पच्चीसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: प्येतेलदिना का संत पियुस
📒पहला पाठ- एजा. 6: 7-8, 12, 14-20
7 यहूदियों के राज्यपाल और उनके नेताओं को ईश्वर का वह मन्दिर बनाने दें। वे उसे उसके मूल स्थान पर फिर बनायें।
8 ईश्वर के उस मन्दिर का निर्माण करने वाले यहूदी नेताओं के साथ आपके व्यवहार के विषय में मेरी राजाज्ञा इस प्रकार हैः राजकीय सम्पत्ति से-अर्थात् नदी के उस पार के राजस्व से-उन लोगों का पूरा-पूरा ख़र्च तत्काल चुकाया जाये।
12 यदि कोई राजा या प्रजा इस राजाज्ञा में परिवर्तन करे या येरुसालेम में इस मन्दिर का विनाश करे, तो वह ईश्वर, जिसने वहाँ अपना नाम प्रतिष्ठित किया, उनका सर्वनाश करे! मैं -दारा-ने यह राजाज्ञा निकाली। इसका अक्षरशः पालन किया जाये।”
14 नबी हग्गय और इद्दो के पुत्र नबी ज़कर्या की प्रेरणा से यहूदी नेता मन्दिर के निर्माण-कार्य को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाते रहे। उन्होंने वह कार्य पूरा किया, जिसे इस्राएल के ईश्वर और फ़ारस के राजा सीरुस, दारा और अर्तज़र्क़सीस ने उन्हें सौंपा था।
15 राजा दारा के छठे वर्ष, अदार महीने के तीसरे दिन, मन्दिर का निर्माण-कार्य पूरा हो गया।
16 इस्राएलियों-याजकों, लेवियों तथा अन्य लौटे हुए निर्वासितों-ने आनन्द के साथ ईश्वर के मन्दिर का प्रतिष्ठान-पर्व मनाया।
17 ईश्वर के इस मन्दिर के प्रतिष्ठान के समय उन्होंने एक सौ सांँड़ों, दो सौ मेढ़ों, चार सौ मेमनों और इस्राएल के वंशों की संख्या के अनुसार समस्त इस्राएल के पापों के प्रायश्चित्त के लिए बारह बकरों की बलि चढ़ायी।
18 इसके बाद उन्होंने येरुसालेम में ईश्वर के मन्दिर के लिए याजकों और लेवियों को अपने दलों में विभाजित किया, जैसा कि मूसा के ग्रन्थ में लिखा हुआ है।
19 लौटे हए निर्वासितों ने प्रथम महीने के चौदहवें दिन पास्का-पर्व मनाया।
20 याजकों और लेवियों ने शुद्धीकरण की रीतियों को पूरा किया। वे सब-के-सब शुद्ध हो गये। लेवियों ने लौटे हुए निर्वासितों, अपने साथी याजकों और अपने लिए पास्का के मेमने का वध किया।
📙सुसमाचार- लूकस 8: 19-21
19 ईसा की माता और भाई उन से मिलने आये, किन्तु भीड़ के कारण उनके पास नहीं पहुँच सके।
20 लोगों ने उन से कहा, “आपकी माता और आपके भाई बाहर हैं। वे आप से मिलना चाहते हैं।”
21 उन्होंने उत्तर दिया, “मेरी माता और मेरे भाई वहीं हैं, जो ईश्वर का वचन सुनते और उसका पालन करते हैं”।