स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 24

1 पृथ्वी और जो कुछ उस में है, संसार और उसके निवासी-सब प्रभु का है;

2 क्योंकि उसी ने समुद्र पर उसकी नींव डाली और जल पर उसे स्थापित किया है।

3 प्रभु के पर्वत पर कौन चढ़ेगा? उसके मन्दिर में कौन रह पायेगा?

4 वही, जिसके हाथ निर्दोष और हृदय निर्मल है, जिसका मन असार संसार में नहीं रमता जो शपथ खा कर धोखा नहीं देता।

5 प्रभु की आशिष उसे प्राप्त होगी, मुक्तिदाता ईश्वर उसे धार्मिक मानेगा।

6 ऐसे ही हैं वे लोग, जो प्रभु की खोज में लगे रहते हैं, जो याकूब के ईश्वर के दर्शनों के लिए तरसते हैं।

7 फाटको! मेहराब ऊपर करो! प्राचीन द्वारो! ऊँचे हो जाओ! महाप्रतापी राजा को प्रवेश करने दो।

8 वह प्रतापी राजा कौन है? प्रभु ही वह महाप्रतापी राजा है- समर्थ, शक्तिशाली और पराक्रमी।

9 फाटको! मेहराब ऊपर करो! प्राचीन द्वारो! ऊँचे हो जाओ! महाप्रतापी राजा को प्रवेश करने दो।

10 वह महाप्रतापी राजा कौन है? वह महाप्रतापी राजा विश्वमण्डल का प्रभु है।