स्तोत्र ग्रन्थ

अध्याय : 1234567891011121314151617181920212223242526272829303132333435363738394041424344454647484950515253 54555657585960616263646566676869707172737475767778798081828384858687888990919293949596979899100101102103104105106107108109 110111112113114115116117118119120121122123124125126127128129130131132133134135136137138139140141142143144145146147148149150पवित्र बाईबल

स्तोत्र 108

2 (1-2) ईश्वर! मेरा हृदय प्रस्तुत है। मैं सारे हृदय से गाते-बजाते हुए भजन सुनाऊँगा।

3 सारंगी और वीणा! जागो। मैं प्रभात को जगाऊँगा।

4 प्रभु! मैं राष्ट्रों के बीच तुझे धन्य कहूँगा। मैं देश-विदेश में तेरा स्तुतिगान करूँगा;

5 क्योंकि आकाश के सदृश ऊँची है तेरी सत्यप्रतिज्ञता, तारामण्डल के सदृश ऊँचा है तेरा सत्य।

6 ईश्वर! आकाश के ऊपर अपने को प्रदर्शित कर। समस्त पृथ्वी पर तेरी महिमा प्रकट हो।

7 तू अपने दाहिने हाथ से हमें बचा, हम को उत्तर दे, जिससे तेरे कृपापात्रों का उद्धार हो।

8 ईश्वर ने अपने मन्दिर में यह कहा: “मैं सहर्ष सिखेम का विभाजन करूँगा और सुक्कोथ की घाटी नाप कर बाँट दूँगा।

9 गिलआद प्रदेश मेरा है; मनस्से प्रदेश मेरा है; एफ्रईम मेरे सिर का टोप है; यूदा मेरा राजदण्ड है;

10 मोआब मेरी चिलमची है; मैं एदोम पर अपनी चप्पल रखता हूँ; मैं फ़िलिस्तिया को युद्ध के लिए ललकारता हूँ।”

11 कौन मुझे क़िलाबन्द नगर में पहुँचायेगा? कौन मुझे एदोम तक ले जायेगा?

12 वही ईश्वर, जिसने हमें त्यागा है; वही ईश्वर, जो अब हमारी सेनाओं का साथ नहीं देता।

13 शत्रु के विरुद्ध हमारी सहायता कर; क्योंकि मनुष्य की सहायता व्यर्थ है।

14 ईश्वर के साथ हम शूरवीरों की तरह लड़ेंगे; वही हमारे शत्रुओं को रौंदेगा।