निर्गमन ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • पवित्र बाईबल
अध्याय 7
1 प्रभु ने मूसा से कहा, ”देखो, मैं तुम को फिराउन के लिए ईश्वर-सदृश बनाता हूँ और तुम्हारा भाई हारून तुम्हारी ओर से बोलेगा।
2 मेरी आज्ञा के अनुसार तुम उसे सब कुछ समझा दो और तुम्हारा भाई हारून फिराउन से कहेगा कि वह इस्राएलियों को अपने देश से निकल जाने दे।
3 मैं फिराउन का हृदय कठोर कर दूँगा। मैं मिस्र देश में बहुत-से चिह्न और चमत्कार दिखाऊँगा।
4 यदि इस पर भी फिराउन तुम्हारी बातें नहीं मानेगा, तो मैं मिस्र को दण्ड दूँगा और अपनी प्रजा को न्याय दिला कर बल-प्रदर्शन द्वारा समस्त इस्राएलियों को मिस्र देश से बाहर निकाल लाऊँगा।
5 जिस समय मैं मिस्रियों के विरुद्ध अपना बल प्रदर्शित करूँगा और इस्राएलियों को उनके बीच से निकाल ले जाऊँगा, उस समय मिस्री जान जायेंगे कि मैं ही प्रभु हूँ।”
6 मूसा और हारून ने ठीक वैसा ही किया, जैसी प्रभु की आज्ञा थी।
7 फिराउन से बातचीत के समय मूसा की उमर अस्सी थी और हारून की तिरासी।
8 प्रभु ने मूसा और हारून से कहा,
9 ”जब फिराउन तुम लोगों से कहे कि तुम कोई चमत्कार दिखाओ, तब तुम हारून से यह कहो, ‘अपना डण्डा फिराउन के सामने फेंक दो और वह सर्प बन जायेगा’।”
10 मूसा और हारून प्रभु की आज्ञा के अनुसार फिराउन के पास गये। हारून ने अपना डण्डा फिराउन और उसके पदाधिकारियों के सामने फेंक दिया और वह सर्प बन गया।
11 तब फिराउन ने पण्डितों और जादूगरों को बुलवाया और इन मिस्री जादूगरों ने अपने तन्त्र- मन्त्र से वैसा ही किया।
12 सब ने अपना-अपना डण्डा फेंक दिया और वह सर्प बन गया; लेकिन हारून के डण्डे का सर्प उन लोगों के डण्डों के सर्पों को निगल गया।
13 परन्तु जैसा प्रभु ने पहले ही कहा था, फिराउन का हृदय कठोर बना रहा और उसने उनकी नहीं सुनी।
14 प्रभु ने मूसा से कहा, ”फिराउन का हृदय कठोर हो गया है। वह लोगों को बाहर जाने की अनुमति नहीं देता है।
15 इसलिए जब फिराउन प्रातःकाल नदी जायेगा, तब तुम नदी के किनारे उसकी प्रतीक्षा करो और उस डण्डे को, जो सर्प बन गया था, हाथ में लिये रहो।
16 फिर उस से कहो कि इब्रानियों के ईश्वर प्रभु ने मुझे आपके पास यह आज्ञा दे कर भेजा है – मेरी प्रजा को बाहर जाने दो, जिससे वह निर्जन स्थान जा कर मेरी पूजा कर सके। अब तक आपने हमारी बात नहीं मानी है।
17 इसलिए प्रभु यह कहता है कि इस बात से तुम जान जाओगे कि मैं ही प्रभु हूँ : मैं अपने हाथ का डण्डा नील नदी के पानी पर मारूँगा और पानी रक्त में बदल जायेगा।
18 नील नदी की मछलियाँ मर जायेंगी। नील का पानी इतना गन्दा हो जायेगा कि मिस्री नील नदी का पानी नहीं पी सकेगें।”
19 प्रभु ने मूसा से कहा, ”तुम हारून से कहो – तुम अपना डण्डा हाथ में लो और मिस्र के सब जलाशयों नदियों, नहरों, तालाबों, तलैयों पर अपना हाथ बढ़ाओ, जिससे वे सभी रक्त में बदल जायें। मिस्र देश का पानी, यहाँ तक कि लकड़ी और मिट्टी के बरतनों का पानी भी रक्त में बदल जाये।”
20 मूसा और हारून ने प्रभु की आज्ञा का पालन किया। फिराउन और उसके पदाधिकारियों की आँखों के सामने ही उसने डण्डा उठाया और नील नदी के पानी पर मारा। इस से नील नदी का सारा पानी रक्त में बदल गया।
21 नील की मछलियाँ मर गयी। नील का पानी इतना गन्दा हो गया कि मिस्री लोग नील का पानी नहीं पी सकते थे। सारे मिस्र देश में रक्त ही रक्त था।
22 परन्तु मिस्री जादूगरों ने भी अपने तन्त्र-मन्त्र द्वारा ऐसा ही कर दिखाया। इसलिए, जैसा प्रभु ने कहा था, फिराउन का हृदय कठोर ही बना रहा और उसने उनकी नहीं सुनी।
23 फिराउन अपने महल चला गया और उसने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया।
24 अब मिस्री लोगों में कोई भी नील का पानी कैसे पी सकता था? इसलिए उन लोगों ने पीने के पानी के लिए नदी के निकट गड्ढे खोदे, क्योंकि वे नदी का पानी नहीं पी सकते थे।
25 जब प्रभु के नील नदी पर डण्डा मारने के सात दिन हो चुके,
26 तब प्रभु ने मूसा से कहा, ”फिराउन के पास जा कर कहो कि प्रभु यह कहता है – मेरी प्रजा को बाहर जाने दो, जिससे वह मेरी पूजा कर सके।
27 यदि तुम उसे नहीं जाने दोगे, तो मैं तुम्हारा सारा देश मेंढकों से भर कर लोगों को सताऊँगा।
28 नील नदी मेंढकों से भर जायेगी और वे वहाँ से निकल कर तुम्हारे महल, तुम्हारे शयनकक्ष और तुम्हारी शय्या पर पहुँच जायेंगे। वे तुम्हारे घरों में, चूल्हों और आटा गूँधने के बरतनों में भर जायेंगे।
29 मेंढक तुम्हारी, तुम्हारी प्रजा और तुम्हारे सभी पदाधिकारियों की देह पर चढेंगे ।”