अठारहवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत दोमनिक


📒पहला पाठ- विधि विवरण 4: 32-40

32 “ईश्वर ने जब पृथ्वी पर मनुष्य की सृष्टि की थी, तुम सब से ले कर अपने पहले के प्राचीन युगों का हाल पूछो। क्या पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक कभी इतनी अद्भुत घटना हुई है?
33 क्या इस प्रकार की बात कभी सुनने में आयी है? क्या और कोई ऐसा राष्ट्र है, जिसने तुम लोगों की तरह अग्नि में से बोलते हुए ईश्वर की वाणी सुनी और जीवित बच गया हो?
34 ईश्वर ने आतंक दिखा कर, विपत्तियों, चिन्हों, चमत्कारों और युद्धों के माध्यम से, अपने सामर्थ्य तथा बाहुबल द्वारा तुम लोगों को मिस्र देश से निकाल लिया है – यह सब तुमने अपनी आँखों से देखा है। क्या और कोई ऐसा ईश्वर है, जिसने इस तरह किसी दूसरे राष्ट्र में से अपना राष्ट्र चुना हो?
35 “यह सब तुम लोगों को इसलिए देखने को मिला कि तुम जान जाओ कि प्रभु ही ईश्वर है। उसके सिवा और कोई ईश्वर नहीं है।
36 तुम्हें शिक्षा देने के लिए उसने आकाश से तुम को अपनी वाणी सुनायी और पृथ्वी पर तुम को वह महान् अग्नि दिखायी, जिस में से तुमने उसे बातें करते सुना है।
37 उसने तुम्हारे पूर्वजों को प्यार किया और उनके वंशजों को चुन लिया, इसलिए उसने अपना सामर्थ्य प्रकट किया और वह स्वयं तुम लोगों को मिस्र से निकाल लाया।
38 उसने तुम्हारे सामने से ऐसे राष्ट्रों को भगा दिया, जो तुम से अधिक महान और शक्तिशाली थे। उसने तुम को उनके देश में पहुँचा दिया और अब उसे विरासत के रूप में तुम्हें प्रदान किया।
39 आज यह जान लो और इस पर मन-ही-मन विचार करो कि ऊपर आकाश में तथा नीचे पृथ्वी पर प्रभु ही ईश्वर है; उसके सिवा कोई और ईश्वर नहीं है।
40 मैं तुम लोगों को आज उसके नियम और आदेश सुनाता हूँ। तुम उनका पालन किया करो, जिससे जो देश तुम्हारा प्रभु-ईश्वर तुम्हें सदा के लिए देने वाला है, उस में तुम को और तुम्हारे पुत्रों को सुख-शांति तथा लम्बी आयु मिल सकें।”


📙सुसमाचार – मत्ती 16:24-28

24 इसके बाद ईसा ने अपने शिष्यों से कहा, “जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले; 

25 क्योंकि जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसे सुरक्षित रखेगा।

26 मनुष्य को इस से क्या लाभ यदि वह सारा संसार प्राप्त कर ले, लेकिन अपना जीवन ही गँवा दे? अपने जीवन के बदले मनुष्य दे ही क्या सकता है? 

27 क्योंकि मानव पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा-सहित आयेगा और वह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्म का फल देगा। 

28 मैं तुम से यह कहता हूँ- यहाँ कुछ ऐसे लोग विद्यमान हैं, जो तब तक नहीं मरेंगे, जब तक वे मानव पुत्र को राजकीय प्रताप के साथ आता हुआ न देख लें।”