अट्ठाईसवाँ सामान्य सप्ताह
आज की संत: अविला की संत तेरेसा (शालिनी)
📒पहला पाठ- रोमियों 3: 21-30
21 ईश्वर का मुक्ति-विधान, जिसके विषय में मूसा की संहिता और नबियों ने साक्ष्य दिया था, अब संहिता के स्वतन्त्र रूप में प्रकट किया गया है।
22 यह मुक्ति ईसा मसीह में विश्वास करने से प्राप्त होती है। अब भेदभाव नहीं रहा। यह मुक्ति उन सबों के लिए है, जो विश्वास करते है;
23 क्योंकि सबों ने पाप किया और सब ईश्वर की महिमा से वंचित किये गये।
24 ईश्वर की कृपा से सबों को मुफ्त में पापमुक्ति का वरदान मिला है; क्योंकि ईसा मसीह ने सबों का उद्धार किया है।
25 ईश्वर ने चाहा कि ईसा अपना रक्त बहा कर पाप का प्रायश्चित्त करें और हम विश्वास द्वारा उसका फल प्राप्त करें। ईश्वर ने इस प्रकार अपनी न्यायप्रियता का प्रमाण दिया; क्योंकि उसने अपनी सहनशीलता के अनुरूप पिछले युगों के पापों को अनदेखा कर दिया था।
26 उसने युग में अपनी न्यायप्रियता का प्रमाण देना चाहा, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि वह स्वयं पवित्र है और उन सबों को पापमुक्त करता है, जो ईसा में विश्वास करते हैं।
27 इसलिए किसी को अपने पर गर्व करने का अधिकार नहीं रहा। किस विधान के कारण यह अधिकार जाता रहा? यह कर्मकाण्ड के विधान के कारण नहीं, बल्कि विश्वास के विधान के कारण हुआ।
28 क्योंकि हम मानते हैं कि मनुष्य संहिता के कर्मकाण्ड द्वारा नहीं, बल्कि विश्वास द्वारा पापमुक्त होता है।
29 क्या ईश्वर केवल यहूदियों का ईश्वर है? क्या वह गैर-यहूदियों का ईश्वर नहीं? वह निश्चय ही गैर-यहूदियों का भी ईश्वर है।
30 क्योंकि केवल एक ही ईश्वर है, जो खतने वालों को विश्वास द्वारा पापमुक्त करेगा और उसी विश्वास द्वारा बेखतने लोगों को भी।
📙सुसमाचार – लूकस 11: 47-54
47 धिक्कार तुम लोगों को! क्योंकि तुम नबियों के लिए मक़बरे बनवाते हो, जब कि तुम्हारे पूर्वजों ने उनकी हत्या की।
48 इस प्रकार तुम अपने पूर्वजों के कर्मों की गवाही देते हो और उन से सहमत भी हो, क्योंकि उन्होंने तो उनकी हत्या की और तुम उनके मक़बरे बनवाते हो।
49 “इसलिए ईश्वर की प्रज्ञा ने यह कहा-मैं उनके पास नबियों और प्रेरितों को भेजूँगा; वे उन में कितनों की हत्या करेंगे और कितनो पर अत्याचार करेंगे।
50 इसलिए संसार के आरम्भ से जितने नबियों का रक्त बहाया गया है-हाबिल के रक्त से ले कर ज़करियस के रक्त तक, जो वेदी और मन्दिरगर्भ के बीच मारा गया था-
51 उसका हिसाब इस पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा। मैं तुम से कहता हूँ, उसका हिसाब इसी पीढ़ी को चुकाना पड़ेगा।
52 “शास्त्रियों, धिक्कार तुम लोगों को! क्योंकि तुमने ज्ञान की कुंजी ले ली। तुमने स्वयं प्रवेश नहीं किया और जो प्रवेश करना चाहते थे, उन्हें रोका।”
53 जब ईसा उस घर से निकले, तो शास्त्री, और फ़रीसी बुरी तरह उनके पीछे पड़ गये और बहुत-सी बातों के सम्बन्ध में उन को छेड़ने लगे।
54 वे इस ताक में थे कि ईसा के किसी-न-किसी कथन में दोष निकाल लें।