निर्गमन ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • पवित्र बाईबल
अध्याय 20
1 ईश्वर ने मूसा से यह सब कहा,
2 ”मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ। मैं तुमको मिस्र देश से,
गुलामी के घर से, निकाल लाया।
3 मेरे सिवा तुम्हारा कोई ईश्वर नहीं होगा।
4 ”अपने लिये कोई देवमूर्ति मत बनाओ। ऊपर आकाश में या नीचे पृथ्वीतल पर या पृथ्वी के नीचे के जल में रहने वाले किसी भी प्राणी अथवा वस्तु का चित्र मत बनाओ।
5 उन मूर्तियों को दण्डवत् कर उनकी पूजा मत करो; क्योंकि मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर, ऐसी बातें सहन नहीं करता । जो मुझ से बैर करते हैं, मैं तीसरी और चौथी पीढ़ी तक उनकी सन्तति को उनके अपराधों का दण्ड देता हूँ।
6 जो मुझे प्यार करते हैं और मेरी आज्ञाओं का पालन करते हैं, मैं हजार पीढ़ियों तक उन पर दया करता हूँ।
7 प्रभु, अपने ईश्वर, का नाम व्यर्थ मत लो; क्योंकि जो व्यर्थ ही प्रभु का नाम लेता है, प्रभु उसे अवश्य दण्डित करेगा।
8 विश्राम-दिवस को पवित्र मानने का ध्यान रखो।
9 तुम छः दिनों तक परिश्रम करते रहो और अपना सब काम करो;
10 परन्तु सातवाँ दिन तुम्हारे प्रभु-ईश्वर के आदर में विश्राम का दिन है। उस दिन न तो तुम कोई काम करो,
न तुम्हारा पुत्र, न तुम्हारी पुत्री, न तुम्हारा नौकर, न तुम्हारी नौकरानी, न तुम्हारे चौपाये और न तुम्हारे शहर में रहने वाला परदेशी।
11 छः दिनों में प्रभु ने आकाश, पृथ्वी, समुद्र और उन में से जो कुछ है वह सब बनाया है और उसने सातवें दिन विश्राम किया। इसलिए प्रभु ने विश्राम दिवस को आशिष दी है और उसे पवित्र ठहराया है।
12 अपने माता-पिता का आदर करो, जिससे तुम बहुत दिनों तक उस भूमि पर जीते रहो, जिसे तुम्हारा प्रभु ईश्वर तुम्हें प्रदान करेगा।
13 हत्या मत करो।
14 व्यभिचार मत करो।
15 चोरी मत करो।
16 अपने पड़ोसी के विरुद्ध झूठी गवाही मत दो। अपने पड़ोसी के घर-बार का लालच मत करो।
17 न तो अपने पड़ोसी की पत्नी का, न उसके नौकर अथवा नौकरानी का, न उसके बैल अथवा गधे का – उसकी किसी भी चीज़ का लालच मत करो।”
18 जब सब लोगों ने बादलों का गर्जन, बिजलियाँ, नरसिंगे की आवाज़ और पर्वत से निकलता हुआ धुआँ देखा, तो वे भयभीत होकर काँपने लगे। वे कुछ दूरी पर खड़े रहे और
19 मूसा से कहने लगे, ”आप हम से बोलिए और हम आपकी बात सुनेंगे, किन्तु ईश्वर हम से नहीं बोले, नहीं तो हम मर जायेंगे।”
20 मूसा ने लोगों को उत्तर दिया, ”डरो मत; क्योंकि ईश्वर तो तुम्हारी परीक्षा लेने आया है, जिससे तुम्हारे मन में उसके प्रति श्रद्धा बनी रहे और तुम पाप न करो।”
21 लोग दूर ही खड़े रहे, परन्तु मूसा उस सघन बादल के पास पहुँचा, जिस में ईश्वर था।
22 प्रभु ने मूसा से कहा, ”इस्रालियों से कहो कि तुमने स्वयं यह देखा है कि मैं स्वर्ग से तुम लोगों से बोला हूँ।
23 तुम मेरे सिवा चाँदी या सोने के देवता नहीं बनाओगे।
24 मेरे लिए मिट्टी की एक वेदी बनाओ, उस पर होम और शांति-बलि-अपनी भेड़-बकरियँा और बैल चढ़ाओ। ऐसे हर स्थान पर, जिसे मैं अपनी पूजा के लिए निश्चित करूँगा, मैं तुम्हारे पास आ कर तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।
25 यदि तुम मेरे लिए पत्थरों की वेदी बनाओगे, तो उसे तराशे हुए पत्थरों से नहीं बनाओगे, क्योंकि जब तुुम उन को किसी औज़ार से तराशोगे, तो वह अपवित्र हो जायेगी।
26 तुम मेरी वेदी पर सीढ़ियों से नहीं चढ़ोगे। कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी नग्नता प्रकट हो जाये।