निर्गमन ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • पवित्र बाईबल
अध्याय 29
1 ”मेरे याजक बनने के लिए उनका अभिषेक इस प्रकार हो। यह सामग्री तैयार करवाओ – एक बछड़ा, दो अदोष मेढ़े,
2 गेहूँ के मैदे से बनी हुई बेख़मीर रोटियाँ, तेल-मिश्रित बेख़मीर पूरियाँ और तेल से चुपड़ी हुई चपातियाँ।
3 उन्हें एक टोकरी में रखवाओ। बछड़े और मेढ़ों के साथ वह टोकरी मेरे पास लाओ।
4 इसके बाद हारून और उसके पुत्रों को दर्शन-कक्ष के द्वार पर पहुँचाओ और उन्हें जल से नहलाओ।
5 फिर वस्त्र ले कर हारून को कुरता, अँगरखा, एफ़ोद और वक्षपेटिका पहनाओ। कलात्मक ढंग से बने कमरबन्द से एफ़ोद को हारून पर बाँधो।
6 उसके सिर पर पगड़ी रखो और उस पर स्वर्ण-पुष्प लगाओ।
7 अभ्यंजन का तेल ले कर उसे उसके सिर पर उँड़ेलते हुए उसका अभिषेक करो।
8 उसके पुत्रों को अपने पास बुलाओ और उन्हें कुरते पहनाओ।
9 हारून और उसके पुत्रों के शरीर पर कमरबन्द बाँधो और उन को पगड़ी पहनाओ। एक चिरस्थायी विधान द्वारा उन्हें याजक का पद प्राप्त होगा। तुम इस प्रकार हारून और उसके पुत्रों का अभिषेक करोगे।
10 ”तब बछड़ा दर्शन-कक्ष के सामने ले आओ। हारून और उसके पुत्र बछड़े के सिर पर अपने हाथ रखेंगे;
11 फिर दर्शन-कक्ष के द्वार पर प्रभु के सामने इस बछड़े की बलि चढ़ाओ।
12 बछड़े के रक्त से थोड़ा ले कर अँगुली से उसे वेदी के सींगों पर लगाओ और शेष सब रक्त वेदी के निचले भाग पर उँड़ेलो।
13 अँतड़ियों के आसपास की सारी चरबी, जिगर की झिल्ली, दोनों गुरदे और उन पर की चरबी – यह सब वेदी पर रख कर जलाओ।”
14 बछड़े का मांस, उसकी खाल और उसका गोबर शिविर के बाहर आग में जलाओ, क्योंकि यह प्रायश्चित्त का बलिदान है।
15 ”एक मेढ़ा ले आओ। हारून और उसके पुत्र मेढ़े के सिर पर अपने हाथ रखेंगे।
16 इसके बाद मेढ़े की बलि चढ़ाओ और उसका रक्त वेदी के चारों ओर छिड़को।
17 मेढ़े के टुकड़े-टुकड़े कर दो। उसकी अँतड़ियाँ और उसके पैर धो कर उन्हें दूसरे टुकड़ों और सिर के साथ रखो।
18 इसके बाद पूरा-का-पूरा मेढ़ा वेदी पर जला दो। यह प्रभु के लिए एक होम-बलि, एक सुगन्धयुक्त चढ़ावा है, जो उसे ग्राह्य है।
19 ”इसके बाद दूसरा मेढ़ा ले आओ। हारून और उसके पुत्र उस मेढ़े के सिर पर भी अपने हाथ रखेंगे।
20 इसके बाद मेढ़े की बलि चढ़ाओ और उसके रक्त से थोड़ा लेकर हारून और उसके पुत्रों के दाहिने कान की लौ पर लगाओ। उसे उनके दाहिने हाथों के अँगूठों और दाहिने पाँवों के अँगूठों पर भी लगाओ। शेष रक्त वेदी के चारों ओर छिड़को।
21 वेदी पर छिड़के हुए रक्त और अभ्यंजन तेल से कुछ ले कर हारून और उसके वस्त्रों तथा उसके पुत्रों और उसके पुत्रों के वस्त्रों पर छिड़को। इस प्रकार वह, उसके वस्त्र, उसके पुत्र और उनके वस्त्र पवित्र हो जायेंगे।
22 ”तब अभिषेक के मेढ़े की चरबी लो, अर्थात् उसकी पूँछ, अँतड़ियों के आसपास की चरबी, जिगर की झिल्ली, दोनों गुरदे और उन पर की चरबी तथा दाहिनी जाँघ।
23 फिर प्रभु के सामने रखी टोकरी से, जिस में बेख़मीर रोटियाँ हैं, एक रोटी, एक तेल-मिश्रित पूरी और एक चपाती निकालो।
24 यह सब हारून और उसके पुत्रों के हाथों में रखो और वे उसे प्रभु के सामने हिला-हिला कर अर्पित करेंगे।
25 फिर उन सब चीज़ों को उनके हाथों से ले कर होम के साथ वेदी पर जलाओ। यह होम-बलि है, एक सुगन्धयुक्त चढ़ावा, जो प्रभु को ग्राह्य है।
26 हारून के अभिषेक में प्रयुक्त मेढ़े का सीना ले कर उसे प्रभु के सामने हिला-हिला कर अर्पित करो। यह तुम्हारा भाग होगा।
27 “मेढ़े का सीना और उसकी जाँघ अलग करो।
28 यह इस्राएलियों द्वारा प्रभु को अर्पित बलिदानों का वह भाग है, जिसे वे हारून और उसके पुत्रों को दिया करें।
29 “हारून के पवित्र वस्त्र बाद में उसके पुत्रों को मिलेंगे। उन्हें पहन कर उनका अभिषेक किया जायेगा और उन्हें यज्ञाधिकार प्रदान किया जायेगा।
30 जब वह पुत्र, जो उसके स्थान पर याजक बनेगा, पवित्र-स्थान में सेवा करने के लिए दर्शन-कक्ष में प्रवेश करेगा, तो उन्हें सात दिन तक धारण करेगा।
31 “तुम अभिषेक के मेढ़े के माँस को एक पवित्र स्थान में पकाओ।
32 दर्शन-कक्ष के द्वार पर हारून और उसके पुत्र मेढ़े का मांस और टोकरी में रखी हुई रोटियाँ खायेंगे।
33 वे अपने अभिषेक और अधिकार-प्रदान के लिए आयोजित प्रायश्चित्त-विधि में प्रयुक्त पदार्थों को खायें।
वे पवित्र है, इसलिए अनधिकारी उन्हें नहीं खा सकता।
34 यदि अभिषेक के मेढ़े मांस या रोटी में से सबेरे तक कुछ बच जाये, तो वह बचा हुआ भाग आग में जला दिया जाये। वह पवित्र है, उसे कोई नहीं खा सकता।
35 “मैंने तुम्हें जैसा आदेश दिया है, ठीक उसी तरह हारून और उसके पुत्रों के साथ करो। तुम सात दिन में उनके अभिषेक की क्रिया पूरी करो।
36_37 “प्रत्येक दिन पाप के प्रायश्चित के लिए एक बछड़े की बलि चढ़ाओ। वेदी को प्रतिष्ठित करने के लिए सात दिन तक प्रायश्चित्त की बलि चढ़ाओ और सात बार वेदी का अभ्यंजन करो। इस प्रकार वह वेदी परमपवित्र बन जायेगी। जो कुछ वेदी का स्पर्श करेगा, वह पवित्र हो जायेगा।
38 “तुम नियमित रूप से वेदी पर यह बलिदान चढ़ाओ – प्रतिदिन दो मेमने,
39 एक मेमना प्रातः और एक मेमना सन्ध्या को।
40 पहले मेमने के साथ एक सेर जैतून के तेल से सना हुआ दो सेर मैदा चढ़ाओ और अर्घ के रूप में एक सेर अंगूरी।
41 दूसरा मेमना सन्ध्या में चढ़ाओ। उसके साथ प्रातःकाल के समान ही अन्न-बलि और अर्घ चढ़ाओ। वह एक सुगन्धयुक्त होम-बलि है, जो प्रभु को ग्राह्य है।
42 दर्शन-कक्ष के द्वार पर, जहाँ मैं तुम से मिला करता हूँ और जहाँ मैं तुम्हारे साथ बातें करता हूँ, वहाँ प्रभु के सामने नित्य-प्रति, पीढ़ी-दर-पीढ़ी, यह होम-बलि चढ़ायी जाये।
43 वहाँ मैं इस्राएलियों से मिलने आऊँगा और वह स्थान मेरी महिमा के कारण पवित्र होगा।
44 मैं दर्शन-कक्ष और वेदी को पवित्र करूँगा। मैं हारून और उसके पुत्रों को भी पवित्र करूँगा, जिससे वे मेरे याजक हो सकें।
45 मैं इस्राएलियों के बीच रहूँगा और मैं उनका ईश्वर होऊँगा।
46 वे जान जायेंगे कि मैं ही प्रभु, उनका वह ईश्वर हूँ, जो उन्हें मिस्र देश से इसलिए निकाल लाया है, जिससे मैं प्रभु, उनका ईश्वर, उनके बीच निवास करूँ।