अय्यूब(योब) का ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920 21222324252627282930313233343536373839404142 पवित्र बाइबल

अध्याय 7

1 क्या इस पृथ्वी पर मनुष्य का जीवन सेना की नौकरी की तरह नहीं? क्या उसके दिन मजदूर के दिनों की तरह नहीं बीतते?

2 क्या वह दास की तरह नहीं, जो छाया के लिए तरसता हैं? मज़दूर की तरह, जिसे समय पर वेतन नहीं मिलता?

3 मुझे महीनों निराशा में काटना पड़ता है। दुःखभरी रातें मेरे भाग्य में लिखी है।

4 शय्या पर लेटते ही कहता हूँ – भोर कब होगा? उठते ही सोचता हूँ-सन्ध्या कब आयेगी? और मैं सायंकाल तक निरर्थक कल्पनाओं में पड़ा रहता हूँ।

5 मेरा शरीर कृमियों और कुकरी से भर गया है। मेरी चमड़ी फट गयी है और उस से पीब बह रही है।

6 मेरे दिन जुलाहे की भरनी से भी अधिक तेजी से गुज़र गये और तागा समाप्त हो जाने पर लुप्त हो गये हैं।

7 प्रभु! याद रख कि मेरा जीवन एक श्वास मात्र है और मेरी आँखें फिर अच्छे दिन नहीं देखेंगी।

8 जो मुझे देखा करता था, वह मुझे फिर नहीं देखेगा; तेरी आँख भी मुझे नहीं देख पायेगी।

9 जिस तरह बादल छँट कर लुप्त हो जाता है, उसी तरह अधोलोक में उतरने वाला नहीं लौटता।

10 वह फिर कभी अपने घर वापस नहीं आयेगा। उसकी भूमि पर कोई उसकी प्रतीक्षा नहीं करेगा।

11 इसलिए मैं अपनी जीभ पर लगाम नहीं लगाऊँगा, मैं अपनी वेदना प्रकट करूँगा, अपनी कटुता से विवश हो कर बोलूँगा।

12 क्या मैं समुद्र या भीमकाय मरगरमच्छ हूँ, जो तू मुझ पर पहरा बैठाता है?

13 जब सोचता हूँ कि पलंग पर मुझे आराम मिलेगा, शय्या पर मेरा दुःख हलका हो जायेगा,

14 तो तू मुझे स्वप्नों द्वारा डराता और डरावने दृश्यों द्वारा आतंकित करता है।

15 यहाँ तक कि फा़ँसी मुझे लुभाती है, जीवन की अपेक्षा मैं मृत्यु की कामना करता हूँ।

16 मुझे अपने जीवन से घृणा हो गयी है। मुझे छोड़ दे, मैं तो श्वास मात्र हूँ।

17 मनुष्य क्या है जो तू उसे इतना महत्व दे और उस पर इतना ध्यान रखे?

18 तू प्रतिदिन सबेरे उस पर दृष्टि दौड़ाता और प्रतिक्षण उसकी परीक्षा लेता है।

19 तू कब मेरी निगरानी करना छोड़ देगा? मुझे कब अपना थूक निगलने का अवसर मिलेगा?

20 मनुष्यों के पहरेदार! यदि मैंने पाप किया, तो इस से तुझे क्या? तूने मुझे अपना निशाना क्यों बनाया हैं? क्यों मैं तेरे लिए भार बन गया हूँ?

21 तुझे मेरा अपराध असहय क्यों है? तू मेरा दोष अनदेखा क्यों नही करता? क्योंकि मैं शीघ्र ही मिट्टी में मिल जाऊँगा; तू मुझे ढूँढ़ेगा, परन्तु मैं शेष नहीं रहूँगा।