निर्गमन ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 • 232425262728293031323334353637383940पवित्र बाईबल  

अध्याय 30

1 “सुगन्धित द्रव्य जलाने के लिए बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनवाओ।
2 वह वर्गाकार – एक हाथ लम्बी, एक हाथ चौड़ी और दो हाथ ऊँची हो। उसके सींग एक ही काष्ठ-खण्ड के बने हों।
3 उसका ऊपरी भाग, उसके चारों पहलू और उसके सींग शुद्ध सोने से मढ़वाओ तथा उसके चारों ओर सोने की किनारी लगवाओ।
4 उसके लिए सोने के दो कड़े बनवाओ और उन्हें किनारी के नीचे दोनों तरफ़ लगवाओ। वे डण्डों के घर हो जाये, जिन से वह उठायी जा सके।
5 इन डण्डों को बबूल की लकड़ी से बनवा कर उन्हें सोने से मढ़वाओ।
6 उसे विधान की मंजूषा के सामने लटके हुए अन्तरपट के आगे रखवाओ, अर्थात् विधान की मंजूषा पर रखे छादन-फलक के आगे, जहाँ मैं तुम से मिला करूँगा।
7 इस पर हारून प्रतिदिन सबेरे, जब वह दीपक ठीक करता है, तब सुगन्धित द्रव्य जलाये
8 और साँझ को, जब वह दीपक जलाता है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रभु के सामने चिरस्थायी सुगन्धयुक्त चढ़ावा है।
9 इस पर तुम कोई अपवित्र धूप मत जलाओ और न होम-बलि, नैवैद्य या अर्घ चढ़ाओ।
10 प्रति वर्ष एक बार हारून इसके सींगों पर प्रायश्चित्त की क्रिया पूरा करेगा। यह वार्षिक प्रायश्चित्त-विधि पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रायश्चित्त की बलि के रक्त से सम्पन्न की जायेगी। इस कारण वेदी प्रभु की दृष्टि में परमपवित्र है।”
11 प्रभु ने मूसा से यह कहा,
12 “जब तुम इस्राएलियों की जनगणना करते हो, तो हर एक प्रभु को रक्षा-शुल्क चुकाये, जिससे गणना के समय उस पर कोई विपत्ति न आ पड़े।
13 जिनका नामांकन किया जाता है, उन में हर एक पवित्र-स्थान में प्रयुक्त तौल के अनुसार आधा शेकेल प्रभु को अर्पित करे। (एक शेकेल की तौल लगभग ग्यारह ग्राम है।)
14 जिनका नामांकन होता है, अर्थात् जिनकी अवस्था बीस वर्ष या उस से अधिक है, वे प्रभु को चढ़ावा दें।
15 प्रभु के रक्षा-शुल्क के रूप में धनी आधे शेकेल से अधिक न दें और दरिद्र इस से कम न दें।
16 इस्राएलियों से यह रक्षा-शुल्क लो और दर्शन-कक्ष के लिए इसका उपयोग करो। यह रक्षा-शुल्क प्रभु को इस्राएलियों का स्मरण दिलाता रहेगा।”
17 प्रभु ने मूसा से यह कहा,
18 ”प्रक्षालन के लिए काँसे की चिलमची और उसके साथ काँसे की चौकी बनवाओ। उसे दर्शन-कक्ष और वेदी के नीचे रखवाओ और उस में जल भरवाओ।
19 हारून और उसके पुत्र उस में से पानी ले कर अपने हाथ-पाँव धोयेंगे।
20 दर्शन-कक्ष में प्रवेश करने से पहले वे जल से हाथ-पैर धोयें, नहीं तो उनकी मृत्यु हो जायेगी। इसी प्रकार जब वे प्रभु को होम-बलि चढ़ाने वेदी के निकट आयें,
21 तो ऐसा ही करें, नहीं तो उनकी मृत्यु हो जायेगी। यह हारून और उसके वंशजों के लिए पीढ़ी-दर-पीढ़ी चिरस्थायी आदेश है।”
22 तब प्रभु ने मूसा से यह कहा,
23_24 ”ये उत्तम मसाले लो, जिनकी तौल पवित्र-स्थान की तौल के अनुसार हो : पाँच सौ शेकेल स्वच्छ गन्धरस, इसका आधा अर्थात् ढाई सौ शेकेल सुगन्धित दारचीनी और ढाई सौ शेकेल सुगन्धित अगरु, पाँच सौ शेकेल तेजपात और चार सेर जैतून का तेल।
25 इन्हें मिला कर किसी इतरसाज़ द्वारा सुगन्धित पवित्र अभ्यंजन-तेल बनवाओ।
26_28 इस तेल से दर्शन-कक्ष, विधान की मंजूषा, मेज़ और दीपवृक्ष, उनके सारे सामान, धूप-वेदी, होम-बलि की वेदी और उसके सारे सामान, चिलमची और उसकी चौकी का विलेपन करो।
29 तुम इस प्रकार उनका अभ्यंजन करोगे और वे परमपवित्र बन जायेंगे। जो कुछ उनका स्पर्श करेगा, वह पवित्र हो जायेगा।
30 हारून और उसके पुत्रों का अभ्यंजन करो, जिससे वे याजक बन कर मेरी सेवा कर सकें।
31 इस्राएलियों से यह कहो कि यह भावी पीढ़ियों के लिए मेरा पवित्र अभ्यंजन का तेल होगा।
32 यह किसी सामान्य मनुष्य के शरीर पर न लगाया जाये और इस प्रकार के सम्मिश्रण से कोई दूसरा तेल मत बनाओ, क्योंकि यह पवित्र है और तुम भी इसे पवित्र मानोगे।
33 जो ऐसा तेल तैयार करेगा और जो उसे याजक के सिवा किसी अन्य मनुष्य पर लगायेगा, वह अपनी जाति से बहिष्कृत कर दिया जायेगा।”
34 प्रभु ने मूसा से यह कहा, ”तुम ये सुगन्धित मसाले लो – गन्धरस, नखी, गन्धा-बिरोजा, गन्ध द्रव्य और शुद्व लोबान। इन सब की मात्रा बराबर हो।
35 इन में नमक लगवा कर किसी इतरसाज़ द्वारा सुगन्धित लोबान बनवाओ, जो शुद्ध और पवित्र हो।
36 फिर उस में कुछ पीस कर चूर्ण बनवाओ और उसे दर्शन-कक्ष में विधान-मंजूषा के सामने रखो, जहाँ मैं तुम से मिलूँगा। वह तुम्हारे लिए परमपवित्र होगा।
37 इस प्रकार के सम्मिश्रण से अपने लिए लोबान
मत बनवाओ; उसे प्रभु को अर्पित समझो।
38 जो उसकी सुगन्ध का आनन्द प्राप्त करने के लिए ऐसा लोबान तैयार करेगा, वह अपनी जाति से बहिष्कृत कर दिया जायेगा।”