स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 61

2 ईश्वर! मेरी पुकार सुन, मेरी प्रार्थना पर ध्यान दे।

3 मेरा हृदय डूब रहा है, मैं दूर-दूर से तेरी दुहाई देता हूँ। तू मुझे उस चट्टान पर ले जायेगा, जो मेरे लिए अगम्य है;

4 क्योंकि तू मेरा आश्रय है, शत्रु के विरुद्ध सुदृढ़ गढ़।

5 ओह! कितना अच्छा होता कि मैं सदा के लिए तेरे तम्बू में रहता और तेरे पंखों के नीचे शरण पाता।

6 ईश्वर! तू मन्नतें स्वीकार करता है; जो तेरे नाम पर श्रद्धा रखते हैं, तू उनकी इच्छा पूरी करता है।

7 राजा की आयु को और भी बढ़ा, वह पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवित रहें।

8 वह ईश्वर के सामने राज्य करते रहें; सत्यप्रतिज्ञता और सत्य उन्हें सुरक्षित रखें।

9 तब मैं प्रतिदिन अपनी मन्नतें पूरी करते हुए निरन्तर तेरे नाम की स्तुति करूँगा।