ग्यारहवाँ सामान्य सप्ताह

आज के संत: संत ग्रेगोरी बारबारिगो

📒 पहला पाठ- 2 कुरिंथियों 8: 1-9

1 भाइयो! मैं आप लोगों को उस अनुग्रह के विषय में बताना चाहता हूँ, जिसे ईश्वर ने मकेदूनिया की कलीसियाओं को प्रदान किया है।

2 संकटों की अग्नि-परीक्षा में भी उनका आनन्द अपार रहा और तंगहाली में रहते हुए भी उन्होंने बड़ी उदारता का परिचय दिया है।

3 उन्होंने अपने सामर्थ्य के अनुसार, बल्कि उस से भी अधिक, चन्दा दिया है।

4 उन्होंने स्वयं ही बड़े आग्रह के साथ मुझसे अनुरोध किया कि उन्हें भी सन्तों की सहायता के लिए चन्दा देने का सौभाग्य मिले।

5 वे अपनी उदारता में हमारी आशा से बहुत अधिक आगे बढ़ गये। उन्होंने पहले ईश्वर के प्रति और बाद में, ईश्वर की इच्छा के अनुसार, हमारे प्रति अपने को अर्पित किया।

6 इसलिए हमने तीतुस से अनुरोध किया है कि उन्होंने जिस परोपकार का कार्य प्रवर्तित किया था, वह उस को आप लोगों के बीच पूरा कर दें।

7 आप लोग हर बात में- विश्वास, अभिव्यक्ति, ज्ञान, सब प्रकार की धर्म-सेवा और हमारे प्रति प्रेम में बढ़े-चढ़ें हैं; इसलिए आप लोगों को इस परोपकार में भी बड़ी उदारता दिखानी चाहिए।

8 मैं इस सम्बन्ध में कोई आदेश नहीं दे रहा हूँ, बल्कि दूसरे लोगों की उदारता की चर्चा कर मैं आपके प्रेम की सच्चाई की परीक्षा लेना चाहता हूँ।

9 आप लोग हमारे प्रभु ईसा मसीह की उदारता जानते हैं। वह धनी थे, किन्तु आप लोगों के कारण निर्धन बन गये, जिससे आप उनकी निर्धनता द्वारा धनी बन गये।

📙सुसमाचार – मत्ती 5:43-48

43 “तुम लोगों ने सुना है कि कहा गया है- अपने पड़ोसी से प्रेम करो और अपने बैरी से बैर।

44 परन्तु मैं तुम से कहता हूँ- अपने शत्रुओं से प्रेम करो और जो तुम पर अत्याचार करते हैं, उनके लिए प्रार्थना करो।

45 इस से तुम अपने स्वर्गिक पिता की सन्तान बन जाओगे; क्योंकि वह भले और बुरे, दोनों पर अपना सूर्य उगाता तथा धर्मी और अधर्मी, दोनों पर पानी बरसाता है।

46 यदि तुम उन्हीं से प्रेम करते हो, जो तुम से प्रेम करते हैं, तो पुरस्कार का दावा कैसे कर सकते हो? क्या नाकेदार भी ऐसा नहीं करते?

47 और यदि तुम अपने भाइयों को ही नमस्कार करते हो, तो क्या बड़ा काम करते हो? क्या गै़र-यहूदी भी ऐसा नहीं करते?

48 इसलिए तुम पूर्ण बनो, जैसे तुम्हारा स्वर्गिक पिता पूर्ण है।