उनतीसवाँ सामान्य सप्ताह
आज के संत: संत जोन पॉल द्वितीय
📒पहला पाठ- रोमियों 6: 12-18
12 अब आप लोग अपने मरणशील शरीर में पाप का राज्य स्वीकार नहीं करें और उनकी वासनाओं के अधीन नहीं रहें।
13 आप अपने अंगों को अधर्म के साधन बनने के लिए पाप को अर्पित नहीं करें। आप अपने को मृतकों में से पुनर्जीवित समझकर ईश्वर के प्रति अर्पित करें और अपने अंगों को धार्मिकता के साधन बनने के लिए ईश्वर को सौंपदें।
14 आप लोगों पर पाप का कोई अधिकार नहीं रहेगा। अब आप संहिता के नहीं, बल्कि अनुग्रह के अधीन हैं।
15 तो क्या, हम इसलिए पाप करें कि हम संहिता के नहीं, बल्कि अनुग्रह के अधीन है? कभी नहीं!
16 क्या आप यह नहीं समझते कि आप अपने को आज्ञाकारी दास के रूप में जिसके प्रति अर्पित करते हैं और जिसकी आज्ञा का पालन करते हैं, आप उसी के दास बन जाते हैं? यह दासता चाहे पाप की हो, जिसका परिणाम मृत्यु है; चाहे ईश्वर की हो, जिसके आज्ञापालन का परिणाम धार्मिकता है।
17 ईश्वर को धन्यवाद कि आप लोग, जो पहले पाप के दास थे, अब सारे हृदय से उस शिक्षा के मार्ग पर चलने लगे, जो आप को प्रदान की गयी हैं।
18 आप पाप से मुक्त हो कर धार्मिकता के दास बन गये हैं।
📙सुसमाचार- लूकस 12: 39-48
39 यह अच्छी तरह समझ लो-यदि घर के स्वामी को मालूम होता कि चोर किस घड़ी आयेगा, तो वह अपने घर में सेंध लगने नहीं देता।
40 तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी तुम उसके आने की नहीं सोचते, उसी घड़ी मानव पुत्र आयेगा।”
41 पेत्रुस ने उन से कहा, “प्रभु! क्या आप यह दृष्टान्त हमारे लिए कहते हैं या सबों के लिए?”
42 प्रभु ने कहा, “कौन ऐसा ईमानदार और बुद्धिमान् कारिन्दा है, जिसे उसका स्वामी अपने नौकर-चाकरों पर नियुक्त करेगा ताकि वह समय पर उन्हें रसद बाँटा करे?
43 धन्य हैं वह सेवक, जिसका स्वामी आने पर उसे ऐसा करता हुआ पायेगा!
44 मैं तुम से यह कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी सम्पत्ति पर नियुक्त करेगा।
45 परन्तु यदि वह सेवक अपने मन में कहे, ’मेरा स्वामी आने में देर करता है’ और वह दासदासियों को पीटने, खाने-पीने और नशेबाजी करने लगे,
46 तो उस सेवक का स्वामी ऐसे दिन आयेगा, जब वह उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा होगा और ऐसी घड़ी जिसे वह जान नहीं पायेगा। तब स्वामी उसे कोड़े लगवायेगा और विश्वासघातियों का दण्ड देगा।
47 “अपने स्वामी की इच्छा जान कर भी जिस सेवक ने कुछ तैयार नहीं किया और न उसकी इच्छा के अनुसार काम किया, वह बहुत मार खायेगा।
48 जिसने अनजाने ही मार खाने का काम किया, वह थोड़ी मार खायेगा। जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत माँगा जायेगा और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से अधिक माँगा जायेगा।