ले कर मिस्र देश भाग जाइए। जब तक मैं आप से न कहूँ, वहीं रहिए; क्योंकि हेरोद मरवा डालने के लिए बालक को ढूँढ़ने वाला है।”
14 यूसुफ़ उठा और उसी रात बालक और उसकी माता को ले कर मिस्र देश चल दिया।
15 वह हेरोद की मृत्यु तक वहीं रहा, जिससे नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये- मैंने मिस्र देश से अपने पुत्र को बुलाया।
16 हेरोद को यह देख कर बहुत क्रोध आया कि ज्योतिषियों ने मुझे धोखा दिया है। उसने प्यादों को भेजा और ज्योतिषियों से ज्ञात समय के अनुसार बेथलेहेम और आसपास के उन सभी बालकों को मरवा डाला, जो दो बरस के या और भी छोटे थे।
17 तब नबी येरेमियस का यह कथन पूरा हुआ-
18 रामा में रुदन और दारुण विलाप सुनाई दिया, राखेल अपने बच्चों के लिए रो रही है, और अपने आँसू किसी को पोंछने नहीं देती, क्योंकि वे अब नहीं रहे।
19 हेरोद की मृत्यु के बाद प्रभु का दूत मिस्र देश में यूसुफ़ को स्वप्न में दिखाई दिया और
20 यह बोला, “उठिए! बालक और उसकी माता को ले कर इस्राएल देश चले जाइए, क्योंकि वे, जो बालक के प्राण लेना चाहते थे, मर चुके हैं।”
21 यूसुफ़ उठा और बालक तथा उसकी माता को ले कर इस्राएल देश चला आया।
22 उसने सुना कि अरखेलौस अपने पिता के स्थान पर यहूदिया में राज्य करता है; इसलिए उसे वहाँ जाने में डर लगा और स्वप्न में वह चेतावनी पा कर गलीलिया चला गया।
23 वहाँ वह नाज़रेत नामक नगर में जा बसा। इस प्रकार नबियों का यह कथन पूरा हुआ- यह नाज़री कहलायेगा।
संत मत्ती 3
1 उन दिनों योहन बपतिस्ता प्रकट हुआ, जो यहूदिया के निर्जन प्रदेश में यह उपदेश देता था,
2 “पश्चात्ताप करो। स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।”
3 यह वही था, जिसके विषय में नबी इसायस ने कहा था, निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज़- प्रभु का मार्ग तैयार करो; उसके पथ सीधे कर दो।
4 योहन ऊँट के रोओं का कपड़ा पहने और कमर में चमड़े का पट्टा बाँधे रहता था। उसका भोजन टिड्डियाँ और वन का मधु था।
5 येरुसालेम, सारी यहूदिया और समस्त यर्दन प्रान्त के लोग योहन के पास आते
6 और अपने पाप स्वीकार करते हुए यर्दन नदी में उस से बपतिस्मा ग्रहण करते थे।
7 बहुत-से फ़रीसियों और सदूकियों को बपतिस्मा के लिए आते देख कर योहन ने उन से कहा, “साँप के बच्चो! किसने तुम लोगों को आगामी कोप से भागने के लिए सचेत किया?
8 पश्चात्ताप का उचित फल उत्पन्न करो
9 और यह न सोचा करो- ‘हम इब्राहीम की सन्तान हैं’। मैं तुम लोगों से कहता हूँ- ईश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिए सन्तान उत्पन्न कर सकता है।
10 अब पेड़ों की जड़ में कुल्हाड़ा लग चुका है। जो पेड़ अच्छा फल नहीं देता, वह काटा और आग में झोंक दिया जायेगा।
11 मैं तो तुम लोगों को जल से पश्चात्ताप का बपतिस्मा देता हूँ; किन्तु जो मेरे बाद आने वाले हैं, वे मुझ से अधिक शक्तिशाली हैं। मैं उनके जूते उठाने योग्य भी नहीं हूँ। वे तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देंगे।
12 वे हाथ में सूप ले चुके हैं, जिससे वे अपना खलिहान ओसा कर साफ़ करें। वे अपना गेहूँ बखार में जमा करेंगे। वे भूसी को न बुझने वाली आग में जला देंगे।”
13 उस समय, ईसा योहन से बपतिस्मा लेने के लिए गलीलिया से यर्दन के तट पहुँचे।
14 योहन ने यह कहते हुए उन्हें रोकना चाहा, “मुझे तो आप से बपतिस्मा लेने की ज़रूरत है और आप मेरे पास आते हैं?”
15 परन्तु ईसा ने उसे उत्तर दिया, “अभी ऐसा ही होने दीजिए। यह हमारे लिए उचित है कि हम इस तरह धर्मविधि पूरी करें।” इस पर योहन ने ईसा की बात मान ली।
16 बपतिस्मा के बाद ईसा तुरन्त जल से बाहर निकले। उसी समय स्वर्ग खुल गया और उन्होंने ईश्वर के आत्मा को कपोत के रूप में उतरते और अपने ऊपर ठहरते देखा
17 और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, “यह मेरा प्रिय पुत्र है। मैं इस पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
संत मत्ती 4
1 उस समय आत्मा ईसा को निर्जन प्रदेश ले चला, जिससे शैतान उनकी परीक्षा ले ले।
2 ईसा चालीस दिन और चालीस रात उपवास करते रहे। इसके बाद उन्हें भूख लगी
3 और परीक्षक ने पास आ कर उन से कहा, “यदि आप ईश्वर के पुत्र हैं, तो कह दीजिए कि ये पत्थर रोटियाँ बन जायें”।
4 ईसा ने उत्तर दिया, “लिखा है- मनुष्य रोटी से ही नहीं जीता है। वह ईश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीता है।”
5 तब शैतान ने उन्हें पवित्र नगर ले जा कर मन्दिर के शिखर पर खड़ा कर दिया
6 और कहा, “यदि आप ईश्वर के पुत्र हैं, तो नीचे कूद जाइए; क्योंकि लिखा है- तुम्हारे विषय में वह अपने दूतों को आदेश देगा। वे तुम्हें अपने हाथों पर सँभाल लेंगे कि कहीं तुम्हारे पैरों को पत्थर से चोट न लगे।”
7 ईसा ने उस से कहा, “यह भी लिखा है- अपने प्रभु-ईश्वर की परीक्षा मत लो”।
8 फिर शैतान उन्हें एक अत्यन्त ऊँचे पहाड़ पर ले गया और संसार के सभी राज्य और उनका वैभव दिखला कर
9 बोला, “यदि आप दण्डवत् कर मेरी आराधना करें, तो मैं आप को यह सब दे दूँगा”!
10 ईसा ने उत्तर दिया, “हट जा, शैतान! लिखा है- अपने प्रभु-ईश्वर की आराधना करो और केवल उसी की सेवा करो।”
11 इस पर शैतान उन्हें छोड़ कर चला गया और स्वर्गदूत आ कर उनकी सेवा-परिचर्या करते रहे।
12 ईसा ने जब यह सुना कि योहन गिरफ़्तार हो गया है, तो वे गलीलिया चले गये।
13 वे नाज़रेत नगर छोड़ कर, ज़बुलोन और नफ्ताली के प्रान्त में, समुद्र के किनारे बसे हुए कफ़रनाहूम नगर में रहने लगे।
14 इस तरह नबी इसायस का यह कथन पूरा हुआ-
15 ज़बुलोन प्रान्त! नफ्ताली प्रान्त! समुद्र के पथ पर, यर्दन के उस पार, ग़ैर-यहूदियों की गलीलिया!
12 ईसा ने जब यह सुना कि योहन गिरफ़्तार हो गया है, तो वे गलीलिया चले गये।
13 वे नाज़रेत नगर छोड़ कर, ज़बुलोन और नफ्ताली के प्रान्त में, समुद्र के किनारे बसे हुए कफ़रनाहूम नगर में रहने लगे।
14 इस तरह नबी इसायस का यह कथन पूरा हुआ-
15 ज़बुलोन प्रान्त! नफ्ताली प्रान्त! समुद्र के पथ पर, यर्दन के उस पार, ग़ैर-यहूदियों की गलीलिया!
18 गलीलिया के समुद्र के किनारे टहलते हुए ईसा ने दो भाइयों को देखा- सिमोन, जो पेत्रुस कहलाता है, और उसके भाई अन्द्रेयस को। वे समुद्र में जाल डाल रहे थे, क्योंकि वे मछुए थे।
19 ईसा ने उन से कहा, “मेरे पीछे चले आओ। मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊँगा।”
20 वे तुरन्त अपने जाल छोड़ कर उनके पीछे हो लिये।
21 वहाँ से आगे बढ़ने पर ईसा ने और दो भाइयों को देखा- जे़बेदी के पुत्र याकूब और उसके भाई योहन को। वे अपने पिता जे़बेदी के साथ नाव में अपने जाल मरम्मत कर रहे थे। ईसा ने उन्हें बुलाया।
22 वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़ कर उनके पीछे हो लिये।
23 ईसा उनके सभागृहों में शिक्षा देते, राज्य के सुसमाचार का प्रचार करते और लोगों की हर तरह की बीमारी और निर्बलता दूर करते हुए, सारी गलीलिया में घूमते रहते थे।
24 उनका नाम सारी सीरिया में फैल गया। लोग मिर्गी, लक़वा आदि नाना प्रकार की बीमारियों और कष्टों से पीड़ित सब रोगियों को और अपदूतग्रस्तों को ईसा के पास ले आते और वे उन्हें चंगा करते थे।
25 गलीलिया, देकापोलिस, येरुसालेम, यहूदिया और यर्दन के उस पार से आया हुआ एक विशाल जनसमूह उनके पीछे-पीछे चलता था।
सूक्ति-ग्रन्थ 18: 17-20
17 जो पहले अपना पक्ष प्रस्तुत करता है, वह तब तक सच्चा प्रतीत होता है, जब तक दूसरा आ कर उससे पूछताछ न करे?
18 चिट्ठी डालने से झगड़ा समाप्त होता और शक्तिशालियों का विवाद शान्त होता है।
19 रूठा हुआ भाई क़िलाबन्द नगर से भी अधिक अगम्य है। विवाद दुर्ग की अर्गला के सदृश है।
20 मनुष्य का पेट उसके शब्दों के फल से भरता है। वह अपने होंठों की उपज से अपना निर्वाह करता है।