सत्ताईसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत फ्रांसिस बोर्जिया
📒पहला पाठ- योएल 1: 13-15; 2: 1-2
13 याजको! टाट ओढ कर शोक मनाओ। वेदी के सेवको! विलाप करो। मेरी ईश्वर के सेवको, शोक के वस्त्र पहन कर रात बिताओ; क्योंकि तुम्हारे ईश्वर का मन्दिर नैवेद्य और तर्पण से वंचित हो गया है।
14 उपवास की घोषण करो, सभा बुलाओ, बूढों और देश के सभी निवासियों को अपने-प्रभु-ईश्वर के मंदिर में एकत्र करो और प्रभु की दुहाई दो।
15 हाय! वह दिन आ गया है। प्रभु का दिन निकट आ रहा है। वह सर्वशक्तिमान् की विनाश-लीला की तरह आ रहा है।
1 सियोन में तुरही बजाओ। मेरे पवित्र पर्वत्र पर खतरे का घण्टा बजा दो। देश के सभी निवास काँप उठें, क्योंकि प्रभु का दिन आ रहा है, वह निकट आ गया है।
2 वह अंधकार और विषाद का दिन है। वह बादलों और अन्धेरे का दिन है। एक बहुसंख्यक और शक्तिशाली सेना काले बादल की तरह पर्वतों पर फैल रही है। इस प्रकार की सेना न पहले कभी थी और न अनन्त काल तक फिर कभी होगी।
📙सुसमाचार- लूकस 11: 15-26
15 परन्तु उन में से कुछ ने कहा, “यह अपदूतों के नायक बेलज़ेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालता है”।
16 कुछ लोग ईसा की परीक्षा लेने के लिए उन से स्वर्ग की ओर का कोई चिह्न माँगते रहे।
17 उनके विचार जान कर ईसा ने उन से कहा, “जिस राज्य में फूट पड़ जाती है, वह उजड़ जाता है और घर के घर ढह जाते हैं।
18 यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करने लगे, तो उसका राज्य कैसे टिका रहेगा? तुम कहते हो कि मैं बेलजे़बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ।
19 यदि मैं बेलजे़बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसी सहायता से उन्हें निकालते हैं? इसलिए वे तुम लोगों का न्याय करेंगे।
20 परन्तु यदि मैं ईश्वर के सामर्थ्य से अपदूतों को निकालता हूँ, तो निस्सन्देह ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है।
21 “जब बलवान् मनुष्य हथियार बाँधकर अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी धन-सम्पत्ति सुरक्षित रहती है।
22 किन्तु यदि कोई उस से भी बलवान् उस पर टूट पड़े और उसे हरा दे, तो जिन हथियारों पर उसे भरोसा था, वह उन्हें उस से छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है।
23 “जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है।
24 “जब अशुद्ध आत्मा किसी मनुष्य से निकलता है, तो वह विश्राम की खोज में निर्जन स्थानों में भटकता फिरता है। विश्राम न मिलने पर वह कहता है, ’जहाँ से निकला हूँ, अपने उसी घर वापस जाऊँगा’।
25 लौटने पर वह उस घर को झाड़ा-बुहारा और सजाया हुआ पाता है।
26 तब वह जा कर अपने से भी बुरे सात अपदूतों को ले आता है और वे उस घर में घुस कर वहीं बस जाते हैं और उस मनुष्य की यह पिछली दशा पहली से भी बुरी हो जाती है।”