पन्द्रहवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत कामिल दे लेल्लिस
📙पहला पाठ- निर्गमन 1: 8-14
8 मिस्र देश में एक नये राजा का उदय हुआ, जो यूसुफ़ के विषय में कुछ नहीं जानता था।
9 उसने अपनी प्रजा से कहा, सुनो ये इस्राएली संख्या और शक्ति में हम से अधिक हो गये हैं।
10 हमें ऐसा उपाय सोच निकालना चाहिए, जिससे उनकी संख्या न बढ़ने पाये। कहीं ऐसा न हो कि युद्व छिड़ने पर ये हमारे शत्रुओं का साथ दें और हमारे विरुद्ध लड़ने के बाद देश से निकल भागें।
11 उन्होंने इस्राएलियों पर ऐसे अधिकारियों को नियुक्त किया, जो उन्हें बेगार में लगा कर उनका दमन करें। इस्राएलियों ने इस प्रकार फिराउन के लिए पितोम और रामसेस नामक गोदाम वाले नगर बनाये।
12 किन्तु उन पर जितना अधिक अत्याचार किया जाता था, उतना ही अधिक वे संख्या में बढ़ते और फैलते जाते थे। इस करण मिस्री उन से डरने लगे।
13 उन्होंने इस्राएलियों को बेगार में लगाया।
14 और उन से कठोर परिश्रम करा कर उनका जीवन कड़वा बना दिया। उन्होंने गारा और ईट बनाने और खेत में हर प्रकार का काम करने के लिए उन्हें बाध्य किया।
📒सुसमाचार – मत्ती 10:34-11:1
34 “यह न समझो कि मैं पृथ्वी पर शान्ति ले कर आया हूँ। मैं शान्ति नहीं, बल्कि तलवार ले कर आया हूँ।
35 मैं पुत्र और पिता में, पुत्री और माता में, बहू और सास में फूट डालने आया हूँ।
36 मनुष्य के घर वाले ही उसके शत्रु बन जायेंगे।
37 “जो अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं। जो अपने पुत्र या अपनी पुत्री को मुझ से अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं।
38 जो अपना क्रूस उठा कर मेरा अनुसरण नहीं करता, वह मेरे योग्य नहीं।
39 जिसने अपना जीवन सुरक्षित रखा है, वह उसे खो देगा और जिसने मेरे कारण अपना जीवन खो दिया है, वह उसे सुरक्षित रख सकेगा।
40 “जो तुम्हारा स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है, वह उसका स्वागत करता है, जिसने मुझे भेजा है।
41 जो नबी का इसलिए स्वागत करता है कि वह नबी है, वह नबी का पुरस्कार पायेगा और जो धर्मी का इसलिए स्वागत करता है कि वह धर्मी है, वह धर्मी का पुरस्कार पायेगा।
42 “जो इन छोटों में से किसी को एक प्याला ठंडा पानी भी इसलिए पिलायेगा कि वह मेरा शिष्य है, तो मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि वह अपने पुरस्कार से वंचित नहीं रहेगा।”
1 अपने बारह शिष्यों को ये अनुदेश देने के बाद ईसा यहूदियों के नगरों में शिक्षा देने और सुसमाचार का प्रचार करने वहाँ से चल दिये।